प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल रखें स्वस्थ एवं रोग मुक्त Natural Antibiotics in Hindi Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल रखें स्वस्थ एवं रोग मुक्त Natural Antibiotics in Hindi - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल रखें स्वस्थ एवं रोग मुक्त Natural Antibiotics in Hindi

लगभग सभी व्यक्ति जानते हैं कि जब बुखार, ज्वर, खांसी, तपैदिक, मलेरिया, वायरल, संक्रामण बीमारियां शरीर में ज्यादा दिनों तक रहती है, तो डाॅक्टर एंटीबायोटिक दवाईयां सेवन करने की सलाह देते हैं। घातक संक्रमण, बैक्टीरिया, वायरल रोगों में एंटीबायोटिक दवाईयां ही शीघ्र असर करती है। रोजमर्या जीवन में कुछ खास प्राकृतिक शुद्ध एंटीबायोटिक हर्बल, मसाले, रूट, फल, किंचन में चाय, पकवान, व्यजंन, सलाद, जूस रूप में सेवन करें तो, लगभग सभी संक्रामण, वायरल, बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं। 

प्राकृतिक एंटीबायेटिक खाद्यपदार्थ चीजें अन्य दवाईयों से सैकड़ों गुना ज्यादा सुरक्षित, असरदार और फायदेमंद हैं। प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल अकसर किचन में ही मौजूद नजरों के आसपास होते हैं। जानिए किंचन में मौजूद गुप्त एंटीबायेटिक खाद्यपदार्थों के बारे में, जोकि शरीर को संक्रमण, वायरल, घातक रोगों से बचाने में सुरक्षा कवच बनाती हैं। शरीर स्वस्थ, निरोग, तन्दुरूस्त बनाये रखने में सहायक है। प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल सेवन शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का उत्तम श्रोत है। स्वस्थ शरीर के लिए प्राकृतिक एंटीबायोटिक बहुत ही महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक एंटीबायोटिक हर्बल / Natural Antibiotics in Hindi / Prakritik Antibiotics Herbal  

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हल्दी एंटीबायेटिक
हल्दी यानिकि हेल्दी है। हल्दी में शरीर से बैक्टीरियल को नष्ट करने की भरपूर क्षमता होती है। हल्दी किंचन में खाने, पकवान, व्यंजन में सेवन इस्तेमाल करना फायदेमंद है। चोट लगने, कटने, फटने, जलने पर हल्दी दूध पीने से शरीर चोट घाव जल्दी ठीक हो जाता है। और फुन्सी, गलन, जख्म खराब होने से बचाता है। कच्ची हल्दी को बारीक पीसकर महीने में एक बार पूरे शरीर पर अच्छे से रगड़ कर लगाने से शरीर के समस्त तरह तरह के त्वचा सम्बन्धित रोग विकार तुरन्त मिटाने में सक्षम है। क्योंकि हल्दी एंटीबायोटिक का रिच भण्डार है। हल्दी को खाने में इस्तेमाल के साथ साथ, दूध में मिलाकर पीने, कच्चे हल्दी की शरीर मसाज ओर भी ज्यादा फायदेमंद है।

शहद एंटीसेप्टिक एवं एंटीमाईक्रोबियल 
शहद एंटीबायोटिक के साथ साथ एंटीसेप्टिक और एंटीमाईक्रोबियल गुणों से सम्पन्न है। शहद पाचन, गला, त्वचा चेहरे के लिए उत्तम दवा का काम करता है साथ में शरीर को अन्दर से संक्रामण एवं बैक्टीरियल होने से बचाता है। तीब्र खांसी, पुरानी खांसी, जुकाम, सर्दी, गला पकड़ने पर अदरक को बारीक पीसकर एक चम्मच शहद में अच्छी तरह घोलकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से बीमारी तुरन्त ठीक हो जाती है। शहद पेट व पाचन तंत्र को दुरूस्त रखने में सक्षम है। शहद का सेवन सप्ताह में 1-2 बार जरूरी है, जोकि होने वाले बीमरियों को असानी से रोकने में सक्षम है।

अदरक एंटीबायोटिक
अदरक एंटीबायोटिक का रिच श्रोत है, अदरक खांसी, सांस समस्या, संक्रामण, जुकाम, सर्दी, व शरीर को आंतरिक रूप से बैक्टीरियल होने से बचाता है। अदरक का सेवन किचन में पकवान, व्यंजन, चाय इत्यादि में रोज जरूर करना चाहिए। अदरक का पाउडर बनाकर कांच की शीशी में रखें जोकि हर मौसम में इस्तेमाल कर सकते हैं। अदरक तीनों गुणों का मिश्रण माध्यम है।

