आर्युवेद प्राचीनकाल से ही संसार में प्रसिद्व है। प्राचीन काल में वैद्य, ऋषिमुनि हकीम जड़ी बूटियों का शोध व उपचार के माध्यम से प्रति व्यक्ति जीवन आयु 150 से 200 वर्ष थी। जैसे जैसे आर्युवेदिक चिकित्सा पद्वति का इस्तेमाल व सेवन कम हुआ। आयु भी सीमित रह कर 70 से 85 के बीच रह गई है।
आधुनिक काल में विकास की दौड़ में खान-पान रहन सहन, लाईफ स्टाइल बदल गया। जहां एक ओर प्राचीनकाल में शुद्व प्राकृतिक खादय् पदार्थों का प्रयोग होता था, वहीं आयुनिक काल आते आते रासायनिक पदार्थों का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। खेत अनाज, सब्जियों, फलों, दालों हर खादय् पदार्थों में रासायनिक इस्तेमाल हो रहा है।
जिससे तरह-तरह की बीमारियां जन्म ले रही है। और मानव आयु घटते-घटते निम्न स्तर पर आ गई है। आजकल मात्र 35 आयु आते आते व्यक्ति बीमारियों से घिर जाता है। गैस्टिंग, शुगर, कैंसर, दिल की बीमारियां, किड़नी इत्यादि तरह तरह की आंतरिक बीमारियों होना आम बात है। जोकि 50 व 60 वर्ष आयु आते आते भंयकर रूप ले लेती है। इन सब का मुख्य कारण लाईफ स्टाइल बदलना, रासायनिक दवाईयों का खादय् पदार्थों में मिलना आदि मुख्य कारण है।
प्राचीनकाल में वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों, वनस्पति, फल फूल, पत्ते, कलियां, छाल, बीज, तेल इत्यादि प्राकृतिक से छोटी बीमारी से लेकर भयानक व लाईलाज बीमारियों तक का ईलाज आर्युवेद प्रणाली से किया जाता था। हर तरह की बीमारियों का ईलाज चाहे व शारीरिक हो या मांसिक हर तरह से उपचार आर्युवेदिक किया जाता था।
आर्युवेद इर्लाज के कारगर ईलाज है, इसके असर धीरे धीरे होता है और लम्बे समय तक असर रहता है। हम आपको आर्युवेददिक चिकित्सा प्रणाली के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। जिससे आप आर्युवेद के गुण तरीके एवं असर को जानकर आर्युवेद चिकित्सा की ओर अग्रसर होंगे।
आर्युवेदिक चिकित्सा के फायदें व गुण
भारतीय आर्युवेद प्रसिद्व प्राचीनकालीन कारगर पद्वति / Indian Ancient Ayurveda Science / Prachin kalin Bhartiya Ayurveda
प्राचीनकाल में वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों, वनस्पति, फल फूल, पत्ते, कलियां, छाल, बीज, तेल इत्यादि प्राकृतिक से छोटी बीमारी से लेकर भयानक व लाईलाज बीमारियों तक का ईलाज आर्युवेद प्रणाली से किया जाता था। हर तरह की बीमारियों का ईलाज चाहे व शारीरिक हो या मांसिक हर तरह से उपचार आर्युवेदिक किया जाता था।
आर्युवेद इर्लाज के कारगर ईलाज है, इसके असर धीरे धीरे होता है और लम्बे समय तक असर रहता है। हम आपको आर्युवेददिक चिकित्सा प्रणाली के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। जिससे आप आर्युवेद के गुण तरीके एवं असर को जानकर आर्युवेद चिकित्सा की ओर अग्रसर होंगे।
आर्युवेदिक चिकित्सा के फायदें व गुण
- आर्युवेद दवाईयों में जड़ी बूटियां, पेड़ पत्ती, फल, छाल, वनस्पति, बीज, तने, जड़ इत्यादि शुद्ध प्राकृतिक चीजें इस्तेमाल की जाती है। जोकि लाभदायक है, हानिकारक नहीं।
- आर्युवेदिक दवाईयों का असर धीरे-धीरे होता है, परन्तु असर जरूर होता है। और लम्बे समय तक स्वस्थ रखने में सहायक है।
- आर्युवेदिक चिकित्सा प्रणाली स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण गुणों से भरपूर है। आयु बढ़ाने में कारगर सिद्व है।
- आर्युवेदिक ईलाज खतरनाक व लाईलाज बीमारियों को जड़ से मिटाने में कारगर है। असर धीरे-धीरे होता है। परन्तु बीमारी ठीक व जड़ से नष्ट हो जाती है।
- आर्युवेदिक ईलाज में शरीरिक, मांसिक, आत्मिक, सौन्दर्य निखार व सौन्दर्य समस्याओं व विकारों को दूर करने में सक्षम है।
- आर्युवेदिक ईलाज लेने से आयु लम्बी बनाने में व स्वस्थ जीवन यापन में सहायक है।
- सौन्दर्य प्रसाधनों में आर्युवेद दवाओं व नुस्खों का विशेष महत्व है। जोकि बाजार में मिलने वाले कैमिक्ल प्रसाधनों से हजारों गुना अच्छा, सस्ता व असरदार कारगर सिद्व है।
- आर्युवेद प्रणाली से हर छोटी बीमारियों से लेकर हर बड़ी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है।
- जो बीमारियां आधुनिक दवाईयों से ठीक नहीं होती, वे आर्युवेदिक चिकित्सा पद्वति से ठीक करने में सक्षम है।
- आधुनिक वैज्ञानिक शोधकर्ता रोज तरह-तरह के आर्युवेदिक ईलाज ढूंढ रहें है। दुनियां प्राकृति की ओर अग्रसर हो रही है। क्योंकि सम्पूर्ण जीवन का राज प्रकृति में छुपा है।
- स्वस्थ, सुखी निरोग जीवन के लिए आर्युवेदिक चिकित्सा प्रणाली को अपनायें, रासायनिक युक्त खाद्य पदार्थों, सौन्दर्य प्रसाधनों से दूरी बनायें रखें। लम्बी व स्वस्थ जीवन आज के युग में आर्युवेद प्राकृति से सम्भव है।