गर्भवस्था के दौरान खान-पान के बारे में सर्तकता बर्तनी जरूरी है। कुछ खास चीजें गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए। जिससे गर्भ गिरने का डर बना रहता है। अकसर कई बार खानपान में गड़बड़ी की वजह से गर्भ नहीं ठहरता और मिसकरेज हो जाता है। अकसर गर्भवती महिलाऐं के लिए खास संतुलित पौष्टिक आहार डाईट चार्ट की जरूरत होती है। जिसे जच्चा-बच्चा केन्द्र में डाॅक्टर एक्सपर्ट की सलाह से बनवायें।

गर्भावस्था के दौरान नहीं खाये जाने वाली चीजें / AVOID FOODS DURING PREGNANCY / PREGNANCY ME KYA NA KHAYE

प्रेग्नेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए
- पपीता गर्भावस्था के दौरान नहीं खाना चाहिए। पपीता खाने से गर्भ गिरने का डर बना रहता है।
- गुड़ बैंगन सब्जी खाने से बचें। गुड और बैंगन तुरन्त गर्भपात करा सकता है।
- नींबू, संतरे गुड़ का सेवन गर्भावस्था में वर्जित है। नींबू संतरा गुड़ का सेवन गर्भ को गिरने का डर बना रहता है।
- सब्जियों में बैंगन, कटहल की सब्जी अचार खाने से बचना चाहिए। बैंगन कटहल गर्भपात करा सकता है।
- तेज मसाले, खासकर इलायची, लहसुन, कलौंजी गर्भावस्था के दौरान नहीं करें तो अच्छा है।
- उड्द की दाल और कच्चे अधपके चावल गर्भावस्था के दौरान वर्जित है।
- गर्भावस्था में ज्यादा गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए।
- नहाने के तुरन्त बाद सोयाबीन खाद्यपदार्थ, अनानाश, गर्म दूध शहद् का सेवन नहीं करना चाहिए।
- बूबूल, पिनरोल, अमरबेल सेवन से बचें। ये चीजें गर्भपात करा सकती है।
- ज्यादा विटामिन सी वाली चीजें सेवन नहीं करें।
- मछली और नींबू खाना गर्भावस्था के दौरान किसी खतरे से खाली नहीं।
- चीज, पनीर, सोयाबीन खाद्यपदार्थों का लगातार खाने से गर्भ गिर सकता है। गर्भावस्था में ज्यादा दुग्ध पदार्थ सेवन न करें।
- अधपका दूध, अधपका अण्डा, अध पका मीट, अध पका खाना इत्यादि का सेवन नहीं करें। अध पका फूड तुरन्त गर्भ पर बुरा असर डालता है।
- गर्भावस्था के दौरान शराब, वीयर, गुटका, तम्बाकू, नशीले पदार्थ हानिकारक है। नशीलें पादक चीजें गर्भ गिराने में सहायक होती हैं।
गर्भावस्था में अचार, सोड़ा पेय, जंकफूड बाहर के खाने से बचें। इस तरह का खाना गर्भ गिरा सकता है। गर्भावस्था के दौरान हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, फलों का रस, दुग्ध पदार्थ सीमित मात्रा में, मेवा, डाईफूटस, ताजा खाना एवं पौष्टिक संतुलित आहार खायें। पेटभर कर न खायें। समय समय पर फल, पौष्टिक खाद्यपदार्थ कम कम कर अन्तराल में खाते रहें। समय समय पर जच्चा-बच्चा केन्द्र डाॅक्टर की जांच और सुझाव लेते रहें।