प्राचीन काल से भी हिन्दू धर्म में गाय को धर्म प्रतीक गौ माता के रूप में पूजा जाता है। गाय का पौष्टिक स्वादिष्ट दूध, घी, दही, मक्खन, पनीर बच्चे, युवा बुर्जुग सभी को स्वस्थ निरोग बनाये रखने में सहायक है। साथ ही गाय का गोबर खेतों में फसल - बागवानी के लिए प्राकृतिक खाद रूप है। और गाय, गौ मूत्र और गोबर से पूजा अर्जना, धर्म काण्ड, घर शुद्धीकरण में इस्तेमाल की जाती है। गौ को पाप नाशक, लक्ष्मी वास, गंगा मां, ब्रमाण जननी, अवतारणी, विघ्न हरण, वास्तु दोष निवारण भी माना जाता है। गाय में समस्त देवी देवताओं का वास होता है। प्राचीन काल में गाय के गोबर से घरों की लिपाई पुताई किया करते थे। गाय के गोबर कीटाणु संक्रमण नाशक है। गाय गोबर में प्रोपिलीन आक्साईड, इथिलीन आॅक्साईड की मात्रा होती है।
गाय गोबर से गोबर गैस, चूल्हा, बिजली और आपरेशन थियेटर में इथिलीन आक्साइड गैस तैयार की जाती है। गौ-मूत्र फसलों में कीट पंतग रोग लगने पर नसिर्गिक यूरिया छिड़काव किया जाता है। भारतीय गौ-मूत्र की मांग विश्वभर में तेजी से हो रही है। कई देश गौ-मूत्र से कैंसर जैसे विभिन्न घातक रोगों के लिए दवाईयां बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। गौ-मूत्र का प्रयोग प्राचीन काल आर्युवेदा से ही वैद्य ऋषि मुनि विभिन्न रोगों को मिटाने के लिए औषधि रूप में इस्तेमाल करते थे। जोकि आधुनिक विज्ञान भी रिर्सच कर गौ-मूत्र को खास औषधि मान चुकी है। गौ-मूत्र किसी संजीवनी से कम नहीं है। गौ-मूत्र से सैकड़ों गम्भीर बीमारियों को जड़ से मिटाया जा सकता है।
गौ-मूत्र क्यों फायदेमंद है ?
शोध अनुसार गौ-मूत्र में सिलिकाॅन, सिकलिनिक, एपिथिल्यम, क्लोरायड, साइटिक, एरोकिनेज, हिप्पुरिक अम्ल, उरोकिनेज, एपिथिल्यम, कार्बोलिक अम्ल, एरीथ्रोपोटिन, क्लोरीन, अमोनिया, एंजाइम, गोनाडोट्रोपिन, आयरन, काल्लीकरीन, ट्रिप्सिन, टाइट्रीक, लेक्टोस, अलान्टोइन, नाइट्रोजन, सल्फर, काॅपर, सोडियम, पोटाशियम, गैग्नीज, कैल्शियम, क्रीएटीनिन, फास्फेट, लेक्टोज, गोल्ड तत्व और रेडियो एक्टिव एलिमेंटस जैसे खास खनिज तत्च अम्ल एंव गुण एक साथ मौजूद हैं। इसी लिए गौ-मूत्र को संजीवनी रूप माना जाता है। शहरी गाय के मुकाबले पर्वतीय क्षेत्रों में हरी घास, वनस्पति, पत्तियां, शुद्ध पानी और स्वस्थ पर्यावरण से पलने वाली गाय का गौ-मूत्र अत्यधिक प्रभावशाली होता है।
गौ-मत्र का इस्तेमाल कैंसर, पीलिया, मिर्गी, बवासीर, डायबिटीज, कब्ज, अपचन, स्त्रीरोग, अनिद्रा, त्वचा विकार, ब्लडप्रेशर, कुष्ठ रोग, खुजली, घाव इंफेक्शन, लीवर सिरोसिस, मस्तिष्क विकार - ट्यूमर, भूख कम लगना, हर्निया, अजीर्ण, रक्त विकार, कोलेस्ट्रोल जैसे विभिन्न रोगों में रामबाण औषधि रूप है। प्राचीन काल में बुर्जुग नित्य गौ-मूत्र पीते थे और लम्बी स्वस्थ आयु जीते थे। बदलते समय में भी गाय पालन को बढ़ावा देना चाहिए। गाय धर्म के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। गाय बुहत लाभकारी पशु है।

दिल रखे स्वस्थ
