दस महत्वपूर्ण चमत्कारी पत्तियाँ जो हैं फायदेमंद 10 Medicinal Miraculous Leaf in Hindi Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi दस महत्वपूर्ण चमत्कारी पत्तियाँ जो हैं फायदेमंद 10 Medicinal Miraculous Leaf in Hindi - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

दस महत्वपूर्ण चमत्कारी पत्तियाँ जो हैं फायदेमंद 10 Medicinal Miraculous Leaf in Hindi

वैदिक काल के महान आयुर्वेद शोधकर्ताओं ऋषि मुनियों वैद्यों ने अपने जीवन में कई उपयोगों खोज से बीमारियों का निवारण-उपाय खोजें। जोकि अद्भुत चमत्कारी औषिधियाँ हैं। आयुर्वेद शोधकर्ताओं ऋषि मुनियों वैद्यों ने जड़ी बूटियों दवाओं की खोज मे हिमालय, रेगिस्तान, जलाशयों, नदी, तालाब एवं जंगलों मौजूद विभिन्न वनस्पति, पेड़, पौधों, जड़ीबूटियों की खोज से विभिन्न प्रकार के रोगों का रहस्य - उपाय ढूंढे। जिसे आज विश्व विज्ञानिक शोधकर्ता दिन प्रतिदिन शोध-विचार प्रमाण के माध्यम से सत्य साबित कर रहे हैं। 

स्वस्थ जीवन का रहस्य प्रकृति में मौजूद है। आयुर्वेद तरीके शरीर को स्वस्थ निरोग लम्बी आयु जीवन यापान करने का उत्तम माध्यम है। प्राकृतिक रूप से स्वस्थ निरोग जीवन यापन के साथ साथ जीवन को समृद्धि और सुखी सफल आसानी से बना सकता है।
 
मानव की प्रबल बुद्वि को देखते हुए, मानव को ईश्वर के बाद प्रकृति में विशेष महत्वपूर्ण स्थान दिया है। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिख प्रकृति को दोहन बहुत तेजी से कर रहा है। जिसके परिणाम बाढ़, हिमालय में बर्फ का पिघलना, तेज गर्मी, रोग संक्रामण, नई-नई बीमारियां उत्तपन्न होना, मौसम में अचानक बदलाव से प्राकृतिक अपवाद का सामना कर पड़ रहा है। वन वनस्पति प्रकृति की अनमोल धरोहर है। जीवन का आधार है। प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना करना भी नामुमकिन है। वनों से मनुष्य को हर प्राकार के जीवन उपयोगी वस्तुऐं, हवा, पानी, भोजन और वस्तुओं से लेकर औषधियाँ उपलब्ध होती है।

दस महत्वपूर्ण चमत्कारी पत्तियाँ जो हैं फायदेमंद / अर्युवेद में वनस्पति पत्तियों का खास महत्व / 10 Medicinal Miraculous Leaf in Hindi / Ayurvedic Medicinal Plants Leaves

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शास्त्रों व आर्युवेदा शोधकर्ताओं के अनुसार मनुष्य अपने आवास-निवास के आसपास नींम, आंबला, आम, पीपल, इमली, कैथ, अमरूद, कदम्बा, अर्जुन आदि के वृक्ष लगाना चाहिए। और प्रकृति की सुरक्षा में वृक्षों का लगाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उपरोक्त वृक्षों के हवा मात्र से ही आंगन एवं वायु वतावरण शुद्व और स्वास्थ्य हमेशा निरोग रखने में बहुउपयोगी है। पेड़ लगायें जीवन बचायें। पेड़-पोधों के बिना जीवन की कल्पना करना नामुमकिन है। आयुर्वेदानुसार में उन दस महत्वपूर्ण पौंधों एवं वृक्षों के पत्तियों के बारे में बार-बार जिक्र होता है। सेवन करने से मनुष्य विभिन्न प्राकर की बीमारियों से बच सकता है और बीमारियों से छुटकारा निर्वारण पा सकता है। और आप चमत्कारियों पत्तियों के बारे में जानकर हैरान रह जायेगें।

तुलसी एक चमत्कारी घरेलू औषधि 
तुलसी के पत्तियों का प्रतिदिन सेवन करने से शरीर का वजन घटता है और जिस व्यक्ति का शरीर दुबला.पतला हैए उसका वजन बढ़ जाता है। प्रात़ःकाल नींद खुलने के बाद पानी के साथ तुलसी की 6 पत्तियों को निगलने से शरीर को संक्रामक बीमारियों से बचाता है और साथ ही दिमाग को अंदरूनी कमजोरियों, दिमाग को कमजोर होने से बचाता है। हाल ही में शोर्धकताओं एवं आधुनिक वैज्ञानिकों ने तुलसी के सेवन को कैंसर जैसी घातक बीमारी का रोकथाम बताया है। अतः तुलसी प्राचीन ग्रंथों एवं आधुनिक विज्ञान के हिसाब से एक महत्वपूर्ण औषधि है। 

