व्यक्ति आधुनिक जीवन शैली की दौड़ भाग में अकसर अपना सही संतुलित खानपान, योगा-व्यायाम पर ध्यान नहीं दे पाते। असंतुलित जीवन शैली- दिनचर्या और खान पान, अलस्य के कारण अर्थराइटिस रोग व्यक्ति को कब हो जाये पता नहीं चलता। अर्थराइटिस रोग होने पर जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, सही ईलाज नहीं होने पर अर्थराइटिस भी और बढने की सम्भावना रहती है।
अर्थराइटिस से हड्डियों में दर्द, गले में दर्द, उगंलियों में सूजन, जोड़ों, नसों पर गांठे बनना, चलने फिरने में परेशानी होना इत्यादि शरीर में अचानक बदलाव होने लगते हैं। जिसे आम भाषा में गठिया रोग कहा जाता है। कुछ खास असाधारण बातें ध्यान में रखकर गठिया होने से शरीर को बचाया जा सकता है।
आर्थराइटिस (संधि शोथ) / अर्थराइटिस बचाव उपाय / Arthritis Prevention Tips in Hindi / Gathiya Bachav Upay

अर्थराइटिस रोग में पानी फायदेमंद
अर्थराइटिस होने पर व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए राज 3-4 लीटर तक पानी पीने से शरीर में बने आसटियोअर्थराइटिस को कम करता है। इसलिए प्रतिदिन खूब पानी पीये, पानी अर्थराइटिस की रोकथाम में सहायक है। शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। आॅसटियो-अर्थराइटिस को नियन्त्रण में रखता है।
प्रोटीन, ओमगा-3, कैल्शियम, युक्त पाष्टिक आहार
व्यक्ति को डेयरी प्रोडक्स ज्यादा खाने चाहिए जैसे कि दूध, दही, पनीर, घी, मक्खन इत्यिाद शामिल करें। और साथ में कैल्शियम, आयरन आहार मूंगफली, ब्रोकली, पालक, सरसों पत्ती, राजमा, बादाम, तिल, सोयाबीन, अनार, पपीता, चुकंदर का सेवन करना फायदेमंद होता है।
अर्थराइटिस में मोटापा नियंत्रण
अर्थराइटिस में व्यक्ति का बजन - मोटापा बढ़ने पर ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वजन का नियन्त्रण कूलहो, घुटनों, कोहनियों शरीर के जोड़ो पर न डाले, आसटियोअर्थराइटिस की उपस्थित के वजह से जोड़ कमजोर पड़ जाते हैं। गठिया में हड्यिां कमजोर होने पर टूटने का भय बना रहता है। इसलिए वजन को बैलेन्स रखें, और वजन मोटापा नियंत्रण में रखकर हड्यिों के टूटने से आसानी से बचा जा सकता है।
व्यायाम व योगा
प्रोटीन, ओमगा-3, कैल्शियम, युक्त पाष्टिक आहार
व्यक्ति को डेयरी प्रोडक्स ज्यादा खाने चाहिए जैसे कि दूध, दही, पनीर, घी, मक्खन इत्यिाद शामिल करें। और साथ में कैल्शियम, आयरन आहार मूंगफली, ब्रोकली, पालक, सरसों पत्ती, राजमा, बादाम, तिल, सोयाबीन, अनार, पपीता, चुकंदर का सेवन करना फायदेमंद होता है।
अर्थराइटिस में मोटापा नियंत्रण
अर्थराइटिस में व्यक्ति का बजन - मोटापा बढ़ने पर ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वजन का नियन्त्रण कूलहो, घुटनों, कोहनियों शरीर के जोड़ो पर न डाले, आसटियोअर्थराइटिस की उपस्थित के वजह से जोड़ कमजोर पड़ जाते हैं। गठिया में हड्यिां कमजोर होने पर टूटने का भय बना रहता है। इसलिए वजन को बैलेन्स रखें, और वजन मोटापा नियंत्रण में रखकर हड्यिों के टूटने से आसानी से बचा जा सकता है।
व्यायाम व योगा
