ब्लडप्रेशर अनियंत्रित की समस्या अकसर गलत खानपान - दिनचर्या - लाईफ स्टाइल पर निर्भर करता है। बी.पी. समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों अनुसार प्रति 100 व्यक्तियों में से 10 व्यक्तियों को बी.पी. समस्या आंकी गई है। बी.पी. लक्षण महसूस होने पर नकारे नहीं, तुरन्त डाॅक्टर से जांच, सलाह, सुझाव एवं ब्लडप्रेशर कंट्रोल उपचार करवायें। हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर दोनों की अनियंत्रण गम्भीर स्थिति जानलेवा हो सकती है।
रक्तचाप बढ़ने पर प्रभाव हृदय के साथ-साथ मस्तिष्क, किड़नी नाजुक अंगो पर ज्यादा पड़ता है। उच्च रक्तचाप से हार्ट अटैक, लकवा और ब्रेन डेमेज जैसी घटना हो सकती है। रक्तचाप को दो तरह के स्तर में मापा जाता है। पहला सिस्टोलिक 100 - 140mmHg और दूसरा डायस्टोलिक 60 - 90mmHg । अकसर कई बार उच्चरक्तचाप 90 - 140mmHg तक रीड़िग हो जाता है। जोकि ब्लडप्रेशर मरीज के लिए हृदयघात, किड़नी फेल, मस्तिष्क दौरा स्थिति घातक हो सकती है।
ब्लडप्रेशर कंट्रोल / उच्च रक्तचाप - हाई ब्लड प्रेशर - हाइपरटेंशन / ब्लडप्रेशर क्या है / Blood Pressure Control in Hindi / Blood Pressure Niyantran kaise kare / High Blood Pressure
ब्लडप्रेशर (रक्तचाप) क्या है ?
हृदय शरीर का अभिन्न अंग है। अकसर कई व्यक्ति छोटी छोटी बातों से घबराकर नर्बस हो जाते हैं। जिसका सीधे असर हृदय पर पड़ता है। शरीर के सभी अंगों का रक्त संचार हृदय से जुड़ा हुआ है। छोटी बड़ी सभी रक्तवाहिनयां को हृदय सुचारू रूप से रक्त संचार समय अनुसार करता है। जिसका पूरी प्रभाव हृदय पर पड़ता है। रक्त संचार के समय हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव दबाव को अकसर रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) कहा जाता है। रक्त वहिकाओं - नसों में कोलेस्ट्राॅल जमने, तनाव से हृदय पर अतिरिक्त दबाव बी.पी. अनियत्रित का एक कारण माना जाता है। बी.पी. कई बार कम और या ज्यादा बढ़ जाता है।रक्तचाप बढ़ने पर प्रभाव हृदय के साथ-साथ मस्तिष्क, किड़नी नाजुक अंगो पर ज्यादा पड़ता है। उच्च रक्तचाप से हार्ट अटैक, लकवा और ब्रेन डेमेज जैसी घटना हो सकती है। रक्तचाप को दो तरह के स्तर में मापा जाता है। पहला सिस्टोलिक 100 - 140mmHg और दूसरा डायस्टोलिक 60 - 90mmHg । अकसर कई बार उच्चरक्तचाप 90 - 140mmHg तक रीड़िग हो जाता है। जोकि ब्लडप्रेशर मरीज के लिए हृदयघात, किड़नी फेल, मस्तिष्क दौरा स्थिति घातक हो सकती है।
रक्तचाप के प्रकार
- सामान्य रक्तचाप
- मध्य रक्तचाप
- उच्च रक्तचाप
सामान्य रक्तचाप
स्वस्थ सामन्य व्यक्ति का Systolic Blood Pressure उच्च 120mmHg और Diastolic Blood Pressure निम्न में 80mmHg माप में आता है। जिसेकि 120 - 80 mmHg माना जाता है। जोकि नार्मल ब्लडप्रेशर है।मध्य रक्तचाप
