अकसर बच्चे खेल - खेल में बीमार पड़ जाते हैं। बच्चों को सर्दी- जुकाम, बुखार, संक्रमण, पेट दर्द, पेट खराब आम समस्या है। परन्तु बच्चे बीमार पड़ने पर माता-पिता, परिवार सदस्य परेशानी चिन्ता होने लगते हैं। बच्चों को हमेशा हंसते खेलते स्वस्थ रखने के लिए कुछ खास दैनिक तरीके करना फायदेमंद है। जिससे बच्चे स्वस्थ निरोग हेल्दी रह सकें। Children's Health पर विशरेष ध्यान देना जरूरी है।

बच्चों को स्वस्थ रखने के आसान तरीके / Child Health Care Tips / Kids Health Hindi Tips / Bacchon ko Swasth Rakhne ke Upay

बच्चों को समय सुलाना और जगाना
बच्चों को सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। और बच्चों को देर रात तक टी.बी., कम्प्यूटर, मोबाईल में व्यस्थ रहने की आदत से बचायें। देर रात तक जागने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, अपचन, अनिन्द्रा रोग, थकावट, मस्तिष्क कमजोर, शरीरिक ग्रोथ में रूकावट जैसे विकार हो सकते हैं। बच्चों की शारीरिक और मांसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए 8 घण्टे की नींद जरूरी है। रात समय पर सोने और सुबह समय पर जागने से दिनचर्या टाईम टेबल रूटीन के अनुसार बना रहता है। जिससे बच्चों का स्कूल टाईम, होमवर्क, खेलकूद, खान पान रूटीन के अनुसार चलता है। बच्चे स्वस्थ - निरोग रहते हैं।
बच्चों की नियमित शौच आदत
सुबह और शाम दो वक्त बच्चों को बाथरूम (शौच) करने की आदत डालें। कई बच्चे केवल एक वक्त शौच करते हैं। जिससे विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। जैसे पेट दर्द, अपचन, भूख कम लगना, सरदर्द, थोड़ा सा चलने में भी थक जाना आदि लक्षण हैं। पेट साफ रखने से कई बीमारियां दूर रहती हैं। पेट जमा दूषित पदार्थ विभिन्न बीमारियां पैदा करती हैं।
बच्चों को नियमित ब्रश आदत डालें
सुबह उठकर बच्चों को ब्रश करने की आदत डालें। और रात्रि भोजन के बाद भी ब्रश करवायें। शोध अनुसार सुबह उठकर और रात्रि सोने से पहले ब्रश करने से विभिन्न रोग हमेशा दूर रहते है। ब्रश करने से दांतों में फंसें भोजन अंश में जमा कीटाणु बैक्टीरियां का सफाया हो जाता है। अकसर मुंह में हर समय हजारों बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। जोकि लार, सांस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं। बच्चों कुछ भी खिलाने, पिलाने से पहले पहले हाथों मुंह की सफाई (कुल्ला) अवश्य करवायें।
बच्चों को शारीरिक क्रियाकलाप करवायें
बच्चों को कम्प्यूटर, मोबाईल, टैब, डिजिटल गेम्स में व्यस्थ रहने से बचायें। अधिक देर तक स्क्रीन पर व्यस्थ रहने से आंखों की नजर कमजोर होती है। और साथ ही डिजिटल रेज़स (तरंगें) शरीर अंगों को सैकड़ों दुष्प्रभाव डालती है। बच्चों को आउटडोर गेम्स जैसे दौड़-भाग, रस्सीकूद, बैडमिंटन, साईकिलिंग आदि तरह के शरीरिक क्रीड़ा करवायें। बहुत से बच्चें घर में ही कम्प्यूटर, मोबाईल, टैब, डिजिटल गेम्स में व्यस्थ रहते हैं। बच्चों की सही शरीरिक और मांसिक ग्रोथ के लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत ही जरूरी है।
बच्चों की साफ सफाई