नीम की पत्तियाँ एक औषधि 
नीम का वृक्ष यदि आपके आंगन एवं घर के आस.पास लगा है तो आप बेमौसमी बुखार एवं संक्रमण से बचे रहेंगे और साथ में आपको ग्रीष्म ऋतु में धूप से बचाता हैए एवं आप छांव का आन्नद लेते हैं।नींम के पत्तियाँ सुबह चबाने से दांतए आंत और मुंह से सम्बन्धित रोगों से दूर रखता है और साथ.सथ रक्त को भी साफ करता है। नींम सेहत और सौन्दर्य के लिए फायदेमंद है।
विभिन्न प्रकार के त्वचा चर्म रोगों के लिए नीम के तेल की मालिस असरदार औषधि है। साथ में नींम के पत्तियों को नहाने के पानी में डालकर उबालने के बाद छांन ले। फिर पानी ठंडा हो जाने पर नहाया से शरीर की त्वचा को विभिन्न प्रकार के खुजली और चर्म रोगों से बचाता है। 

कढ़ी पत्तियाँ
  • कढ़ी पत्तियों को काला नीम के नाम से भी पुकार जाता है। कढ़ी पत्तियाँ आमतौर पर कढ़ी एवं पकौड़ें पकाते.बनाते समय डाले जाते हैं। कढ़ी पत्तियों को खाने में उपयोग से जायका बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में अधिकत घरों के आगे कढ़ी पत्तियों पेड़ पाये जाते हैं। जिससे घर आंगन खुशबू बनी रहती है। कढ़ी पत्तियाँ चबा कर खाने से बाल मजूबूत एवं काले हो जाते हैं। पत्तियों की पहचान दिखने में नींम के पत्तियों की तरह दिखते हैं।
  • कढ़ी पत्तियों में आयरनए जिंक और कापर जैसे महत्वूर्ण मिनरल पाये जाते हैं। और साथ में ये कमजोर अग्नाशय की कोशिकाओं को सक्रिय करता है एवं कोशिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है। डायविटीज रोगियों के लिए सुबह 5 कढ़ी पत्तियाँ चबाना फायदेमंद है, पत्तियों को चबाने व सेवन करने से कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन तेजी से कर देती है। जोकि डायविटीज की रोकथाम में अहम है।
  • कढ़ी पत्तियों का उपयोग व सेवन श्रीलंका एवं दक्षिण भारत में राज्यों के व्यंजनों में छौंक के रूप में किया जाता है। कढ़ी पत्तियाँ अत्यन्त लाभकारी है जोकि पेट से संबन्धित रोगों को रोकने में सक्षम है। जड़ों का सेवन करने से किड़नी एवं आँख से सम्बन्धित रोगों से फायदा होता है। कढ़ी पत्तियाँ वृक्ष को श्रीलंका एवं दक्षिण भारत में पूजा जाता है और हिन्दू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है। 

(बिल्वपत्र ) बेलपत्र 
  • बिल्वपत्र को बेलपत्र नाम से भी जाना जाता है। भारत में बिलपत्र कई राज्यों में पाया जाता है। बिलपत्र हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव की अराधना का प्रतीक माना जाता है। और बेलपत्र वृक्ष को आपएपलाशए नीमए पीपल इत्यादि वृक्षों की तरह माना जाता है और सम्मान दिया जाता है।
  • गर्मियों में बिलपत्र फल का शरबत बड़ा ही लाभकरी होता है जोकि गर्मी की तपिश से बचाता है और बिल वृक्ष छाया धूप से शीतलता देती है।
  • बिलपत्र के फल का सेवन करने से आंखों की रोशनी को बढाता है एवं पेट के कीड़े होने से रोकता है। साथ में गर्मियों में लू लगने से बचाता है। पत्तियों में लौहए पोटेशियमए टैनिनए मैग्नीशियम एवं कैल्शियम जैसे औषधीय रसायन पाये जाते हैं जोकि स्वास्थ के लिए अति उत्तम है।
  • 10-10 तुलसी, बिलपत्र, नींम पत्तियों को बारीकी से पीस कर बारीक कर लें और हर रोज सुबह एक.एक गोली खाने से कैंसर रोगियों को फायदा मिलता है। और बेल पत्तियों को पानी के साथ बारीक पीसकर माथे पर लेप लगाने से दिमाग मस्तिष्क की अन्दुरूनी गर्मी शांत कर देता है। लेप लगाने से रोगी को नींद आती है।
  • बेल पत्तियों को हलकी आग की आंच में भूने और फिर बरीक पीसकर छांन कर किसी साथ डब्बे में रख दें। और रोज सुबह शहद के साथ सेवन करने से पुरानी खांसी से छुटकारा मिलता है। बेल पत्रए बादामए मिश्री को मिलाकर पीसकर हलकी आंच में पकाने के ठंड़ा हो जाने पर खाने से नपुसुकता दूर हो जाती है। यह एक महीने के अन्दर ही नपुंसकता दूर कर देता है। अतः बेलपत्र एक महत्वपूर्ण औषधि है।

