व्यक्ति के असंतुलित और अनहेल्दी खानपान, आलस्य जीवनचर्या, गलत लाईफस्टाईल, वर्कआउट नहीं करने से शरीर नसों वाहिनियों में जमने वाला अतिरिक्त थक्का कोलेस्ट्रोल विकार कहलाता है। जिसमें रक्त संचार में रूकावट, नसों वाहिनियों में वसा (अतिरिक्त वसा-कोलेस्ट्रोल) रूप में जमना पाया जाता है। साधारण भाषा में कोलेस्ट्रोल शरीर में वसायुक्त रक्त पदार्थ है। रक्त वहिकाओं के माध्यम से शरीर में संचार करता है। कोलेस्ट्रोल बढ़ने से नसों में रक्त संचार में अवरूद्ध पैदा होने पर शरीर नसों वाहिनियों पर रक्त संचार में रूकावट से हृदय घात, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज, किड़नी रोग होने का भय बना रहता है।
कोलेस्ट्रोल के प्रकार :
कोलेस्ट्रोल मुख्यतय तीन तरह से होता है ।
यानिकि 150 mg/dl से 200 mg/dl तक ही ठीक होती है। 220 से अधिक कोलेस्ट्रोल स्तर होने पर मरीज के लिए नाजुक स्थिति हो सकती है।
स्त्री-पुरूष में नार्मल और हाई रिस्क कोलेस्ट्रोल
HDL Cholesterol Ratio
Normal (Medium) : Men - 4.5, Women - 3.8
High Risk : Men : 23, Women - 11
कोलेस्ट्रोल विकार से बचने के लिए ज्यादा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, सोड़ा पेय, वसायुक्त, अनहेल्दी खाने से बचें। शराब, धूम्रपान, तम्बाकू, गुटका आदि नशीली मादक चीजों से बचें। नींबू, लहसुन, अदरक, शहद, सलाद, हरी सब्जियां डाईट में शामिल करें। हमेशा कोलेस्ट्रोल नियंत्रक संतुलित आहार डाईट लें। रोज योगा, व्यायाम, रस्सीकूद, सैर करें। शरीर से खूब पसीना बहायें, पसीना बहाने के बहुत से फायदे हैं। और शरीर को फिट मोटापा से दूर रखें। स्वस्थ निरोग शरीर पाने के लिए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखना जरूरी है। कोलेस्ट्रोल के अलग-अलग स्तर होते हैं। तीनों तरह के कोलेस्ट्रोल स्तर कोलेस्ट्रोल लेवल को जानना जरूरी है।
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कोलेस्ट्रोल के प्रकार :
कोलेस्ट्रोल मुख्यतय तीन तरह से होता है ।
- गुड कलेस्ट्रॉल (एच.डी.एल.) हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन
- खराब कोलेस्ट्रॉल (एल.डी.एल.) लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन
- ट्राईग्लिसराइड
गुड कलेस्ट्रॉल (एच.डी.एल. ) हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन
एच.डी.एल. (High Density Lipoprotein) शरीर के लिए अच्छा कोलेस्ट्रोल स्तर माना जाता है। एच.डी.एल. नामक कोलेस्ट्रोल रक्तसंचार में संतुलन बनाये रखते हुए अतिरिक्त रक्त को लीवर में वापस ले जाता है। एच.डी.एल. कोलेस्ट्रोल हृदय घात, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज, किड़नी विकार खतरे को कम करता है। एच.डी.एल. शरीर के लिए गुड कलेस्ट्रॉल कहलाता है। ब्लड टेस्ट के अलावा शरीर भी आपको कुछ संकेत देने लगता है
खराब कोलेस्ट्रॉल (एल.डी.एल.) लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन
खराब कोलेस्ट्रॉल (एल.डी.एल.) लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन
(एल.डी.एल.) Low Density Lipoprotein को खराब कोलेस्ट्रोल से जाना जाता है। लीवर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल को रक्तसंचार के दौरान नसों वहिकाओं में संचारित करता है। जिससे अतिरिक्त वसायुक्त कोलेस्ट्रोल नसों वहिकाओं में जमना शुरू हो जाता है। नसें वहिकाए संकरी हो जाती है। जिससे रक्त संचार में रूकावट आ जाती है। हृदय घात, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज, किड़नी विकार, पैरालिसिस का खतरा बना रहता है। एल.डी.एल. को शरीर के लिए Bad Cholesterol माना जाता है।
ट्राईग्लिसराइड
अकसर ट्राईग्लिसराइड कोलेस्ट्रोल की समस्या ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, सोड़ा पेय लेने से होती है। ट्राईग्लिसराइड कोलेस्ट्रोल से हृदय घात, डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक का ज्यादा खतरा बना रहता है।
कोलेस्ट्रोल जांच