वजन मोटापा को नियत्रण के लिए प्रतिदिन योग व व्यायाम अर्थराइटिस में फायदेमेंद है। नियमित व्यायाम से शरीर की हडि़डयां, मांसपेसियां मजबूत व सशक्त रहती हैं। आधे घण्टा हलका व्यायाम व योग अर्थराइटिस को धीरे-धीरे कम करती है। और नियमित लगातार 6 महीने में अर्थराइटिस काफी हद तक नियन्त्रण में हो जाता है। नित्य योगा व्यायाम करने से हड्यिां मांसपेशियां मजबूत बनी रहती है। गठिया मरीज के लिए योगा व्यायाम करना खास फायदेमंद है।
गठिया में योगा आसन
धूम्रपान व शराब में एल्कोहल होने से अर्थराइटिस और तेजी से बढ़ता है और नियत्रण में नहीं आता। व्यक्ति धूम्रपान व शराब का सेवन छोडने पर अर्थराइटिस तेजी से कम होता है। धूम्रपान व शराब वैसे भी स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए हानिकारक है ही, परन्तु उससे ज्यादा अर्थराइटिस रोगी के लिए जहर की तरह काम करता है।
आलस्य से रहें दूर
गठिया में योगा आसन
- त्रिकोणासन
- वज्रसना
- शवासना
- गोमुसना
- वृक्षसन
- सेतुबंधसन
धूम्रपान व शराब में एल्कोहल होने से अर्थराइटिस और तेजी से बढ़ता है और नियत्रण में नहीं आता। व्यक्ति धूम्रपान व शराब का सेवन छोडने पर अर्थराइटिस तेजी से कम होता है। धूम्रपान व शराब वैसे भी स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए हानिकारक है ही, परन्तु उससे ज्यादा अर्थराइटिस रोगी के लिए जहर की तरह काम करता है।
आलस्य से रहें दूर
अपने दैनिक जीवन में आलस्य न आने दें, हमेशा शरीर को चुस्त फुर्तीला बनाये रखें। इसके लिए पैदल चलना, रस्सीकूद, सीढि़या चढना, व घर की छत पर टहना, इत्यादि पर ध्यान दें, तो शरीर की मांसपेशियों में लचीलापन व सक्रीय रहेगी, और चुस्त व फुर्तीला अर्थराइटिस को ठीक करने में सहायक है। इसलिए बैठे कम और चलते फिरते ज्यदा रहें।
गठिया में तेल मालिश
गठिया होने पर तुरन्त खास गठिया तेल मालिश करें। और मछली तेल को लहसुन के साथ हल्की आंच में पकाकर गठिया ग्रसित अंगों पर हल्का रगड़कर रोज सुबह रात मालिश करें। Arthritis Oil / गठिया तेल मालिश फायदेमंद है।
शरीर को हमेशा चुस्त व फर्तीला रखना चाहिए। नियमित व्यायाम, योगा, सैर, मालिश, गठिया रोग से शरीर को बचाये रखने में सहायक है। और साथ ही डाईट पर विशेष ध्यान दें। डाईट में पोष्टिक संतुलित आहार शामिल करें। शरीर में आलस्य मत आने दें। शरीर हमेशा चुस्त व फुर्तीला रहने से शरीर विभिन्न रोगों से हमेशा के लिए रोगमुक्त बनाये रखने में सहायक है।
गठिया में तेल मालिश
गठिया होने पर तुरन्त खास गठिया तेल मालिश करें। और मछली तेल को लहसुन के साथ हल्की आंच में पकाकर गठिया ग्रसित अंगों पर हल्का रगड़कर रोज सुबह रात मालिश करें। Arthritis Oil / गठिया तेल मालिश फायदेमंद है।
शरीर को हमेशा चुस्त व फर्तीला रखना चाहिए। नियमित व्यायाम, योगा, सैर, मालिश, गठिया रोग से शरीर को बचाये रखने में सहायक है। और साथ ही डाईट पर विशेष ध्यान दें। डाईट में पोष्टिक संतुलित आहार शामिल करें। शरीर में आलस्य मत आने दें। शरीर हमेशा चुस्त व फुर्तीला रहने से शरीर विभिन्न रोगों से हमेशा के लिए रोगमुक्त बनाये रखने में सहायक है।