पान का पत्तियाँ 
  • पान एक बारह महीने वाली लता है। जोकि पतली जड़ों द्वारा चढ़ाई गई बेल है। पान के पत्तियों का आकार हर्ट दिल के आकृति के होते हैं और चकनीए चमकीली और नुकीली सिरे से डंठल वाली होती है। पान सुपारी को भारत वर्ष में एक मेहमानों को शिष्टाचार के रूप में दी जाती है। पान का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा है मध्यकाल में पान खाने का प्रचलन तेजी से बढ़ा और पान पत्तियों में चूनाए कत्थेए लौंगए इलायचीए अलमोटी मीठी लकड़ी मिलाने लगेए तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • प्राचीन काल में पान के पत्तियों का उपयोग धार्मिक रीति रिवाजों कार्यों में किया जात था। आप को आज भी ज्ञात होगा कि हनुमानजी को पूजा में पान के पत्तियाँ अर्पित किये जाते हैं।
  • पान का पत्तियाँ प्राचीनकाल से ही वैद्य रक्तसाव को रोकने के लिए किया करते थे। पान के पत्तियों को खाने से शरीर के किसी भी हिस्से या अन्दर वह रहा खून रूक जाता है। अगर शरीर में चोट लग जाये तो पान के पत्तियों को बारीक पीसकर पट्टी बांधने से खून बहना बन्द हो जाता है। और लगी चोट 4.5 दिन में ठीक हो जाती है। पान का पत्तियाँ कमोजर कामोत्तजना को बढ़ाती है। मधुमेह एवं कब्ज में पान का एक पत्तियाँ रोज खाने से 2 महीने के अन्तराल में फायदा होता है। दूध के साथ पान के पत्तियों का रस पीने से पेशाब की रूकावट दूर हो जाती है। पान के पत्तियों को सरसों के तेल में तबे के गरम कर के पका कर पुरानी खांसी एवं सांस से सम्बन्धित बीमारियां दूर हो जाती है।

तेज पत्ता 

तेज पत्ता आमतौर पर सब्जीयों में मसाले व तड़का लगाने के लिए किया जाता है। तेज पत्ता एक महत्वपूर्ण गुणकारी औषधि है। इस से पेट की आंतों से सम्बन्धित बीमारियों से छुटकारा मिलता है।


केले का पत्ता 
  • केला एक सम्पूर्ण फल है और साथ में भारतीय लोग हर धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल करते हैं। प्राचीनकाल से ही केले के पत्तियों का महान् महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार केले के पेड़ की पूजा करने से समृद्धि आती है। विष्णु भगवान और लक्ष्मी देवी को केले का भोग लगाया जाता है और साथ में केले के पत्तियों में प्रसाद भोग बांटा जाता है।
  • पेट की बीमारियों के लिए कच्चा केला उपयुक्त हैए कच्चे केले का आग में भून कर खाने से पेट दर्द जैसी अन्दरूनी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। केले के पेड़ के अन्दर के डन्ठल की सब्जी खाने से पेट से सम्बन्धित सम्पूर्ण बीमारियां दूर रहती है।
  • डिटाक्सिफाइंग ज्यूस के लिए केले के पत्तियों का उपयोग बहुत लाभदायक एवं उत्तम है। केले के पत्तियों की आधा भाग मेंए आधा नींबू का रसए एक चम्मच अदरक और आधा खीरा पीस के ज्यूस तैयार किया जाता है। ज्यूस का सेवन प्रातःकाल उठकर करने से सैकड़ों फायदे ही फायदे हैं। इसे डिटाक्सिफाइंग ज्यूस से भी पुकारा जाता है।
  • केले में राइबोफ्लेविन, नियासिन, शायमिनए विटामिन ए, विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण खनिज तत्व पाये जाते हैं। केले में 1.3 प्रतिशत प्राटीन 64.3 प्रतिशत पानी का अंश 24.7 प्रतिशत कारबोहाइडेट एवं 8.3 प्रतिशत चिकनाई पाई जाती है जोकि स्वास्थ्य के अति उत्तम है।

