टी.बी. क्षयरोग एक तरह से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु है। जोकि सीधे फेफड़ों पर दुष्प्रभाव डालता है। जिससे खांसी, कफ, बलगम में खून, छाती दर्द, सांस लेने में परेशानी और अचानक तेज खांसी आना जैसे आम लक्षण हैं। क्षयरोग को दवाईयों के साथ-साथ घरेलू तरीके अजमाने से जल्दी और आसानी से सुधार ठीक किया जा सकता है।
टी.बी. रोग में घरेलू उपचार / टीबी रोग रोकथाम उपाय / Home Remedies for TB Patients in Hindi / TB Rog ka Gharelu Upchar / Prevention tips for Tuberculosis Disease, Stop the Spread of TB / Home Isolation for Tuberculosis (TB) / TB Rog Roktham Upay
दूध, शहद और पीपल बीज
क्षय रोग में एक गिलास गाय के दूध में 5-6 पीपल बीज, छोडी सी अदरक डालकर हल्की आंच में पकाये। फिर दूध छान कर उसमें 1 चम्मच शहद डालकर पीयें। यह खास दूध क्षय रोग में फेफड़ों, खांसी, कफ, बलगम होने से रोकने में सहायक है। और साथ ही अन्य तरह की शरीरिक बीमारियों दूर करने में खास फायदेमंद है।
मुलहटी
मुलहटी अचानक तेज खांसी रोकने और गले के दर्द सूजन कम करने सहायक है।
लहसुन
सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की 3-4 कलियां खायें। लहसुन टी.बी. मरीज के लिए खास है।
दूध और लहसुन रस
1 गिलास गर्म दूध में 6-7 लहसुन रस बूंदें मिलाकर पीयें। या फिर लहसुन पीसकर दूध में पकाकर खायें। लहसुन और दूध मिश्रण सेवन टी.बी मरीज के लिए अचूक औषधि रूप है।
गर्म मसाले
किंचन में खाना बनाने में लहसुन, अदरक, कालीमिर्च, लौंग, ईलायची, धनिया, गर्म मसाले इस्तेमाल करें। गर्म मसाले एक तरह से रिच एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल हैं।
प्याज सेवन
कच्चा प्याज खूब खायें। सलाद में साधारण नमक की जगह काला नमक, सेंधा नमक मिलाकर खायें। प्याज, सेंधा नमक, काला नमक, कफ-बलगम रोधक है।
देशी घी और मिश्री
थोड़ी मिश्री को देशी घी में पकाकर खायें। देशी घी मिश्री मिश्रण क्षय रोग निवारण में फायदेमंद है।
आंवला हींग
टी.बी. मरीज के कच्चा आंवला खाना और कच्चे आंवलों का जूस में हींग मिलाकर पीना फायदेमंद है। आंवला पेट पाचन, फेफड़ों को स्वस्थ रखने में खास है। अंवला सेवन के अनेको फायदे हैं।
तुलसी और काली मिर्च
गुन गुने पानी में 8-10 तुलसी पत्ते, 4-5 पिसी काली मिर्च, हींग और काला नमक मिलाकर गर्म गर्म सेवन करें। यह मिश्रण काफी हद तक तीब्र खांसी कफ से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
सेब और ईलायची
5-6 घण्टे पहले सेब में छोटी ईलायची चुबों कर रखें। फिर सेब ईलायची खायें। ईलायची सेब खाना टी.बी. रोग में फायदेमंद है। टी.बी. रोग में सुधार करता है।
संतरा जूस और काला नमक
टी.बी. मरीज के ताजे संतरा खाना और ताजे संतरा जूस में थोड़ा काला नमक मिलाकर पीना फायदेमंद है। संतरा शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने अच्छा माध्यम है। जोकि टी.बी. मरीज के अच्छा माना जाता है।
अदरक और शहद
अदरक को बरीक पीसकर उसमें 1 चम्मच शहद 4-5 मिनट तक मिलाकर सुबह शाम खायें। अदरक शहद मिश्रण खांसी, कफ, बलगम से छुटकारा दिलाने में खास सहायक है।
सहजन पत्ते
टी.बी. मरीज के लिए सहजन के कोमल पत्तों को हल्की आंच में उबालें। फिर थोड़ा ठंड़ा होने पर 1 गिलास रस में 1 नींबू निचैंड़ कर पीयें। सहजन टी.बी. बीमारी को तेजी से ठीक करने में सक्षम है।
केला तना रस
एक कप केले के तने के रस, 1 लीटर पानी, 2 चम्मच काला नमक मिलाकर उबालें। फिर सूती कपड़े में डुबों कर छाती सूजन जगह पर सिकाई करें। केला तना रस और काला नमक पानी फेफड़ों के संक्रमण, सूजन, दर्द ठीक करने में सहायक है।
अखरोट, लहसुन और घी
अखरोट और लहसुन को पीसकर गाय के घी में पकाकर खायें। 5 मिनट बाद आधा कप गुनगुना पानी पीयें। अखरोट लहसुन देशी घी के साथ पका कर खाना टी.बी. रोग में फायदेमंद है।
केला और दूध
