स्त्रियों में मासिक धर्म महावरी का होना प्राकृतिक है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली पीड़ा दर्द में शीशम की पत्तियों का 1-2 चम्मच रस सुबह शाम सेवन करने से दर्द से तुरन्त आराम मिलता है। शीशम मासिक धर्म में फायदेमंद है।
मासिक धर्म और धात रोग का आर्युवेदिक ईलाज / HOME TREATMENT FOR FERTILIZATION ANATOMY IN HINDI / DHATU ROG KA ILAJ

धात रोग, वीर्य रोग दूर करें शीशम
शीशम की हरी 10-12 पत्तियां, 1 चम्मच शक्कर के साथ मिलाकर बारीक पीस लें। महिलाओं में अनियमित वीर्य आना समस्या को दूर करने में शीशम सक्षम है। लम्बे से समय से धातु वीर्य रोग होने पर शीशम के बीज और पत्तियों दोनों बारीक पीसकर को मिलाकर एक कप दूध में 1 चम्मच मिलाकर छानकर पीने से धात वीर्य रोग से जल्दी आराम मिलता है।
धातरोग में शिलाजीत और अश्वगंधा
धातु रोग - वीर्य का अचानक आने पर शिलाजीत और अश्वगंधा बराबर मात्रा यानि कि लगभग 1 चम्मच के बाराबर मिश्रण सेवन करने से धातुरोग-वीर्य निकासन समस्या से जल्दी छुटकारा मिलता है।
कच्चे पपीता शीशम
धात रोग होने पर कच्चा पपीता मिक्सी कर एक कप रस में एक चम्मच शीशम पत्तों का रस, आधा चम्मच गाय का घी मिलाकर सेवन करने से वीर्यपतन धात रोग से छुटकारा मिलता है।
सफेद मसूली पाउडर
आधा चम्मच मसूली पाउडर को एक गिलास शुद्ध दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से घात रोग 10-15 दिनों में ठीक हो जाता है।
आर्युवेदिक मसाले
छाटी इलाइची, बंशलोचन, शतावरी, मुलहठी, को बारीक पीसकर आधा चम्मच शक्कर मिलाकर 1 गिलास दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से धात रोग शीघ्र ठीक हो जाता है।