क्षय रोग जिसे आम भाषा में T.B. (Tbuberculosis), तपेदिक, यक्ष्मा, राजयक्ष्मा, ट्यूबरकुलोसिस, कहा जाता है। टी.बी. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से फेफड़ों पर प्रभावित संक्रमित करता है। T.B. रोग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव फेफड़ो, टांसिल्स पर पडता है। फिर गुर्दें, लीवर, आंतों, त्वचा, शरीर अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। टी.बी. रोग का समय का इलाज जरूरी है। क्षय रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। आंकड़ों शोध अनुसार क्षय रोग हर 3 में से 1 व्यक्ति को है। शोध में क्षय रोग को 52 तरह से माना गया है। कुछ लोगों को लगातार कफ बनना, खांसी रहना, कभी-कभी बलगम आना भी एक तरह से Normal T.B.के लक्षण होते हैं। जोकि जांच में आसानी से नहीं आती। परन्तु गंभीर लक्षण स्थिति में व्यक्ति मैडिकल जांच करवाने पर टी.बी. संक्रमण का पता चलता है। टी.बी. से हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्य हो जाती है। टी.बी. बैक्टीरिया को Mycobacterium Bovis (M. Bovis), Latent TB से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य अनमोल है। स्वास्थ्य के प्रति हमेशा जागरूक रहें। हर वर्ष 24 मार्च को दिवस रूप में विश्व भर में World Tuberculosis Day मनाया जाता है। लोगों को टी.बी. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है।
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क्षय रोग कैसे होता है और टी.बी के कारण
- धूम्रपान, शराब, तम्बाकू आदि तरह के नशीली चीजों के सेवन से भी क्षयरोग होने का एक कारण है।
- अकसर क्षय रोग ज्यादा दिनों तक सर्दी जुकाम खांसी रहने से व्यक्ति को हो सकती है। जिससे फेफड़े, संक्रमित हो जाते हैं। खांसी में कफ बलगम में खून आने लगता है। 3 सप्ताह से ज्यादा समय तक सर्दी जुकाम खांसी बलगम रहने पर तुरन्त "टीबी डॉट सेंटर" से सम्पर्क करें। जांच करवायें।
- टी.बी. जीवाणु संक्रमित व्यक्ति के खांसने, थूकने, छींकने और मरीज के वस्त्र, विस्तर, टूथ ब्रश आदि चीजें इस्तेमाल के दौरान जीवाणु स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं।
- 3 सप्ताह तक तेज खांसी कफ बनने पर "टीबी डॉट सेंटर" जांच करवायें।
- जीवाणु सूअर, गाय, भैंस, चिकन, बकरी आदि जीव जानवरों से भी इंसानों में असानी आ जाते हैं। मांसाहार व्यक्तियों में टी.बी. के जीवाणु जल्दी सक्रीय हो सकते हैं।
- जानवरों के शरीर में विभिन्न तरह की कीटाणु, जीवाणु मौजूद होते हैं। अधपक्का, कच्चा मांस खाने से जीवाणु कीटाणु आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मांस पूर्ण रूप से पकाकर खायें। और गाय भैंस कर दूध पूरी तरह से उबाल कर इस्तेमाल करें।
- 3 सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी
- खांसी में बलगम और खून आना
- बार बार कफ बनना
- हलका और तेज बुखार महसूस करना
- रात सोये में पसीना आना
- भूख कम लगना
- गले में सूजन दर्द
- सांस लेने में तकलीफ होना
- छाती में दर्द सूजन महसूस करना
- साथ में बदन - हड्डियों में दर्द होना
टी.बी / क्षय रोग जांच निदान
क्षय रोग रोग के लक्षणों में निम्न परीक्षण करवाने पर रोग स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सकता है। और समय पर सही उपचार सम्भव है।
- थूक परीक्षण, थूक कफ जांच से टी.बी के कीटाणुओं विषाणुओं का फेफड़ों में संक्रमित स्थिति का पता आसानी से लगाया जा सकता है। और बैसीलस टी.बी जीवाणु विषाणु पकड़ में जा जाता है।
- क्षय रोग के फैलाव फेफड़ों कितना है। एक्स-रे से आसानी से पता लगाया जा सकता है।
- क्षय रोग का त्वचा पर इंजेक्शन लगाकर 48 घण्टे बाद Positive और Negative स्थिति का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
- क्षय रोग जांच में चिकित्सक रोगी के रक्त, पेशाब, शरीर गांठ का हिस्से की जांच सकते है।
- क्षय रोग होने पर रोगी को टी.बी. एंटी डोट्स दिये जाते हैं। अकसर टी.बी. बीमारी को तीन श्रेणी में विभाजित जांच द्वारा उपचार किया जाता है। जिनमें Pulmonary Tuberculosis (TB), Latent TB और Pulmonary TB श्रेणी हैं।
- टी.बी. Anti TB Medicine दवा मरीज को 6 महीने से 9 महीने तक दी जाती है। टी.बी. सफल इलाज सरकारी हस्पताल, टी.बी. डाॅट्स केंद्रों पर मुफ्त में उपलब्ध है। टी.बी. की दवाईयों निरन्त चिकित्सक द्धारा बताये गये समय सीमा तक सेवन करना जरूरी है। बीच में दवाईयां छोड़ने पर टी.बी. बीमारी गम्भीर हो सकती है। टी.बी. का पूर्ण इलाज जरूरी है। खास तौर पर टी.बी. इलाज में मरीज की दी जाने वाली दवाईयां Ethambutol, Pyrazinamide, Rifampicin, Rifater, Tebrazid आदि तरह की एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक डाट्स शामिल हैं। जोकि डाॅक्टर जांच के माध्यम से मरीजों को TB Medicines, TB Dots दी जाती हैं।
- और बच्चों को भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी स्वस्थ्य सम्बन्धी टीके एवं डाट्स समय पर लगायें। जिससे बच्चों में संक्रमण, वायरल, हेपेटाइटिस, लकवा, क्षयरोग आदि विभिन्न तरह के रोगों से लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता शरीर में बनी रहती है।