मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार Epilepsy in Hindi Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार Epilepsy in Hindi - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार Epilepsy in Hindi

मिर्गी (एपिलेप्सी) दिमाग यानि मस्तिष्क तंत्र से जुड़ी बीमारी है। जिसमें मस्तिष्क विघुत तरंग विघटन होने पर मस्तिष्क कोशिकओं का शरीर अंगों से अचानक तालमेल बिगड़ जाता है। जिसे र्मिगी दौरा माना जाता है। मिर्गी स्थिति में व्यक्ति अचेत, मूर्छित, शरीर झटपटाना, मुंह से झाग आना, बेहोशी में चला जाता है। और मिर्गी दौरा पड़ने पर व्यक्ति की मांसपेशियों शरीर अकड़ ऐठ जाता है। बार-बार इस तरह के संकेत होने पर उसे मिर्गी दौरा कहा जाता है। मिर्गी दौरे की कोई समय सीमा नहीं होती। मिर्गी दौरा कभी भी रोगी को पड़ सकता है। अकसर मिर्गी दो तरह से होती है। पहला आंशिक रूप, आंशिक रूप दौरा कुछ समय तक रहता है। शुरूआती तौर पर सामान्य लक्षण मौजूद होते हैं। आंशिक र्मिगी दौरे को नजरअंजाद ना करें, समय पर इलाज करवायें। और दूसरा तीब्र व्यापक रूप जिसमें व्यक्ति अचेतना के साथ शरीर हाथ पांव मारना, शरीर अंग अंग पर रगड़, गिरने से सिर, हाथ, पैर चोट लगना, मुंह झाग आदि शामिल है। Mirgi का इलाज मुख्यतय मिरगी रोधी दवाईयों और मस्तिक आपरेशन द्धारा किया जाता है। र्मिगी रोग का वक्त पर सही इलाज ना होने से व्यक्ति पागल हो सकता है।

मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार / मिर्गी जांच / मिर्गी में मुख्य सुझाव / Epilepsy in Hindi / Epilepsy symptoms / Mirgi ke lakshan / Mirgi ka upchar / Mirgi kaise hota hai / Mirgi ki janch

मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार, Epilepsy in Hindi, Epilepsy symptoms, mirgi ke lakshan, mirgi ka upchar, मिर्गी का इलाज, mirgi kaise hota hai, मिर्गी क्या होती है, मिर्गी जांच, Epilepsy Check up, mirgi ki janch, mirgi ki bimari, मिर्गी की बिमारी, मिर्गी रोग, epilepsy disease, मिर्गी में मुख्य सुझाव, mirgi me mukhya sujhav, mirgi rog ka upchar, मिर्गी रोग का उपचार

मिर्गी के संकेत लक्षण 
  • अचानक बेहोश हो जाना
  • मुंह से झाग आना
  • हाथ पावों से झटके मारना
  • शरीर जकड़ जाना
  • आंखें ऊपर चढ़ना
  • चक्कर खाकर गिरना
  • शरीर में झुनझुनाहट और भयभीत होना
  • नजर एक जगह पर टिकी रहना
  • शरीर का संतुलन बिगड़कर अचेत गिर जाना
  • मांसपेसियों का खिच जकड़ जाना
  • जीभ दांतों से काटना
  • मूत्र विसर्जन अनियत्रण होना
  • चेतना हो जाना
मिर्गी आने के कारण 
  • तनाव में लगातार रहना
  • सिर में पुरानी चोट दर्द रहने से
  • रक्त से ग्लूकोज मात्रा कम होना
  • मस्तिष्क में आॅक्सीजन की कमी
  • मस्तिष्क न्यूराॅन्स असंतुलन
  • पूरी नींद नहीं लेना
  • महिलाओं में मासिक धर्म समय कमजोरी
  • दवाईयों के दुष्परिणाम से
  • एस्फीक्सिया बीमारी से
  • ब्रेन ट्यूमर से
  • शरीर में विषाक्त पदार्थों को ज्यादा बनना
  • जेनेटिक स्क्रीनिंग
  • खांसी जुकाम बुखार देर तक रहना
मिर्गी जांच 
  • गिर्गी संकेत होने पर जांच E.E.G. Electroencephalogram तकनीक द्वारा
  • Brain C.T. Scan द्वारा
  • C.T. Scan, Brain Pain Test द्वारा
मिर्गी दौरा पीड़िता पर ध्यान देने वाली जरूरी बातें  
  • मिर्गी पीड़िता को कभी अकेला ना छोड़ें। हमेशा आसपास नजदीकी बना कर रखें।
  • मिर्गी दौरा पड़े व्यक्ति को जमीन पर ना लिटायें।
  • मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को पानी, गीली जगह, लाल रंग से दूर रखें।
  • मिर्गी ग्रसित व्यक्ति को दौरा पड़ने पर चोट लगने से बचायें।
  • मिर्गी के दौरान व्यक्ति की जीभ दांतों में मध्य आने से बचायें।
  • दांतों जकड़ने से बचायें, अकसर दांतों के बीच होंठ, जीभ जकड़ जाती है।
  • मिर्गी दौरा पड़ने पर पीडिता को होश में लाने के लिए चेहरे पर ठंड़े पानी के छींटे मारे।
  • बेहाशी अचेत अवस्था में पीड़ित को तुलसी पत्तें, लहसुन मसलकर सुंघायें तुलसी और लहसुन बेहोशी तोड़ने में सहायक है।
  • मिर्गी दौरा पड़ने पर पीड़िता को पेट के बल पर लिटायें, जिससे झाग, लार नांक में जाने से बचायें। और गर्दन ऊपर की ओर रखें।
  • दौरा पीड़िता के गले, मुंह पर तंग, टाईट कपड़े से बचायें।
  • मिर्गी दौरा पड़ने पर व्यक्ति के आस पास भीड़ ना करें। ताजी हवा खुला वातावरण बनायें।
  • मिर्गी पीड़िता को जूता अन्य तेज गंध ना सुघांयें।
  • व्यक्ति को प्राथमिक इलाज के लिए तुरन्त हस्पताल ले जायें।
मिर्गी पीड़िता के लिए सुझाव 
  • मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को नियमित जांच करवाना चाहिए।
  • पानी, लाल रंग, आग से हमेशा दूरी बना कर रखें।
  • ऊचाई में अकेला जाने से बचें।
  • रोज 7-8 घण्टे पूरी नींद सोयें।
  • योगा, मेडिटेशन, व्यायाम, सैर नित्य सुबह शाम करें।
  • नशीली मादक चीजों शराब, धूम्रपान, तम्बाकू, गुटका आदि नशा सेवन से बचें।
  • अण्डा, मछली, मीठ नाॅनवेज खाने से बचें।
  • नियमित र्मिगीरोधक दवाईयां सेवन करें।
  • समय समय पर चिकित्सक जांच करवायें।
  • मन विचलन, घबराहट, डरावनी विडियों, चित्र, आदि चीजें देखने से बचें।
र्मिगी दौरे का घरेलू उपचार : 