कई बार व्यक्ति बी.वी. बढ़ने की हल्की शिकायत रहती है। परन्तु व्यक्ति बी.पी स्तर को पहचान नहीं पाता। जांच करने पर रक्तचाप Systolic Blood Pressure उच्च 135 - 139mmHg और Diastolic Blood Pressure निम्न में 80-89mmHg के आस-पास माप में आता है। मध्य स्थिति में व्यक्ति काफी वेचैन, घबराहट और असुरक्षित महसूस करता है।उच्च रक्तचाप
High Blood Pressure : हाई ब्लडप्रेशर में Systolic Blood Pressure 140mmHg और Diastolic Blood Pressure निम्न स्तर 90mmHg को उच्चरक्तचाप यानिकि Hypertension माना जाता है। हाईब्लडप्रेशर होने पर व्यक्ति की नाजुक स्थिति हो सकती है।उच्चरक्तचाप के लक्षण
- अचानक घबराहट होना
- घबराहट के साथ पसीना आना
- सीने में दर्द
- सांस लेने में दिक्कत आना
- आंखों में जलन
- क्रोध, भय, चिंता महसूस होना
- सरदर्द होना
- चक्कर आना एवं धुंधला दिखाई देना
- शरीर अंगों में अचानक झुनझुनाहट सन्नपन महसूस होना।
- चलने, बोलने में दिक्कद
- शरीर में कम्पन्न
उच्चरक्तचाप के कारण
- तनाव में रहना
- भय क्रोध में करना
- वजन मोटापा बढ़ना
- हृदय रक्त वहिकाओं में अनावश्यक वसा का जमना
- रक्त संचार अनियंत्रित होना
- शरीर में अतिरिक्त वसा जमना
- योगा, व्यायाम, सैर की कमी की वजह से
- वर्कआउट नहीं होना
- रक्त वहिकाओं में कोलेस्ट्राॅल जमना
- रक्त वहिकाओं में रक्त संचार अवरूद्ध होना
ब्लप्रेशर जांच
समय समय पर ब्लडप्रेशर जांच जरूरी है। जांच द्वारा ब्लडप्रेशर की सही स्थित का पता और उपचार सम्भव है। ब्लडप्रेशर नापने के लिए आततौर पर (रक्तदाबमापी) का इस्तेमाल किया जाता है। परन्तु आधुनिक मानीटर मेमोरी, फीचर मानीटर, डिजिटल, आटोमेटिक इस्तेमाल सही रिजल्ट देने में ज्यादा सक्षम है। आधुनिक फीचर मानीटर के माध्यम से व्यक्ति का हृदय गति के साथ ब्लडप्रेशर एक साथ सही नापा जा सकता है। और बड़ी आसानी से पूर्ण रिजल्ट मानीटर मेमोरी में स्टोर कर सकते हैं। एक्युरेट बी.पी.रिजल्ट के अनुसार दवाईयां उपचार में आसानी रहती है।
उच्चरक्तचाप नियंत्रण कैसे करे
- नियमित बी.पी. स्तर जांच करवायें।
- वजन मोटापा पर नियंत्रण रखें।
- नियमित योगा व्यायाम सैर करें।
- तेलीय तले भुने खाद्यपदार्थ सेवन से बचें।
- वसा युक्त खाने से बचें।
- खाने में हरी सब्जियां, फाईबर युक्त अनाज, ताजे फल डाईट में शामिल करें।
- मछली, झींगा और अदरक, लहसुन, सोयाबीन, सूरजमुखी, अलसी तेल वनस्पति तेल किंचन में इस्तेमाल करें।
- बन्द डिब्बे, पैकेट की चीजें खाने से परहेज करें।
- डालडा, मक्खन, घी, गोश्त, आइसक्रीम, जंकफूड, बेकरी फूड खाने से बचें।
- तीखी नमक मिर्च, तीखा खाने से बचें।
- नींबू, प्याज, चुकन्दर, संतरा, एवोकैडो, नारियल पानी, लौंकी जूस, आंवला, आंवला कैंडी डाईट में शामिल करें।
- धूम्रपान, मदिरापान, तम्बाकू, गुटका नशीले मादक चीजों से परहेज करें।
