नाभि टलने के लक्षण और निवारण खास उपाय नाभि शरीर का केन्द्र विन्दु माना जाता है। अकसर देखा गया है कि व्यक्ति अचानक कोई वजन उठाने पर, या छुकने पर पेट की नाभि की नशों में हलचल होने से नाभि टल जाती है। जिससे नाभि केन्द्र धुरी अपनी जगह से छोड़ा हट जाती है। पुरूर्षों की नाभि बाई तरफ को हटती है। और स्त्रियों की नाभि दायें तरफ को हटती है।
सुबह उठकर बिना कुछ खाये पीये यह 5 तरीका करें :
नाभि टलने पर क्या खायें
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नाभि टलने पर लक्षण
- पेट में जलन
- हल्का तेज दर
- फेफड़ों हृदय पर असर पड़ना
- पेट पाचन पर असर पडना
- भूख अचानक कम हो जाना
- हल्का बुखार महसूस करना
- अमाशय, अग्नाशय पर प्रभाव पड़ना
- शरीर का टूटना यानि आलस्य अपने आप आना।
- शरीर की ऊर्जा स्फूर्ती कम महसूस करना।
सुबह उठकर बिना कुछ खाये पीये यह 5 तरीका करें :
- चटाई बिछा कर जमीन पर पेट के बल लेट जायें। फिर पैर पीछे से पीठ की तरफ मोड़कर दायें हाथ से बायें पांव का अगूठा और बायें हाथ से दायें पांव का अंगूठा पकड़ कर नाभि खिचाव धीरे धीरे खिचाव बनायें। धनुष की मुद्रा में 2 मिनट रूकें। फिर धीरे धीरे पांव सीधे करें। और रूकी सांस छोडें। इसी तरह दुबारा लम्बी सांस लें। और यही प्रक्रिया 3-4 बार करें।
- तड़के उठकर बिना किसी से बात कर लकड़ी चारपाई का एक पहिया, खाली चारपाई टांग जमीन पर लेट कर नाभि पर 5 मिनट तक रखें। इस दौरान लम्बी सांसे लें, और फिर सांसे छोड़ें। इससे धरण नाभि अपने स्थिति में आने लगती है।
- सुबह बिना कुछ खाये पीये पार्क में या घर में बने किसी बिम्ब आदि में देर तक लटकें। हाथ थकने पर 1 मिनट आराम करने पर फिर लटकें और शरीर का पूरा वजन ऊपर की तरफ उठायें। यह तरीका नाभि धरण में असरदार है।
- पार्क में बने लोहे के नल, झूलें के नल आदि में लटकें। फिर हाथ पावों को जोर जोर से झटकायें। हाथ थकने पर उतरे फिर लटकें और पांवों को जोर जोर से जमीन की तरफ झटकायें। इससे नाभि पहले वाली स्थिति में आ जाती है।
- नाभि टलने पर पेट पर पड़ने वाले योगा व्यायाम करें। इससे नाभि शीघ्र अपनी स्थिति में आ जाती है।
नाभि टलने पर क्या खायें
- पेटदर्द होने पर गुड़ और सौंफ को मिलाकर कर दो वक्त सुबह शाम सेवन करें।
- तेज मसाले, तली चीजें नाभि टलने के दौरान बन्द कर दें।
- एक चम्मच आंवला रस में 5-6 बूंद अदरक रस मिलाकर सेवन करें।
- मूंगदाल खिचड़ी हल्का खायें। सख्त और ज्यादा खाने से बचें।
- एक चम्मच शहद और तुलसी पत्तों का रस मिश्रण सुबह दोपहर शाम सेवन करें।