खेलकूद क्रीड़ा से आने पर तुरन्त बच्चों के हाथ पांव मुंह एंटी बैक्टीरियल साबुन से धुलवायें। साफ सफाई के बाद ही बच्चों की खाने पीने की चीजें दें। अकसर विभिन्न तरह के कीटाणु बैक्टीरिया बच्चों के हाथों पैरों पर चिपके रहते हैं। बिना साफ सफाई के हानिकारक कीटाणु दूषित हाथों के माध्यम से भोजन के साथ पेट में पहुंच जाते हैं। जिससे बच्चों को विभिन्न बीमारियां जकड़ लेती है।
बच्चों के नाखूनों को समय समय पर काटे
साप्ताह में 1-2 बार बच्चों के नाखून अवश्य काटें। नाखूनों में मैल, गंद, बैक्टीरिया, कीटाणु मौजूद होते हैं। जोकि भोजन के साथ पेट में आसानी से पहुंच जाते हैं। अकसर बच्चों के नाखून वयस्कों से अधिक तेजी से बढ़ते हैं। बढ़े नाखूनों में अकसर सबसे ज्यादा गंदगी जमी रहती है।
बच्चों के लिए पौष्टिक आहार प्लान करें
बच्चों को तलीभुनी चीजें, फास्टफूड़ - ठंड़ा पेय - सोड़ा पेय विभिन्न तरह के जंकफूड़ खाने से बचायें। जंकफूड़, फास्टफूड़ एक तरह से अन्हेल्दी भोजन श्रेणी में आता है। जिसे प्लास्टिक फूड्स भी कह सकते हैं। घर किंचन का तैयार सात्विक भोजन, फलों का जूस बच्चों को खिलाएं-पिलाएं। बच्चों को जंकफूड़, फास्टफूड़, तलीभुनी चीजें और बाहर के दूषित खाने से बचायें।
फल, फल रस, पत्तेदार सब्जियां, दालें, दूध, नट्स एंव संतुलित पौष्टिक आहार बच्चों की डाईट में शामिल करें।
बच्चों के लिए कपड़े चयन
बच्चों को मौसम अनुसार कपड़ें पहनायें। मौसम बदलाव अनुसार सर्दी और गर्मी रोधक कपड़ें पहनाना जरूरी है। नियमित बच्चों के कपड़ें बदलें। ठंड़ी हवा और गर्मी - लू के चपेट में आने से बच्चों में सर्दी-जुकाम, बुखार, संक्रमण, वायरल, पेचिश, पेट दर्द से लेकर अनेकों विकार घेर लेते हैं।
बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें
बच्चों में बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरन्त डाॅक्टर को दिखायें। कई बार छोटी-छोटी बीमारियों बच्चों को गम्भीर कर देती है। अकसर बच्चों का इम्यून सिस्टम वयस्कों के मुकाबले काफी कमजोर होता है।
बच्चों को सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। और बच्चों को देर रात तक टी.बी., कम्प्यूटर, मोबाईल में व्यस्थ रहने की आदत से बचायें। देर रात तक जागने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, अपचन, अनिन्द्रा रोग, थकावट, मस्तिष्क कमजोर, शरीरिक ग्रोथ में रूकावट जैसे विकार हो सकते हैं। बच्चों की शारीरिक और मांसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए 8 घण्टे की नींद जरूरी है। रात समय पर सोने और सुबह समय पर जागने से दिनचर्या टाईम टेबल रूटीन के अनुसार बना रहता है। जिससे बच्चों का स्कूल टाईम, होमवर्क, खेलकूद, खान पान रूटीन के अनुसार चलता है। बच्चे स्वस्थ - निरोग रहते हैं।
बच्चों की नियमित शौच आदत
सुबह और शाम दो वक्त बच्चों को बाथरूम (शौच) करने की आदत डालें। कई बच्चे केवल एक वक्त शौच करते हैं। जिससे विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। जैसे पेट दर्द, अपचन, भूख कम लगना, सरदर्द, थोड़ा सा चलने में भी थक जाना आदि लक्षण हैं। पेट साफ रखने से कई बीमारियां दूर रहती हैं। पेट जमा दूषित पदार्थ विभिन्न बीमारियां पैदा करती हैं।
बच्चों को नियमित ब्रश आदत डालें
