नींम जिस नीम नारायण भी कहा जाता है। आर्युवेद में नीम विभिन्न बीमारियों जैसे दांत रोग, त्वचा रोग, पेट पाचन विकार आदि सैकड़ों रोगों को मिटाने के लिए प्राचीन काल से ही नीम पत्तियां, बीज, फूल, फल, छाल उपयोग किया जा रहा है। नींम से कई तरह के साबुन, क्रीम, लोशन, सिरप, कैप्सूलस और सौन्दर्य प्रसाधन तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है। शोध अनुसार नींम में खास तौर पर Nimbolide और Azadirachtin कैंसर नाशक गुण मौजूद है। जोकि ब्रेस्ट कैंसर, त्वचा कैंसर, ब्लडकैंसर, ब्रेन ट्यूमर, अन्य तरह हर तरह के कैंसर को नष्ट करने में सहायक है। नींम इम्यून सिस्टम मजबूत बनाता है। और कैंसर सेल्स को धीरे-धीरे जड़ से मिटाने में खास सहायक है। जिसे Apoptosis प्रक्रिया भी कहा जाता है।
नींम कैंसर औषधि / Neem Cancer Aushadhi

नींम मृत और संक्रमित कैंसर कोशिकाओं को दोबारा से स्वस्थ सक्रीय करता है। नींम में पाये जाने वाले बीटा कैरोटीन, कैमफैरल, विटामिन सी, क्यूरसेटिन, अजाडिरोन, डेक्सोनिमबोलाइड, निमबोलाइड तत्व कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर नई कोशिकाओं का निमार्ण करते है। नींम एक तरह से बाॅडी में Programmed Cell Death (Apoptosis) प्रोसेस होता है। नींम एक तरह से उत्तम एंटीआक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, एंटीसेफ्टिक स्रोत है। और नींम के काई खास साईड इफेक्टस नहीं होते हैं।
नींम कैंसर ग्रसित व्यक्ति के लिए घरेलू औषधि उपयोग
नींम कैंसर ग्रसित व्यक्ति के लिए घरेलू औषधि उपयोग
- नींम के ताजे बीज धोकर धूप में अच्छे से सुखायें। सूखी नींम बीज के बाहरी हिस्से का फंक बनाकर कांच की शीषी में रख लें।
- रोज सुबह खाली पेट और रात्रि सोने से पहले चुटकीभर पाउडर गुनगुने पानी के साथ लें।
- ताजी 2-3 नींम पत्तियां रोज चबाकर खायें।
- कोमल नींम पत्तियों का रस कच्ची हल्दी की बूंदों के साथ गुनगुना- पानी में मिला कर पीयें। 2-3 घण्टे बाद कुछ खाये पीयें।
- बाहरी त्वचा पर कैंसर संक्रमण होने पर नींम ताजी पत्तियों का रस और कच्ची हल्दी रस मिलाकर लगायें।
- हरी नींम पत्तियों के उबले पानी से नहायें।
- नींम डंठल से दांतुन करें।
- नींम तेल से ग्रसित अंगों और शरीर पर मसाज करें।
- शरीर अंग संडन, सूजन, घाव संक्रमण होने पर कच्ची हल्दी, नींम रस और शहद मिश्रण कर लगायें।
- घाव, फोड़ा- फुंसी साफ सफाई में उबली नींम पत्तियों का पानी इस्तेमाल करें।
- नींम तेल से मालिश करें।