घर-आंगन, मन्दिरों में तुलसी पौधे की पूजा सदियों से हिन्दू धर्म में प्रचलित है। तुलसी को पवित्र देवी का रूप माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं अनुसार तुलसी पत्तों की बनी माला से लक्ष्मी पूजा करने से घर में धन सम्पदा समृद्धि आती है। साथ में तुलसी पूजा से वास्तु दोष, देव दोष, पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
चांदी का बना सर्प को गाय के कच्चे दूध में डुबोकर तांबे वर्तन में रखें, धतूरा, बेलपत्र, अक्षत पूर्व की ओर रखें, सभी चीजें तुलसी जड़ में रखकर, तुलसी जड़ में रोली बांधकर, गाय के घी का दीपक जलाकर पूजा करने से तीनों देव प्रसन्न रहते हैं। तुलसी विष्णु प्यारी, धतूरा बेलपत्र महादेव शिव प्रिय, तुलसी पौधे की जड़ में ब्रह्मा निवास माना जाता है। माना जाता है कि तुलसी की पूजा सुबह उठकर निवृत, नहाकर स्वच्छा होकर, पवित्र जल चढ़ाने से घर में सुख शान्ति समृद्धि के द्धार खुल जाते हैं।
गणेश और तुलसी की पूजा एक साथ नहीं की जाती है। रविवार को तुलसी को पानी नहीं चढ़या जाता। तुलसी के आस-पास गंदगी होने पर तुलसी खुद ही सूख कर नष्ट हो जाती है। तुलसी सूखने पर तुरन्त दूसरा पौधा लगाये, सूख तुलसी को नदी, स्वच्छ तालाब, स्वच्छा जगह पर विर्सजित किया जाता है। तुलसी घर पर लगाने से नाकारात्मक सोच समाप्त होती है। और सकारात्मक ऊर्जा बनती है। हिन्दू धर्म अनुसार तुलसी को देवी देवाताओं का निवास स्थान माना जाता है। तुलसी का घर-आंगन-मंदिर में होना सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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तुलसी में मौजूद औषीय तत्व गुण
आर्युवेद चरक संहिता ग्रंथ में तुलसी को चमत्कारी औषधि माना गया है। पवित्र तुलसी आस्था के साथ-साथ महा औधषि भी है। वैज्ञानिक शोधों द्धारा तुलसी के औषधीय गुणों को सत्य साबित किया जा चुका है। तुलसी पौध हर घर में जरूर लगानी चाहिए। तुलसी पत्ते सेवन से बच्चे बड़े सभी चमत्कारी औषधीय गुणों का फायदे ले सकते हैं। तुलसी में विटामिन-ए, बी-कम्पलैक्स, सी के, थाइमोल, कैल्शियम, फास्फोरस, फॉलेट, आयरन, मैग्नीशीयम इत्यादि तत्व गुण मौजूद हैं। तुलसी धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ रोग निवारण महा-औषधि भी है। तुलसी के पौध अलग-अलग प्रकार की होती हैं, जैसे श्यामा तुलसी, रामा तुलसी, गौरी तुलसी कृष्णा तुलसी, स्वेत तुलसी इत्यादि हैं। तुलसी के पत्तों का रंग दो तरह के होते हैं। गहरा हरा और हरा। तुलसी एंफ्लुएंजा, एन्टीबायोटिक, एन्टीबैक्टीरियल मिश्रण गुणों का रिच श्रोत है। सर्दी, खांसी, जुकाम से लेकर जहर नाशक, त्वचा निवारण, पेट सम्बन्धित विकारों को दूर करने में सहायक पाई गई है। रोज तुलसी पत्तों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाने में सहायक है। शरीर को संक्रामण वायरल और शरीर में पनपने वाले रोगों को नष्ट करने में सहायक है।
तुलसी के आयुर्वेदिक उपयोग
- त्वचा संक्रामण होने पर तुलसी के पत्तों को रगड़ कर लगाने से त्वचा संक्रामण नियत्रंण करने में सहायक है।
- फ्लू होने पर तुलसी के पत्तों का रस सेंधा नमक के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