सुबह उठकर बच्चों को ब्रश करने की आदत डालें। और रात्रि भोजन के बाद भी ब्रश करवायें। शोध अनुसार सुबह उठकर और रात्रि सोने से पहले ब्रश करने से विभिन्न रोग हमेशा दूर रहते है। ब्रश करने से दांतों में फंसें भोजन अंश में जमा कीटाणु बैक्टीरियां का सफाया हो जाता है। अकसर मुंह में हर समय हजारों बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। जोकि लार, सांस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं। बच्चों कुछ भी खिलाने, पिलाने से पहले पहले हाथों मुंह की सफाई (कुल्ला) अवश्य करवायें।
बच्चों को शारीरिक क्रियाकलाप करवायें
बच्चों को कम्प्यूटर, मोबाईल, टैब, डिजिटल गेम्स में व्यस्थ रहने से बचायें। अधिक देर तक स्क्रीन पर व्यस्थ रहने से आंखों की नजर कमजोर होती है। और साथ ही डिजिटल रेज़स (तरंगें) शरीर अंगों को सैकड़ों दुष्प्रभाव डालती है। बच्चों को आउटडोर गेम्स जैसे दौड़-भाग, रस्सीकूद, बैडमिंटन, साईकिलिंग आदि तरह के शरीरिक क्रीड़ा करवायें। बहुत से बच्चें घर में ही कम्प्यूटर, मोबाईल, टैब, डिजिटल गेम्स में व्यस्थ रहते हैं। बच्चों की सही शरीरिक और मांसिक ग्रोथ के लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत ही जरूरी है।
बच्चों की साफ सफाई
खेलकूद क्रीड़ा से आने पर तुरन्त बच्चों के हाथ पांव मुंह एंटी बैक्टीरियल साबुन से धुलवायें। साफ सफाई के बाद ही बच्चों की खाने पीने की चीजें दें। अकसर विभिन्न तरह के कीटाणु बैक्टीरिया बच्चों के हाथों पैरों पर चिपके रहते हैं। बिना साफ सफाई के हानिकारक कीटाणु दूषित हाथों के माध्यम से भोजन के साथ पेट में पहुंच जाते हैं। जिससे बच्चों को विभिन्न बीमारियां जकड़ लेती है।
बच्चों के नाखूनों को समय समय पर काटे
साप्ताह में 1-2 बार बच्चों के नाखून अवश्य काटें। नाखूनों में मैल, गंद, बैक्टीरिया, कीटाणु मौजूद होते हैं। जोकि भोजन के साथ पेट में आसानी से पहुंच जाते हैं। अकसर बच्चों के नाखून वयस्कों से अधिक तेजी से बढ़ते हैं। बढ़े नाखूनों में अकसर सबसे ज्यादा गंदगी जमी रहती है।
बच्चों के लिए पौष्टिक आहार प्लान करें
बच्चों को तलीभुनी चीजें, फास्टफूड़ - ठंड़ा पेय - सोड़ा पेय विभिन्न तरह के जंकफूड़ खाने से बचायें। जंकफूड़, फास्टफूड़ एक तरह से अन्हेल्दी भोजन श्रेणी में आता है। जिसे प्लास्टिक फूड्स भी कह सकते हैं। घर किंचन का तैयार सात्विक भोजन, फलों का जूस बच्चों को खिलाएं-पिलाएं। बच्चों को जंकफूड़, फास्टफूड़, तलीभुनी चीजें और बाहर के दूषित खाने से बचायें।
फल, फल रस, पत्तेदार सब्जियां, दालें, दूध, नट्स एंव संतुलित पौष्टिक आहार बच्चों की डाईट में शामिल करें।
बच्चों के लिए कपड़े चयन
बच्चों को मौसम अनुसार कपड़ें पहनायें। मौसम बदलाव अनुसार सर्दी और गर्मी रोधक कपड़ें पहनाना जरूरी है। नियमित बच्चों के कपड़ें बदलें। ठंड़ी हवा और गर्मी - लू के चपेट में आने से बच्चों में सर्दी-जुकाम, बुखार, संक्रमण, वायरल, पेचिश, पेट दर्द से लेकर अनेकों विकार घेर लेते हैं।
बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें
बच्चों में बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरन्त डाॅक्टर को दिखायें। कई बार छोटी-छोटी बीमारियों बच्चों को गम्भीर कर देती है। अकसर बच्चों का इम्यून सिस्टम वयस्कों के मुकाबले काफी कमजोर होता है।