टाइफाइड सालमोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया से होता है। जिसे मियादि बुखार भी कहा जाता है। टाइफाइड गंदा पानी पीने से, टाइफाइड ग्रसित व्यक्ति का साथ खाने से, स्वच्छ न रहने से, मौसम हवा के प्रभाव बदलाव, शरीर का तापमान बाहरी तापमान में बदलाव इत्यादि से टाइफाइड बुखार हो जाता है। टाइफाइड किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। टाइफाइड होने पर केवल एन्टीबायोटिक दवाईयां औषधि के सेवन से ही टाइफाइड-मियादि बुखार का ठीक होना सम्भव है। टाइफाइड होने पर तुरन्त उपाचार करें अन्यथा टाइफाइड ज्यादा दिनों तक रहने से संक्रमित रोगी की मौत सम्भव है। टाइफाइड बुखार होने पर अगर नियमित दवाईयां संयम परहेज देखभाल करने से टाइफाइड 10-15 दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाता है।

टाइफाइड बुखार के मुख्य लक्षण
सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करने से आरम्भ लीवर को ग्रसित करता है। लीवर के माध्यम से शरीर को कमजोर संक्रमित कर देता है। शरीर में मौजूद स्वेत सफेद रक्त कण रोगों विकारों से लड़ते हैं। टाइफाइड बैक्टीरिया कण को नियत्रंण करते करते सफेद रक्त कण कमजोर पड़ जाते हैं और फलस्वरूप बुखार नियत्रंण में नहीं रहता। जैसे जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती घटती है वैसे वैसे सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया बुखार अपनी स्थिति बदलता है। टाइफाइड बुखार में सेल्स प्लेटस को कम होने का खतरा बना रहता है। टाइफाइड होने पर केवल एन्टीबायोटिक दवाईयां - औषधि के सेवन से ही टाइफाइड-मियादि बुखार का ठीक होना सम्भव है।
टाइफाइड बुखार उपचार / टाइफाइड बुखार के लिए घरेलू उपचार / TYPHOID FEVER CAUSES, SYMPTOMS AND TREATMENT IN HINDI, TYPHOID FEVER IN HINDI / TYPHOID KE LAKSHAN

टाइफाइड बुखार के मुख्य लक्षण
- अचानक तेज बुखार आना
- बुखार के साथ साथ ठंड और गर्मी लगना
- बुखार अचानक बढ़ना और घटना
- बुखार 104 डिग्री सेल्शियस तक पहुंच जाना
- पसीना आना
- पेट दर्द होना
- सर दर्द होना
- शरीर टूटना
- छोड़ा भी पैदल चलने में चक्कर और थकावट महसूस होना
- टाइफाइड में बच्चों का पेट खराब होना
- 10 दिन से ज्यादा टाइफाइड बुखार रहने पर अलसर होना
सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करने से आरम्भ लीवर को ग्रसित करता है। लीवर के माध्यम से शरीर को कमजोर संक्रमित कर देता है। शरीर में मौजूद स्वेत सफेद रक्त कण रोगों विकारों से लड़ते हैं। टाइफाइड बैक्टीरिया कण को नियत्रंण करते करते सफेद रक्त कण कमजोर पड़ जाते हैं और फलस्वरूप बुखार नियत्रंण में नहीं रहता। जैसे जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती घटती है वैसे वैसे सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया बुखार अपनी स्थिति बदलता है। टाइफाइड बुखार में सेल्स प्लेटस को कम होने का खतरा बना रहता है। टाइफाइड होने पर केवल एन्टीबायोटिक दवाईयां - औषधि के सेवन से ही टाइफाइड-मियादि बुखार का ठीक होना सम्भव है।
टाइफाइड बुखार से बचने के उपाय
- टाइफाइड होने पर तुरन्त डाॅक्टर से परामर्श जांच उपचार शुरू करवायें।
- टाइफाइड का सही इलाज केवल एन्टीबायोटिक दवाईयों - औषधि से ही सम्भव है।
- टाइफाइड होने पर अदरक लहसुन को बारीक पीसकर गर्म पानी के साथ सेवन करें। अदरक लहसुन प्राकृतिक एन्टीबायोटिक है।
- टाइफाइड बुखार के दौरान जब भी प्यास लगे गर्म पानी को हल्का गुनगुना कर ही पीना चाहिए। पानी में ग्लूकोज-डी, और आयरन घोल मिलाकर सेवन करें।
- रोज सुबह शाम लहसुन की 2-3 कलियां और 3-4 पुदीना पत्तियां खायें। लहसुन पुदीना प्लेटस सेल्स को सुधारने में सहायक है।
- टाइफाइड ज्वर में सेब जूस को 2 चम्मच तुलसी पत्तों के साथ मिलाकर सेवन करने से टाइफाइड बुखार में तेजी से सुधार होता है।
- गाजर रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से टाइफाइड बैक्टीरिया तेजी से नष्ट होता है।
- टाइफाइड में प्लेटस सेल्स कम हो जाने का डर बना रहता है। रोज पपीता पत्तों का रस और आंवला रस मिश्रण कर सेवन करें।
- टाइफाइड बुखार में तेजी से सुधार लाने में गिलोय चबायें। गिलोय रस सेवन टाइफाइड मात देने सहायक है।
- टाइफाइड बुखार के दौरान गाय, भैंस का दूध सेवन नहीं करना चाहिए।
- गाय, भैंस के दूध के बजाय बकरी दूध पके पपीता टाइफाइड बुखार में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। जल्दी ब्लड प्लेट्स बढ़ाने के लिए बकरी दूध के साथ पके पपीता खायें। बकरी का दूध टाइफाइड बुखार में प्लेट्स बढ़ाने में सहायक है।
- टाइफाइड पीड़ित व्यक्ति की सही तरह देखभाल करें, साबुन, तौलिया, कपड़ा, सयन कक्ष अलग रखें। समय पर कपड़े, चादर, साबुन इत्यादि बदलें।