अंगूर सेवन
अंगूर सेवन र्मिगी के लिए फायदेमंद है। रोज अंगूर जूस या फिर अंगूर खायें।

बकरी दूध 
रोज बकरी का दूध सेवन करें। बकरी दूध सेवन र्मिगी रोकने में सहायक है

नहाना, साफ सफाई 
र्मिगी मरीज के लिए नित्य नहाना फायदेमंद है। शरीर साफ सफाई का खास ध्यान दें।

दुर्गंध, गंध
बदबू, दुर्गंध, गैस इत्यादि गंध से दूरी बना कर रखें।

तुलसी और नींम पत्ते 
नित्य सुबह उठकर तुलसी पत्तियां और नींम पत्तियों चबाकर खायें। तुलसी नींम पत्तियां र्मिगी दौरे रोकने में सहायक हैं।

मुलहठी 
र्मिगी रोग दूर करने में नित्य मुलहठी सेवन सहायक है।

सतवारी/सतवारी चूर्ण और दूध
नित्य दूध के साथ आधा चम्मच सतवारी चूर्ण सेवन करना फायदेमंद है।

तिल और लहसुन 
र्मिगी दौरा होने पर रोज काले तिल के साथ लहसुन चबाकर खाना फायदेमंद है। देशी घी में लहसुन भून लगातार खाने से र्मिगी दौरे पड़ने से रोकने में सहायक है।

र्गिगुन्डी पत्तियां 
र्गिगुन्डी या निर्गुण्डी पौधे की पत्तियों को रगड़कर रोज सूघंने से र्मिगी दौरे पड़ने से रोकने में सहायक है। निर्गुण्डी पत्तों में खास रसायन होता है जोकि मस्तिक कोशिकाओं के लिए फायदेमंद है।

प्याज रस 
र्मिगी मरीज के लिए रोज सुबह उठकर प्याज रस पीना फायदेमंद है। प्याज रस सेवन र्मिगी दौरे पड़ने से रोकने में सहायक है।

नींबू और हींग
र्मिगी रोगी के लिए बिजौरा नींबू (बड़े नींबू) रस में हींग मिलाकर कर सेवन करना फायदेमंद है। नित्य नींबू रस और हींग सेवन र्मिगी दौरे पड़ना बंद करने में सहायक है।

पेठा खाना 
र्मिगी बीमारी होने पर नित्य पेठा खायें। पेठा सब्जी, पेठा जूस सेवन फायदेमंद है।

ब्राहमी रस और शहद 
नित्य ब्राहमी पत्तों का रस और शहद 1-1 चम्मच घोलकर सुबह शाम सेवन र्मिगी दौरे रोकने में सहायक है।

शांत एकाग्रता 
टेंशन, फिक्र, तनाव होने से बचें। मस्तिष्क पर ज्यादा जोर देने से र्मिगी दौरा जल्दी पड़ता है।

योगा मेडिटेशन 
र्मिगी रोग दूर करने के लिए नित्य योगा, मेडिटेशर, व्यायाम करना लाभदायक है।

नाॅन वेज से परहेज
अण्डा, मछली, मीट सेवन से बचें। नाॅनवेज सेवन से र्मिगी दौरा बार बार आने की सम्भावनाऐं ज्यादा रहती है।

संतुलित पौष्टिक आहार
नियमित रूप से संतुलित पौष्टिक आहार डाईट में शामिल करें। फल, हरी सब्जियां, अनाज, दुग्ध खाद्वपदार्थ, सलाद नित्य खायें। संतुलित पौष्टिक आहार काफी हद तक र्मिगी दौरा रोकने में सक्षम है।

मासिक चेकअप
मिर्गी रोगी महीने में 1 बार एक्सपर्ट चिकित्सक से जांच सह जरूर करवायें। र्मिगी संकेतों को नकारे नहीं।