आम के पत्तियाँ 

  • आम के पत्तियाँ हिन्दू धर्म में हर मांगलिक धार्मिक कार्यों में किया जाता है। आम के पत्तियों से कलश सजानाए दीवारों को सजानाए अतिथि गेट से लेकर यज्ञ स्थानों तक किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार घर के मुख्य प्रथम द्वार पर आम के पत्तियों को लटकाने से प्रवेश करने वाले व्यक्ति की आन्तरिक सकारात्मक ऊर्जा घर के वातावरण में आती है। आम के पेड़ की लकड़ी वैदिक काल से ही समिधा एवं यज्ञ हवन में इस्तेमाल की जाती है जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रवष्टि होती है।
  • विज्ञान की दृष्टि से आम के पत्तियों से डायविटीज दूर करने में अहम भूमिका है। आम के पत्तियों को चबाने और रस पीने से कैंसर और पाचन सम्बन्धित रोगों से छुटकारा मिलता है। आम के पत्तियों का रस ग्लूकोज सोखने में आंतों को सहायता करती है। हरे एवं कोमल पत्तियों को सुखाकर पाउडर बना लेंए और सुबह नास्ता करने से पहले आधा चम्मच पाउडर एक गिलास पानी के साथ घोलकर पीने से सैकड़ों फायदे होते हैं। पेट को समस्त आने वाली पेट की बीमारियों से बचाता है।

जामुन पत्तियाँ 

  • जामुन का पेड़ प्राचीन काल से भी भारतीय इतिहास से जुड़ा हुआ है। हर घर के आंगन में जामुन के पेड़ लगाये जाते थे इसीलिए भारतीय उपमहाद्वीप को जम्द्वीपीय के नाम से पुकारा जाता था। आजकल जामुन के पेड़ों का दिखना भी दुर्लभ है। जामुन अपने आप में एक गुणकारी औषधि है।
  • ब्रिटेन, अमेरिका और भारत में हुई वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि जामुन की पत्तियों में पाये जाने वाला माइरिलिन नाम का यौगिक खून में शुगर के स्थर को घटाता है। विशेषज्ञ द्वाराए ब्लड शुगर बढ़ने पर सुबह जामुन की 5 पत्तियों को पीसकर पीने से शुगर घट जाता है और धीरे-धीरे काबू में आ जाता है। और काले पके हुऐ जामुन खाने से पेट की बीमांरियां दूर रहती है।

सोम पत्तियाँ 

सोम रस सोम की लताओं से निकलता है। जिसको हम सोमरस के नाम से भी जानते हैं। सोम लताएं पर्वतीय भागों में पाई जाने वाली लता है। सोम लता उत्तराखण्डए राजस्थानए उड़ीसाए विंध्याचल आदि पर्वतीय भागों में पाई जाती है। सोम लता का रंग बदामी होता है एवं छोटे.छोटे पेड़ों पर लटकी मिलती है। सोम लता की पहचान दिनप्रति लुप्त होती जा रही है। यह शरीर के सम्पूर्ण रोगों का एक निर्वारण औषधि है। 


संजीवनी बूटी
विद्वानों के अनुसार संजीवनी बूटी हिमालय क्षेत्र में आज भी विद्धमान हैए बूटी का वर्णन रामायण में मिलता है। अगर संजीवनी बूटी की पहचान दुबार से हो जाये तो मृत इन्सान दुबारा से जीवित हो पायेगा। संजीवनी बूटी की खोज में आज भी वैज्ञानिक बड़ी तीव्रता से कर रहे हैं। क्योंकि आयुर्वेद में बहुत सारी औषधियां ऐसे भी हैं जोकि आज तक वैज्ञानिक नही ढंढ पाये।


सोमरस - इफेड़ा 
इफेड़ा की पहचान कुछ वर्ष पूर्व ही ईरान में हुई है। इसे लोग सोम से पुकारत हैं। इफेडा का पौधा तोगोलोक तुर्कमेनिस्तान में एक मंदिर में भी पाया गया है। स्थानीय लोग इसका उपयोग यौनवर्धक दवाईयां बनाने में कर रहे हैं। वैदिक ऋषियों का शोध सोमरस एक ऐसा पदार्थ है जोकि संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। इससे व्यक्ति जवान, सात्विक, बलवर्धक व आयुवर्धक होता है।