- सर्दी खांसी में तुलसी पत्ते और मुहलटी के साथ चबाकर सेवन करने से खांसी गले की खर्राश जल्दी ठीक करने में सहायक है।
- बुखार आना, शरीर टूटने पर तुलसी के पत्तों को चबाना और तुलसी पत्तों का रस ठंडे पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद है।
- रक्तचाप नियत्रंण करने के लिए 2 चम्मच तुलसी पत्तों का रस 1 नींबू के साथ सेवन करने से रक्तचाप तुरन्त नियत्रंण में करने में सहायक है।
- दांतों के दर्द में तुलसी के पत्तों को लौंग के साथ कूट कर दांतुन करना और तुलसी के पत्तों को लौंग के साथ चबाने से दर्द से आराम मिलता है। दांतों में कीड़ा लगने पर दर्द से आराम के लिए तुलसी पत्ते, कूपर, लौंग दांतों से दबाकर रखने से आराम मिलता है।
- लम्बे समय से खांसी रहने पर तुलसी के पत्तों और अदरक को शहद् के साथ सेवन करने से खांसी ठीक करने में सहायक है।
- कांन में दर्द होने पर तुलसी के पत्तों और प्याज के रस को मिलाकर 2-3 बूदें कांन डालने से तुरन्त आराम मिलता है।
- त्वचा पर दाद पड़ने पर तुलसी के पत्तों को नींबू रस के साथ रगड़कर लगाने से दाद से जल्दी छुटकारा दिलाने में सहायक है।
- खट्ठे डकार, मुंह से बदबू आने की समस्या में रोज 2-3 तुलसी पत्तें चबाकर खाने से समस्या से आराम मिलता है।
- शरीर पर बने चोट घाव सूजन में तुलसी के पत्तों का बना लेप लगाना, सूजन घटाने में सहायक है।
- मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में तुलसी पत्तों का सेवन और तुलसी बीज का रस पीने से मासिक धर्म में दर्द पीड़ा से आराम मिलता है।
- चेहरे त्वचा पर कींल, मुहासों, फुंसी होने पर तुलसी के पत्तों का रस, नींबू, दूध मलाई के साथ मिलाकर लगाने से त्वचा से विकार मिटाने में सहायक है।
- किड़नी में पथरी होने पर तुलसी के पत्तों का उबला पानी सुबह, दोपहर, शाम लगातार 10-15 पीने से पथरी दर्द और पथरी घटाने में सहायक है।
- तुलसी पत्तों को रोज खाने से रक्त साफ करने और शरीर से विषाक्त नष्ट करने में सहायक है।
- पेट दर्द, पाचन सम्बधित विकार दूर करने में तुलसी पत्तों की बनी चाय पीना फायदेमंद है।
- तुलसी के पत्तों को तांबे वर्तन पानी में डुबों कर रखें। 6-7 घण्टे बाद पानी सेवन करने से शरीर समस्त पेट सम्बन्धि विकारो से मुक्त रहता है। यह प्रक्रिया रोज करें।
- मलेरिया बुखार होने पर तुलसी के पत्तों और काली मिर्च का काढ़ा पीने से मलेरिया जल्दी ठीक करने में सहायक है।
- सुबह-सुबह तुलसी के पत्तों का चबाकर खाने से माईग्रन समस्या से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
- डायबिटीज होने पर रोज 2-3 तुलसी पत्तों को 1-2 नींब के पत्तों के साथ सेवन करने से शर्कर लेवन नियत्रंण में रखने में सहायक है।
- कैंसर ग्रसित व्यक्ति के लिए तांबे वर्तन पानी में तुलसी पत्तों को रातभर डुबों कर सुबह पानी पीना फादेमंद है। तांबे वर्तन पानी और तुलसी पत्तें रिच एन्टाऑक्सीटेन्ट हैं।
- धूम्रपान लत छुटाने लिए तुलसी पत्ते और सौंफ एक साथ चबाकर खाने से धीरे-धीरे धूम्रपान लत छूट जाती है। तुलसी और सौंफ मिश्रण रक्त से तेजी से निकोटीन साफ करने में सहायक हैं।