संतुलित कोलेस्ट्रोल स्वस्थ निरोग शरीर बनाये रखने में सक्षम है। शरीर में कोलेस्ट्रोल स्तर की मात्रा कम ज्यादा होने से कर्क रोग, सदमा, हार्मोंस असंतुलिन, हृदय घात, मधुमेह, किड़नी फेल जैसी गम्भीर दुष्प्रभाव रोग हो सकते हैं। कोलेस्ट्रोल जांच सुबह खाली पेट करवाना से ज्यादा सटीक रिजल्ट आते हैं। कोलेस्ट्रोल स्तर को mg/dl / Ratio में नापा जाता है। रक्त परीक्षण से कोलेस्ट्रोल लेवल को mg/dl / Ratio में नापा जाता है। जिससे व्यक्ति हृदय घात, मस्तिष्क घात, मधुमेह, किड़नी फेल, पैरालिसिस खतरों का समय से पहले पता लगाकर शरीर को ग्रसित होने से बचाया जा सकता है। कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ने पर नाकारे नहीं। तुरन्त उपचार करवायें।
कोलेस्ट्रोल संतुलन
High Density Lipoprotein (HDL) : 40 से 60 mg/dl तक
Low Density Lipoprotein (LDL) : 100 से 130 mg/dl तक
Tringlycerides : 150 से 200 mg/dl तक होनी चाहिए।
कुल कोलेस्ट्रोल (Total Cholesterol) 200 mg/dl तक,
ट्राईग्लिसराइड
अकसर ट्राईग्लिसराइड कोलेस्ट्रोल की समस्या ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, सोड़ा पेय लेने से होती है। ट्राईग्लिसराइड कोलेस्ट्रोल से हृदय घात, डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक का ज्यादा खतरा बना रहता है।
कोलेस्ट्रोल जांच
संतुलित कोलेस्ट्रोल स्वस्थ निरोग शरीर बनाये रखने में सक्षम है। शरीर में कोलेस्ट्रोल स्तर की मात्रा कम ज्यादा होने से कर्क रोग, सदमा, हार्मोंस असंतुलिन, हृदय घात, मधुमेह, किड़नी फेल जैसी गम्भीर दुष्प्रभाव रोग हो सकते हैं। कोलेस्ट्रोल जांच सुबह खाली पेट करवाना से ज्यादा सटीक रिजल्ट आते हैं। कोलेस्ट्रोल स्तर को mg/dl / Ratio में नापा जाता है। रक्त परीक्षण से कोलेस्ट्रोल लेवल को mg/dl / Ratio में नापा जाता है। जिससे व्यक्ति हृदय घात, मस्तिष्क घात, मधुमेह, किड़नी फेल, पैरालिसिस खतरों का समय से पहले पता लगाकर शरीर को ग्रसित होने से बचाया जा सकता है। कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ने पर नाकारे नहीं। तुरन्त उपचार करवायें।
कोलेस्ट्रोल संतुलन
High Density Lipoprotein (HDL) : 40 से 60 mg/dl तक
Low Density Lipoprotein (LDL) : 100 से 130 mg/dl तक
Tringlycerides : 150 से 200 mg/dl तक होनी चाहिए।
कुल कोलेस्ट्रोल (Total Cholesterol) 200 mg/dl तक,
यानिकि 150 mg/dl से 200 mg/dl तक ही ठीक होती है। 220 से अधिक कोलेस्ट्रोल स्तर होने पर मरीज के लिए नाजुक स्थिति हो सकती है।
स्त्री-पुरूष में नार्मल और हाई रिस्क कोलेस्ट्रोल
HDL Cholesterol Ratio
Normal (Medium) : Men - 4.5, Women - 3.8
High Risk : Men : 23, Women - 11
LDL Cholesterol Ratio
Normal (Medium) : Men - 3, Women - 3.1
High Risk : Men : 8, Women - 6.1
Triglycerides (mg/dl)
Normal (Medium) : Men - 150, Women - 130
High Risk : Men : 500, Women - 400
Normal (Medium) : Men - 3, Women - 3.1
High Risk : Men : 8, Women - 6.1
Triglycerides (mg/dl)
Normal (Medium) : Men - 150, Women - 130
High Risk : Men : 500, Women - 400
कोलेस्ट्रोल समस्या में अन्य जरूरी बातें :
- मोटापा से ग्रसित व्यक्ति का कोलेस्ट्रोल अधिक होता है। और साथ ही दुबले पतले व्यक्ति सामान्य B.M.I लेवल अधिक और असंतुलित हो सकता है। कोलेस्ट्रोल लेवल की जांच साल में 1 बार अवश्य करवानी चाहिए। सामन्य वजन वाले व्यक्ति का कोलेस्ट्रोल स्तर अधिक हो सकता है।
- कोलेस्ट्रोल लेवल को संतुलन में रखने के लिए डाईट चार्ट, योगा व्यायाम, सैर, कोलेस्ट्रोल निवारण दवाईयां, दिनचर्या पर ध्यान देना जरूरी है। अकसर कई बार कोलेस्ट्रोल लेवल ज्यादा बढ़ने पर मरीज को स्टेन मेडिसिन दी जाती है। कोलेस्ट्रोल लेवल में बढ़ौत्तरी ज्यादात्तर 25-30 आयु वर्ग में होती है। परन्तु असंतुलित मार्डन जीवनशैली, खानपान, दिनचर्या बिगड़ने से कोलेस्ट्रोल की समस्या मात्र 10 वर्ष के बच्चों में भी होने लगी है। जोकि एक गम्भीर चिन्ता का विषय है।
- शराब, धूम्रपान, तम्बाकू, गुटका आदि नशीली मादक चीजों से बचें। नींबू, लहसुन, अदरक, शहद, सलाद, हरी सब्जियां डाईट में शामिल करें। ज्यादा तीखा, तलीभुनी, तेलीय, वसायुक्त खाने से बचें।
- रोज रूटीन में योगा, व्यायाम, रस्सीकूद, सैर करें। शरीर से खूब पसीना बहायें और शरीर को फिट मोटापा से दूर रखें। स्वस्थ निरोग शरीर पाने के लिए कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रखना आवश्यक है।