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भोजन करने के सही तरीके Eating Rules in Hindi

भोजन करने के गलत तौर तरीकों और भोजन करते समय के गलत आदतों से शरीर में बीमारियों के कीटाणुओं, जीवाणु, गन्दी, धूल कण भोजन के माध्यम से पेट शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। जिससे पेट गैस, कब्ज, एसिडिटी, अपचन, दंत रोग आदि तरह-तरह के विकारों से व्यक्ति ग्रसित हो सकता है। खाने के खास नियमों को ध्यान में रखकर भोजन से होने वाले बीमारियों एवं विकारों से बचा जा सकता है। खाने के सही तौर तरीके व्यक्ति को स्वस्थ निरोग लम्बी आयु जीने में सहायक होती हैं। भोजन करने के सही तरीके शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जरूरी बन जाते हैं। जिन्हें प्रतिदिन खाते समय करना जरूरी हो जाता है।

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हाथ साफ सफाई 
खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धो लें। हाथों की त्वचा में कीटाणु आसानी से चिपक जाते हैं। शोध में पाया गया है कि हाथों की त्वचा पर हजारों कीटाणु हर समय सक्रीय रहते हैं। जोकि खाते वक्त आसान पेट में प्रवेश कर जाते हैं। खाने से पहले हाथों से मैल, गन्दगी, कीटाणुओं को धोना नहीं भूलें।

खाने में साफ सुथरे बर्तनों का इस्तेमाल 
खाने से पहले प्लेटस, कटोरी, बाउल, चम्मच आदि को स्वच्छ करें। बर्तनों पर भी कीटाणु छुपे होते हैं। खाने से पहले एक फिर बर्तनों को साफ करना ना भूलें। गन्दे बर्तन इस्तेमाल भी शरीर को रोगी बनाते हैं।

बेलेस डाईट 
खाने में संतुलित पौष्टिक आहार डाईट में शामिल करें। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन का युक्त चीजे खाने में शामिल करें। जिसमें हरी सब्जियां, दालें, साबुत अनाज, फल जूस, तरल चीजें, फल, देशी घी, दही, फलियां, डाईफूटॅस, मेवा शामिल करें। डाईट बैलेंस नहीं होने से कई विकार हो जाते हैं। संतुलित पौष्टिक आहार रोज खायें।

भोजन समय सीमा 
ब्रेकफास्ट करना ना भूले, कई लोग ब्रेकफास्ट मिस करते हैं। सुबह, दोपाहर, रात्रि खाने का वक्त निधरित कर लें। रोज एक ही समय अवधि पर भोजन करें। दोपहर, रात्रि भोजन हल्का खायें। ब्रेकफास्त हेल्दी हेवी रखें।

बासी खाने से बचे
बासी खाने से बचें। ताजा पौष्टिक खाना खायें। अकसर कुछ लोग बासी खाने के गर्म कर खाना पसंद करते हैं। अकसर बासी खाने में कीटाणु जीवाणु पनपने लगते हैं। जोकि बीमारी विकार का एक कारण है। स्वस्थ रहने के लिए हमेशा पौष्टिक खाना लें।
जूठा खाना 
जूठा खाने से बचें। अकसर कई बीमारियां विकार जूठन खाने से एक-व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में जूठन के माध्यम से प्रवेश कर जाती हैं। जैसे दांतों के रोग, पेट विकार, त्वचा रोग, संक्रामण, वायरल आदि। हमेशा जूठे खाने से बचें।

हल्का खाना 
खाना पेट भर ना खायें। ज्यादा खाने से गैस, एसिडटी, कब्ज की समस्या का एक कारण है। अकसर 40 वर्ष के उपरान्त पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है। ज्यादा खाने से पेट विकार बीमारियां पैदा कर सकती हैं।

चिकनाई पौष्टिक खाना
भोजन ज्यादा गला, पका नही खायें। ज्यादा गला पका भोजन आंतों पर चिपकने का भय बना रहता है। जोकि देर से पाचनक्रिया करता है। जिससे पेट के विकार होने की सम्भावनाऐं ज्यादा बन जाती हैं।

चबाकर खाना 
खाने को बारीक चबा-चबा कर खायें। भोजन को बारीक चबाकर खाने से भोजन में लार की मात्रा प्रचुर मात्रा में मिल जाती है। जिससे भोजन आसानी से पच जाता है। और भोजन के सारे पौष्टिक गुण शरीर को आराम से मिल जाते हैं। जल्दीबाजी में भोजन न करें।

