गिलोय बेल बहु उपयोग आर्युवेदिक औषधि है। गिलोय में फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, विटामिनस और मिनरलस बहु मात्रा में मौजूद होते हैं। गिलोय एक तरह से प्राकृतिक एन्टीबायोटिक के साथ एन्टीबायरल औषधि है, जोकि बुखार से लेकर कफ, पित्तनाशक तरह-तरह के रोगों को ठीक करने में सक्षम है।
गिलोय से आजकल कई तरह की दवाईयां बनाई जा रही है। गिलोय के पत्ते दिखने में पान के पत्तों की तरह दिल के आकार में होते हैं। गिलाय पर्वतीय क्षेत्रों, नदी किनारों उत्तराखण्ड, हिमाचल, झारखण्ड, असम, बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय, दक्षिण भारत आदि जगह बहु मात्रा में पेड़ों पर, चट्टानों पर पाई जाती है। आधुनिक विज्ञान की मद्द से गिलोय को खेतों में बेल के रूप में उगाया जा रहा है। रोज सुबह उठकर अगर थोड़ी सी हरी गिलोय बेल चबाकर खाई जाये तो बुखार, जुकाम, कफ, कैंसर, पेट से सम्बन्धित समस्त बीमारियों संक्रामण वायरल दूर करने में अति उत्तम सहायक है।
गिलोय के विभिन्न नाम : गिलोय को कई नामों से जाना जाता है। कोई अमृत वल्ली, गिलोय, गुरुच, गिले लता, गिले बेल, मधुपर्णी, अमृता, छिन्नरूहा, गिलू बेल, चक्रान्गी, गुडुची, अंग्रेजी में Giloy, Tinospora Cordifolia आदि नामों से पुकारा जाता है। प्राचीन काल में गिलाय का उपयोग वैद्य हकीम उपचार के लिए बहु रूप में इस्तेमाल करते थे। आर्युवेद में गिलोय को बहुउपयोग बेल औषधि के रूप में जाना जाता है। गिलोय रोग प्रतिरोधक औषधि है।
गिलोय के औषधीय गुण फायदे / गिलोय औषधि / Giloy Medicinal Uses / Benefits of Giloy in Hindi / Giloy ke Fayde / Giloy Aushadhi

बुखार, जुकाम, कफ, खांसी दूर करे
गिलोय की बेल ड़ठल को सुखाकर रखें। जब बुखार खांसी जुकाम कफ / Fever, Colds, Cough हो तुरन्त गिलोय को बारीक पीसकर 1 चम्मच पाउडर में चुटकी भर सौंठ अदरक पाउडर शहद के साथ सेवन करने से तुरन्त आराम मिलता है।
टाइफाइड, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय औषधि
टाइफाइड, डेंगू और चिकनगुनिया होने पर नित्य सुबह खाली पेट गिलोय बेल ड़ठल चबाकर रस चूसें। गिलोय डंठल रस टाइफाइड, डेंगू और चिकनगुनिया को तेजी से ठीक करने में अचूक औषधि रूप है।
कैंसर दूर करे गिलोय
कैंसर जैसे घातक रोगों को रोकने में गिलोय काढ़ा सक्षम है। 50 ग्राम गेहूं को अंकुरित करें। गेहूं 4-5 इन्च जमने पर नीचें की जड़ काट कर अलग कर दें। ऊपर की हरी कोमल गेहूं के तनों, नींम हरे पत्ते, अदरक सौंठ, तुलसी पत्ते, गिलाय सभी को बारीक पीस लें। सभी मिश्रण को एक गिलास पानी में घोलकर रोज सुबह शाम पीने से कैंसर में धीरे धीरे सुधार होता है। लगातार गिलोय काढ़ा पीने कैंसर ठीक हो जाता है।
चेहरा की झुर्रियां दाग दूर करे गिलोय
चेहरे पर झुर्रियां दाग पड़ने पर गिलोय को बारीक पीसकर पेस्ट बना लें, गिलोय पेस्ट में चंदन पाउडर मिलाकर चेहरे पर 20 मिनट तक लेप लगाकर रखें। सूखने पर साफ पानी से धो लें। साबुन का इस्तेमाल न करें।
पाचन तंत्र ठीक करे गिलोय
गिलाय पाचन को दुरूस्त रखने में सक्षम है। रोज सुबह उठकर हरी गिलोय बेल चबाकर खाने से फूडपाइजन, गैस, एसिडटी, कब्ज, उल्टी, दस्त की समस्या दूर हो जाती है। प्राचीन काल में लोग घर के आंगन में गिलोय की बेल अवश्य लगाते थे। गिलोय वक्त वक्त पर बहुउपयोग आर्युवेदिक बेल है।
पीलिया दूर करे गिलोय
पीलिया होने पर व्यक्ति को रोज गिलोय और गन्ने का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए। पीलिया को गिलोय गन्ना रस शीध्र ठीक करने में सक्षम है। पीलिया में मूली की हरी पत्तियां रोगी को देने से ओर जल्दी पीलिया ठीक हो जाता है।
डायबिटीज नियंत्रक गिलाय
डायबिटीज होने पर रोज सुबह शाम गिलोय को बारीक कूट पीसकर रस सेवन करें। शुरूआती डायबिटीज को तुरन्त ठीक करने में गिलोय सक्षम है।
रक्त विकार दूर करे गिलोय
फोड़े, फुन्सी, खुजली, त्वचा रोग में, गिलोय चबाकर सुबह खाली पेट खाने से रक्त विकार धीरे धीरे मिट जाते हैं। गिलोग रक्त साफ करने में सक्षम है।
आंखों की रोशनी बढ़ाये गिलोय
आंखों की रोशनी कम होने पर, निकट दृष्टि दोष, दूर दृष्टि रोग होने पर रोज गिलोय और आंवला को पीसकर रस सेवन करने से आंखों की Light Fastness / रोशनी तेजी से बढती है।
मोटापा कम करे गिलोय
गिलोय, हरड, बेहड़ा, आंवला, काली मिर्च, अजाइन सभी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर 1 लीटर पानी में हल्की आंच में पकायें। काढ़ा का सेवन सुबह शाम करने पर शरीर पर जमी फालतू चर्बी तेजी से घटती है। वजन बढ़ने पर पांव एड़ियों के दर्द से तुरन्त छुटकारा मिलता है।
कान दर्द, त्वचा जलन और शरीर की झंझनाहट दूर करे गिलोय
लगातार शरीर में झंझनाहट और त्वचा में जलन रहने पर रोज गिलाय लता सेवन करने से त्वचा विकारों से छुटकारा मिलता है। कान दर्द होने पर गिलोय को सरसों तेल में पका कर गुनगुना रस कान में डालने से तुरन्त कान दर्द से आराम मिलता है। बाद में रूई के सहायता से कानों का मैंल साथ कर निकाल लें।
गिलोय बेल घर के आंगन में या गमले में जरूर लगाये, गिलोय प्राकृति अमृत औषधि है। गिलोय बुखार से लेकर सैकड़ों बीमारियों संक्रामण वायरल दूर करने में सहायक है। इसीलिए गिलाये को आर्युवेद में अमृत महा औषधि कहा जाता है।