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पीलिया लक्षण कारण उपचार Jaundice Symptoms Treatment Hindi

पीलिया एक तरह का सीधे लीवर से जुड़ा "हैपेटाइटिस बिलीरुबिन" रोग है। हेपेटाइटिस को आम भाषा में Jaundice, इंट्रा-हेपाटिक, पीलिया रोग से जाना जाता है। पीलिया लीवर, पाचन तंत्र को खराब कर देता है। पीलिया से हर साल हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है। 

पीलिया विषाणु बहुत सूक्ष्म होता है। शुरूआती दौर में आसानी से पीलिया पकड़ में नहीं आता है। अकसर पीलिया के दौरान रक्त में बिलीरूबिन लेबल (Bilirubin C33 H36 N4 O6) में असंतुलन बढ़ौत्तरी हो जाती है। बिलरूबीन स्तर 0.2 से 1.3 mg/dl तक रहता है। परन्तु जांच में जब मात्रा 3mg/dl लेवल तक पहुंच जाता है तो पीलिया (जाॅन्डिस / हेपेटाइटिस) प्रकार पकड़ में आता है।

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जिससे लीवर, शरीर अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति पीलिया से ग्रसित हो जाता है। पीलिया उपचार Hepatitis Type जांच A, B, C, D, E, F & G प्रकार के अनुसार जांच में आने पर की जाती है। अकसर पीलिया रोग हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-सी वायरस अधिक संक्रमण होता है। 

पीलिया ग्रसित व्यक्ति का उपचार एंटीबायोटिक दवाईयां हेपेटाइटिस लक्षण उपचार को जांच परखकर दी जाती है। डाॅक्टर, हेल्थ विशेषज्ञ अकसर हेपेटाइटिस रोकथाम इंजेक्शन टीके लगवाने की सलाह समय - समय पर प्रसारित करते रहते हैं। पीलिया रोग के लक्षण दिखने पर तुरन्त चिकित्सक से मिले और उपचार करवायें और डाॅक्टर द्धारा सेवन करें। पीलिया बिगड़ने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। स्वास्थ्य के प्रति हमेशा जगरूक रहें। स्वास्थ्य अनमोल है।

पीलिया के प्रकार 
पीलिया मुख्यतय पांच तरह का होता है। हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, हेपेटाइटिस-डी, हेपेटाइटिस-ई, हेपेटाइटिस-एफ, हेपेटाइटिस-जी। परन्तु हेपेटाइटिस-बी सीधे लीवर को खराब करता है। ज्यादात्तर हेपेटाइटिस-ए, बी, सी तरह के पीलिया अधिक घातक जानलेवा होते हैं।

पीलिया के लक्षण 
Piliya Ke Lakshan निम्नलिखित इस प्रकार से हैंः
  • आंखों, नाखूनों में पीलापन आना।
  • जीभ, त्वचा में पीलापन आना।
  • अचानक रक्त की कमी होना।
  • लाल रक्त कण कमजोर पड़ जाना।
  • बिलीरूबिन लेबल में बढ़ौत्तरी।
  • पेशाब रंग पीला और लाल आना।
  • चक्कर आना और सरदर्द होना।
  • लीवर दर्द, सूजन और लीवर कमजोर होना।
  • आमाश्य में सूजन
  • शरीर अंगों में दर्द महसूस करना।
  • थकान महसूस करना।
  • पेट खराब होना और पाचन बिगड़ना।
  • बुखार रहना।
  • पेट के निचले दहिने हिस्से में दर्द सूजन।
  • आंखों के नीचे, पेट, आंतों में सूजन।
  • उल्टी के साथ खून चक्ते आना।
  • मल त्याग काला, गहरा लाल आना।
पीलिया के कारण 
  • दूषित पानी पीने से।
  • दूषित हवा, कैमिक्ल दुर्गंध से।
  • त्वचा कटने, फटने चोट लगने पर।
  • शरीर अंग रक्त में कीटाणु युक्त सुई, नुकीली वस्तु से प्रवेश होना।
  • मां द्वारा बच्चे को दूध के माध्यम से पीलिया होना।
  • शरीर में टेटू छाप बनवाते समय रक्त संक्रमण से।
  • गाल ब्लाडर में स्टोन लक्षण भी पीलिया का एक कारण है।
  • पित्त वाहिकाओ का संकुचन।
  • लीवर संक्रमण।
  • पित्ताशय अबस्ट्रक्टिव कैंसर जाॅन्डिस कारण।
  • मलेरिया, एनीमिया, थैलीसीमिया में रक्त कणों में गड़बडी के कारण पीलिया।
  • लीवर कैंसर से।
  • दवाईयों के दुष्प्रभाव से।
  • धूम्रपान, तम्बाकू, शराब मादक नशीली चीजों के दुष्प्रभाव से।
पीलिया में उपचार इलाज 
  • एंटीबायोटिक दवाईयां (Antibiotics)
  • एंटीवायरल दवाईयां (Antiviral)
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusions )
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
  • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
  • स्टेराॅयडस (Steroids)
  • फोटोथेरेपी (Newborn - Phototherophy)
पीलिया लक्षण  होने पर तुरन्त डाॅक्टर से सम्पर्क और "हैपेटाइटिस बी" चैकअप करवायें। करवायें। पीलिया रोग का समय पर सलाह उपचार व्यक्ति की जान बचा सकता है। पीलिया रोग ज्यादा समय तक रहने से शरीर अंग नाजुक और तरह तरह के रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। और पीलिया गम्भीर स्थिति में व्यक्ति की जान जा सकती है।