- तनाव मुक्त रहें।
घरेलू उपायों से हाई ब्लडप्रेशर को शीध्र नियंत्रण करने के सफल तरीके
- 1 गिलास ठंड़े पानी में 1 नींबू निचैंड़े और चुटकी भर नमक मिलाकर पीने से बी.पी. समस्या में शीध्र आराम मिलता है।
- हाई बी.पी. तुरन्त नियंत्रण करने के लिए टब में साफ ठंड़ा पानी में सिर डुबो कर आंखें खोलें। (दोनो हाथों के अंगूठे से कान बंन्द और बीच उगललियों से दोनो नांक छिद्र बन्द करके सिर पानी में डुबायें और पानी के अन्दर दानों आंखें खोलें) हाई बी.पी में आंखों की जलन, सरदर्द, चक्कर से तुरन्त आराम दिलाने में सहायक है।
- बी.पी. को नियंत्रण में करने के लिए ठंड़े पानी से नहाये। नहाने से शरीर में तुरन्त शीतलता और रक्त संचार सुचार करने में सहायक है।
- दालचीनी और मुलहटी चाबायें।
- दिन में दो बार 1-1 चम्मच प्याज रस और शहद मिश्रण 1-1 गिलास पानी में घोल बनाकर पीयें।
- आंवला चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर नित्य सुबह खायें।
- नित्य नींबू पानी पीयें। सलाद में नींबू निचैड़ कर खायें।
- बी.पी. समस्या में गुड़ पानी में नींबू और नमक घोल बनाकर पीना फायदेमंद है।
- नमक, मिर्च, मसाले और मीठा सीमित मात्रा में रसोई में इस्तेमाल करें। ज्यादा तीखा, मीठा खाना भी कई बार ब्लडप्रेशर अनियंत्रित का एक कारण बन जाता है।
- गाय के दूध में घी मिलाकर पीना फायदेमंद है।
- बाहर की अनहेल्दी चीजें खाने से बचें। घर का बना सात्विक पौष्टिक भोजन करें।
- अनलोम-विलोम प्राणायाम बी.पी. नियंत्रण में रखने में सहायक है। साथ ही पेट, पाचन, रक्त संचार, स्वास, त्वचा, मस्तिष्क आदि कई तरह की समस्याओं से बचाने में सक्षम है।
- जंकफूड, फास्टफूड खाने से बचें।
- नित्य सुबह शाम सैर करें। खूब पसीना बहायें। पसीना बहाने से त्वचा रोमछिद्रों से दूषित रक्त पसीने के माध्यम से आसानी से बहार आ जाता है। पसीना रक्त फिल्टर करने का अच्छा माध्यम है। पसीना बहाने के बहुत से फायदे हैं।
- नियमित बी.पी. की जांच करवायें। डाॅक्टर की सलाह सुझाव अनुसार दवाईयां उपचार करवायें।
उपरोक्त तरीके एवं सुझाव उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचार नियंत्रण में सहायक हैं। बी.पी. लो या हाई रहने की स्थिति में भी आसानी से बी.पी. नियत्रंण एवं धीरे-धीरे बीपी समस्या को ठीक किया जा सकता है। बी.पी. की दवाईयां चिकित्सक के सलाह एवं सुझाव अनुसार ही लें। बी.पी. की दवाईयां एक बार शुरू होने पर लम्बे समय तक लेने की आदत सी बन सकती है। अकसर दौड़भाग तनाव वाली जीवन शैली में व्यक्ति शुरूआती बीपी समस्या को इग्नोर करने लगता है। बी.पी. समस्या को गम्भीरता से लें। अन्यथा हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, किड़नी फेल जैसे कई घातक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।