नींम एंटीबायोटिक
नींम एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है। नींम के पत्तों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर सप्ताह में एक बार जरूर लगायें। इससे चेहरे त्वचा पर मुहांसे, फोड़े-फुंसी नहीं होती। नींम के डंठल से दांतुन करने से मुंह में पनपने वाले बैक्टीरियल आसानी से समाप्त हो जाते हैं। अगर डंठल न हो तो, नींम की हरी पत्तियों को सुखा कर कांच की शीशी में रखें और सप्ताह में एक बार मंजन जरूर करें। कई तरह के बैक्टीरियल वातावरण के अनुसार मुंह में पनपते हैं। और संक्रामण सांस, नांक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। ऐसे में नींम बैक्टीरियल संक्रामण को रोकने का अच्छा उत्तम माध्यम है। घर के आंगन में नींम का पेड़ होना यानिकि मच्छर मलेरिया से दूर रहना। नींम वृक्ष की हवा ही अपने आप में एक प्राकृतिक गुणकारी है।

लहसुन एंटीबायोटिक 
लहसुन प्राकृतिक रूप से रिच एंटीबायोटिक श्रोत है। लहसुन को नित्य किंचन में सब्जी, व्यजंन, पकवान में अवश्य सेवन करना चाहिए। रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2-3 कलियां खाने से शरीर को समस्त रोगों विकारों से दूर रखने में सहायक है। लहसुन हर तरह के रोगों को नष्ट करने में फायदेमंद है।

नींबू एंटीबायोटिक 
प्याज सलाद में नींबू निचैड़ कर खाना चाहिए। नींबू में खास तत्व शरीर को विभिन्न तरह के संक्रमण वायरण बीमारियों बचाने में सहायक है। नींबू रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है।

प्याज रिच एंटीबायोटिक
प्याज प्राकृतिक रूप से औषधीय गुणों से भरपूर एंटीबायोटिक है। प्याज सलाद खाना और प्याज रस सेवन गर्मी लू, त्वचा, बालों, कैंसर, दांतों दर्द, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, मिर्गी, कान दर्द, दस्त पेचिश समस्याओं में अचूक औषधि रूप है। प्याज किंचन में पकवान, व्यंजन तैयार करने और सलाद, रस सेवन, मालिश, मसाज रूप में इस्तेमाल करना फायदेमंद है।

ओरीगेनो तेल
ओरीगेनो तेल प्राकृतिक द्वारा एंटीफंगल, एंटीआक्सीडेन्ट, एंटीसेप्टिक एंव एन्टीवायरल गुणों से सम्पन्न है। ओरीगेनो तेल शरीर के अति लाभकारी गुणकारी है। शरीर में पनपने वाले बैक्टीरियल को तुरन्त नष्ट कर देता है।

जैतून तेल 
जैतून तेल में कई तरह के प्राकृतिक रोगरोधक गुण पाये जाते हैं। जैतून में एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीबायोटिक गुण पाये जाते हैं। जैतून तेल बालों पर मालिस और शरीर पर मसाज का बढि़या तेल माना जाता है। 10-15 दिनों में जैतून तेल की मालिस एंव मसाज स्वस्थ शरीर के लिए उत्तम है। जैतून लाभदायक गुणों से भरपूर है।

कलौंजी तेल 
बहुउयोगी कलौंजी तेल रिच औषधि एंटीबायोटिक मिश्रण है। कलौंजी तेल, खांसी कफ, डायबिटीज, पेट पाचन विकार, त्वचा, बालों की समस्याओं से शरीर को दूर रखने में रोगप्रतिरोधक क्षमता बनाये रखता है। कलौंजी तेल एक महाऔषधि रूप है। कलौंजी तेल किंचन में पकवान, व्यजंन, अचार इत्यादि तैयार करने में अवश्य इस्तेमाल करना चाहिए।

अपने रोजमर्या के खान पान सेवन में उपरोक्त एंटीबायेटिक हर्बल, तेल, खाद्यपदार्थों चीजों का सेवन जरूर करें। बीमारी कभी भी अचानक नहीं आती। बीमारी धीरे-धीरे शरीर को अपने आवेश में लेती है। इसलिए जरूरी है कि प्राकृतिक एंटीबायेटिक हर्बल चीजों को सेवन करें और शरीर को होने वाले संक्रामण, वायरल, बीमारियों से बचायें। प्राकृतिक एंटीबायेटिक, बाजार में मौजूद एंटीबोटिक दवाईयों से हजार गुणा फायदेमंद है। और सुरक्षित भी है।