टी.बी. मरीज के पक्का केला दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। पक्के केला दूध में रायल, रायता, केला दूध सेक बनाकर सेवन करें।
लौंकी काढ़ा
1 लीटर पानी में 50 ग्राम बारीक लौंकी टुकड़े, 10 ग्राम जौं आटा, 5-6 पिसी काली मिर्च और 4-5 पिसी लौंग मिलाकर हल्की आंच में पकायें। काढ़ा तैयार होने पर ताजा-ताजा पीयें। यह काढ़ा टी.बी मरीज के फायदेमंद है। यह काढ़ा कफ, बलगम, खांसी से आराम दिलाने में खास सहायक है। ताजी लौकी जूस सेंधा नमक के साथ पी सकते हैं।
मुलहटी
मुलहटी अचानक तेज खांसी रोकने और गले के दर्द सूजन कम करने सहायक है।
लहसुन
सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की 3-4 कलियां खायें। लहसुन टी.बी. मरीज के लिए खास है।
दूध और लहसुन रस
1 गिलास गर्म दूध में 6-7 लहसुन रस बूंदें मिलाकर पीयें। या फिर लहसुन पीसकर दूध में पकाकर खायें। लहसुन और दूध मिश्रण सेवन टी.बी मरीज के लिए अचूक औषधि रूप है।
गर्म मसाले
किंचन में खाना बनाने में लहसुन, अदरक, कालीमिर्च, लौंग, ईलायची, धनिया, गर्म मसाले इस्तेमाल करें। गर्म मसाले एक तरह से रिच एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल हैं।
प्याज सेवन
कच्चा प्याज खूब खायें। सलाद में साधारण नमक की जगह काला नमक, सेंधा नमक मिलाकर खायें। प्याज, सेंधा नमक, काला नमक, कफ-बलगम रोधक है।
देशी घी और मिश्री
थोड़ी मिश्री को देशी घी में पकाकर खायें। देशी घी मिश्री मिश्रण क्षय रोग निवारण में फायदेमंद है।
आंवला हींग
टी.बी. मरीज के कच्चा आंवला खाना और कच्चे आंवलों का जूस में हींग मिलाकर पीना फायदेमंद है। आंवला पेट पाचन, फेफड़ों को स्वस्थ रखने में खास है। अंवला सेवन के अनेको फायदे हैं।
तुलसी और काली मिर्च
गुन गुने पानी में 8-10 तुलसी पत्ते, 4-5 पिसी काली मिर्च, हींग और काला नमक मिलाकर गर्म गर्म सेवन करें। यह मिश्रण काफी हद तक तीब्र खांसी कफ से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
सेब और ईलायची
5-6 घण्टे पहले सेब में छोटी ईलायची चुबों कर रखें। फिर सेब ईलायची खायें। ईलायची सेब खाना टी.बी. रोग में फायदेमंद है। टी.बी. रोग में सुधार करता है।
संतरा जूस और काला नमक
टी.बी. मरीज के ताजे संतरा खाना और ताजे संतरा जूस में थोड़ा काला नमक मिलाकर पीना फायदेमंद है। संतरा शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने अच्छा माध्यम है। जोकि टी.बी. मरीज के अच्छा माना जाता है।
अदरक और शहद
अदरक को बरीक पीसकर उसमें 1 चम्मच शहद 4-5 मिनट तक मिलाकर सुबह शाम खायें। अदरक शहद मिश्रण खांसी, कफ, बलगम से छुटकारा दिलाने में खास सहायक है।
सहजन पत्ते
टी.बी. मरीज के लिए सहजन के कोमल पत्तों को हल्की आंच में उबालें। फिर थोड़ा ठंड़ा होने पर 1 गिलास रस में 1 नींबू निचैंड़ कर पीयें। सहजन टी.बी. बीमारी को तेजी से ठीक करने में सक्षम है।
केला तना रस
एक कप केले के तने के रस, 1 लीटर पानी, 2 चम्मच काला नमक मिलाकर उबालें। फिर सूती कपड़े में डुबों कर छाती सूजन जगह पर सिकाई करें। केला तना रस और काला नमक पानी फेफड़ों के संक्रमण, सूजन, दर्द ठीक करने में सहायक है।
अखरोट, लहसुन और घी
अखरोट और लहसुन को पीसकर गाय के घी में पकाकर खायें। 5 मिनट बाद आधा कप गुनगुना पानी पीयें। अखरोट लहसुन देशी घी के साथ पका कर खाना टी.बी. रोग में फायदेमंद है।
केला और दूध
टी.बी. मरीज के पक्का केला दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। पक्के केला दूध में रायल, रायता, केला दूध सेक बनाकर सेवन करें।
लौंकी काढ़ा
1 लीटर पानी में 50 ग्राम बारीक लौंकी टुकड़े, 10 ग्राम जौं आटा, 5-6 पिसी काली मिर्च और 4-5 पिसी लौंग मिलाकर हल्की आंच में पकायें। काढ़ा तैयार होने पर ताजा-ताजा पीयें। यह काढ़ा टी.बी मरीज के फायदेमंद है। यह काढ़ा कफ, बलगम, खांसी से आराम दिलाने में खास सहायक है। ताजी लौकी जूस सेंधा नमक के साथ पी सकते हैं।