गोखरू पंसारी दुकान पर आसानी से मिल जाता है। या फिर जंगल, सड़क के किनारे, रेतीली जगहों, बंजर जगहों गोखरू पौधे अकसर मिल जाते हैं। गोखरू के फल पीले रंग और हल्का गहरा पीला और स्वाद में गोखरू मधुर और चिपचिपा लगता है। गोखरू फल कोंटों के अन्दर होता है।
गोखरू भारत में लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है। और गोखरू विभिन्न नामों से पुकारते हैं जैसे कोई क्षुरक, गोक्षुर, पल्लेरू काया, भखरा, स्वादुकंटक, गोखरू, त्रिन्कटक, सराते, नेरींजील, गोखयूरा, गुखुरा, पखड़ा, नेगगिलु, बेतागोखारू, चोटा, गोक्शूरा, अंग्रजी में Caltrops Fruit, Small Caltrops, Land Caltrops, Gokhru कहते हैं। गोखरू आर्युवेद में बहु उपयोगी औषधि है। जोकि कई रोगों को मिटाने में सक्षम है। खासकर किड़नी विकारों को तेजी से ठीक करने में सक्षम साबित है।
किड़नी फेल में गोखरू अमृत औषधि / Gokhru for Kidney Failure Remedies / Kidney Failure me Gokhru Amrit Aushadhi

किड़नी रोगों में गोखरू रामबाण दवा
किड़नी रोग ठीक करने में गोखरू सक्षम है। किड़नी डायलिसिस और किड़नी ट्रांसप्लांट जैसे गम्भीर किड़नी समस्या से छुटकारा दिलाने में गोखरू सफल आर्युवेदिक दवा है। किड़नी विकृति में तेजी से सुधार करने में सक्षम है। जिन लोगों की किड़नी से कोई भी समस्या हैं वे गोखरू का काढ़ा और जड़ जरूर सेवन करें। 30-40 दिनों के अन्तराल में गोखरू अपना जादूई असर से किड़नी विकार मिटाने में सक्षम है। गोखरू काढ़ा बनाने की विधि
300 गोखरू को 3 लीटर पानी में हल्की आंच पर 30 मिनट तक उबालें। ठंड़ा होने पर छान कर साफ कांच के शीशी में रख लें। रोज प्रात खाली पेट और रात के खाने से 1 घण्टे पूर्व 1-1 कप गोखरू काढ़ा पीयें। आर्युवेदिक गोखरू काढ़ा पीने के 1 घण्टे बाद ही कुछ खायें पीयें। गोखरू काढ़ा किड़नी बीमारियों को तेजी से ठीक करने में खास अचूक औषधि का काम करती है।
गोखरू किड़नी विकारों के अलावा, वीर्य, शीघ्रपतन, मूत्र समस्याओं से निजात दिलाने में सक्षम है। गोखरू गर्भवती महिलाओं के लिए मना है। और गोखरू सेवन 10 साल से छोटे बच्चों के लिए मना है। आर्युवेद में गोखरू विख्यात औषधि है। किड़नी डायलिसिस और किड़नी ट्रांसप्लांट से आसानीे से बचाने में गोखरू काढ़ा सक्षम साबित हुआ है।