बिना भूख खाना 
कई बार व्यक्ति बिना भूख के भी खाना पसंद करता है। जिससे पाचनतंत्र गड़बड़ होने के ज्यादा सम्भावनाऐं बन जाती है। खाना सही तरह से नही पचने से गैस, बदहजमी, एसिडिटी समस्याऐं हो हो जाती हैं। भूख पर ध्यान दें। खाना तभी खायें जब भूख हो। फालतू खाने से बचें। खाना पेट भूख महसूस स्थिति में ही लें।

प्रर्याप्त खाना 
खाना पेट भरकर न खायें। भूख से लगभग 20 प्रतिशत कम खायें। पेट भर कर खाने से सांस में दिक्कत, पाचन गड़बड़, फैट विकार हो सकता है।

नहाने के बाद खाना 
नहाने के बाद खाना से रक्त संचार तीब्र और पाचन क्रिया दुरूस्त और शरीर में ऊर्जा संचार सक्रीय रहती है। अकसर कई लोग नहाने के तुरन्त बाद खाना पसंद करते हैं। नहाने के 30-35 मिनट बाद ही खाना खाना चाहिए। नहाने के तुरन्त बाद खाने से पाचन संतुलन बगड़ने का कारण बन जाता है।

खाने में अन्तराल 
खाने में लगभग 5 घण्टे का अन्तर रखें। बार-बार खाने से बचें। कई बार व्यक्ति बाजार बाहरी चीजें देखकर ललचाता है। और जिससे घर के खाने के रूटीन पर असर पड़ता है। और पाचन प्रक्रिया बिगड़ जाती है।

खाते समय पानी पीना 
खाते समय साथ में पानी पीने से बचें। भोजन से 10 मिनट पहले 1 गिलास पानी पीयें। और भोजन के 30-35 मिनट बाद एक पानी पीयें। सही तरीके से पानी पीने से भोजन आसानी से पचने और पाचन क्रिया से पौष्टिक तत्व आसानी से ग्रहण कर लेता है।

खाते वक्त बुरी आदते 
खाते समय बातें करना, हंसना, फोन सुनना, चलते-फिरते खाना पीना, खड़े होकर खाना, आदि आदतों से दूर रहें। खाते समय आराम से शान्त बैठकर भोजन करें। गलत आदतों से खाना गले, सांस नली में फंस सकता है। पाचन क्रिया प्रभावित हो सकता है। दूध, दही विपरीत तत्व वाले चीजें एक साथ खाने से बचें। खाना बाहर दिखाकर न खायें। भोजन मुंख उपरान्त मुंह बन्द कर चबाकर खायें। इससे वाहरी जीवाणु, धूल कण मुंह में जाने से बच जाते हैं। वायु में लाखों तरह के जीवाणु, कीटाणु, धूलकण हर दम सक्रीय रहते हैं, जिन्हें सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।

लंच उपरान्त टहलना 
लंच के बाद 10-15 टहलें। अधिकत्तर लोग लंच करने के बाद टहलना पसंद करते हैं। जोकि अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। भोजन उपरान्त 10-15 मिनट आराम और टहने से पाचन क्रिया दुरूस्त रहती है। खाने के तुरन्त बाद तुरन्त बैठने, भारी वजन उठाने, काम करने से बचें।

डिनर उपरान्त सोना 
रात्रि भोजन के तुरन्त उपरोन्त सोये नहीं। हमेशा डिनर सोने से 3-4 घण्टे पहले करना चाहिए। सोने से पहले 10-15 मिनट टहलें। यह तरीका पाचन दुरूस्त और शरीर को निरोग बनाने में सहायक है। भोजन उपरान्त टहलना फायदेमंद है।

सोने से पहले पानी पीना 
सोने से 10-15 मिनट पहले 1 गिलास पानी पीयें। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है। नींद अच्छी होती है। और त्वचा में ग्लो बनी रहती है। सोने से पहले पानी पीने से पाचन और त्वचा विकार मुक्त रहती है।

शांत एकाग्रता 
भोजन करते समय शान्त प्रसन्न होकर खाना खायें। गुस्से, इमोशन, नेगेटिव न रहें। पाजिटिव सोच रखें। शांत प्रसन्नचित होकर भोजन करने से मस्तिष्क में एकाग्रता, पाचन स्वस्थ सुचारू, मन में शीतलता बनी रहती है। गुस्सा, नेगेटिविटी, इमोशन, दोष भावना, कलह मन से निकाल देनी चाहिए।