गौ-मूत्र में लेक्टोज रेशो अधिक मात्रा में मौजूद है। जोकि हृदय धमनियों को क्लोटिंग से बचाने में सहायक है।
मस्तिष्क रखे स्वस्थ
गौ-मूत्र में कार्बोलिक एसिड, लेक्टोज तत्व मस्तिष्क तंतुओं को सुचारू रखने में सहायक है। और ब्रेन ट्यूमर और माइग्रेन सरदर्द से बचाता है।
जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र
जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र को सौंठ पाउडर के साथ घोलकर सेवन करना फायदेमंद है। जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र, सौंठ, नमक, नींबू पानी से दर्द सूजन ग्रसित अंगों पर खूब मालिश और सिकाई करें।
त्वचा रोग - चर्म रोग में गौ-मूत्र
खाज, खुजली, चर्म रोग में गौ-मूत्र में जीरा पाउडर मिलाकर कर संक्रमण ग्रसित जगह पर लगाना फायदेमंद है। और गौ-मूत्र में गाय का घी मिलाकर लगायें। या फिर गौ-मूत्र को नींबू पत्तों के रस साथ खाज, खुजली, चर्म ग्रसित त्वचा पर लगायें। यह एक प्रभावशाली औषधि रूप है।
कब्ज अपचन गैस में गौ-मूत्र
पेट पाचन सम्बन्धित समस्याओं को मिटाने के लिए नित्य सुबह खाली पेट गौ-मूत्र पीना फायदेमंद है। गौ-मूत्र धीरे-धीरे पेट सम्बन्धित समस्याओं को जड़ से मिटाने में सहायक है। गौ-मूत्र को नींबू रस के साथ भी पी सकते हैं।
लिवर रखे स्वस्थ
लिवर कार्य दक्षता सुचारू बनाने रखने में गौ-मूत्र सेवन करना फायदेमंद है। लिवर सिरोसिस में गौ-मूत्र औषधि रूप है।
डायबिटीज में गौ-मूत्र
शुगर लेवल नियंत्रण में और शुगर से होने वाले विभिन्न दुष्प्रभाव से बचाने में गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है।
दमा, टीबी में गौ-मूत्र
अस्थमा, टीबी रोग में गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है। गौ-मूत्र कफ- बलगम, पित्त, गले के इंफेक्शन जैसी समस्याओं को एक साथ दूर करने में सहायक है।
मिर्गी रोग में गौ-मूत्र
मिर्गी बीमारी में नित्य सुबह शाम गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है।
एनीमिया में गौ-मूत्र
रक्त की कमी, एनीमिया दूर करने में गौ-मूत्र में त्रिफला मिलाकर सेवन करना फायदेमंद है। गौ-मूत्र एनीमिया दूर करने में सहायक है।
खून साफ करे गौ-मूत्र
शरीर में रक्त खराबी, त्वचा सक्रमण होने पर गौ-मूत्र सेवन करना फायदेमंद है। गौ-मूत्र रक्त दोष दूर कर रक्त साफ करने में सहायक है।
कीटाणु, संक्रमण, वायरल नाशक गौ-मूत्र
गौ-मूत्र सेवन से शरीर में विभिन्न तरह के कीटाणु वायरस संक्रमण आसानी से मिटाने में सहायक है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। जोकि विभिन्न तरह के रोगों को शरीर से दूर रखती है।
मोटापा वजन तेजी से घटाये
फास्ट कैलौरी बर्न कर मोटापा वजन घटाने के लिए गौ-मूत्र नींबू रस गुनगुना पानी के साथ पीना फायदेमंद है।
घमोरिया मिटाये गौ-मूत्र
गर्मी मौसम में त्वचा पर घमोरिया दाने निकलने पर गौ-मूत्र नींम पत्तों के रस गर्म पानी में मिलाकर कर नहानें से घमोरिया दाने मिट जाते हैं।
गौ-मूत्र सेवन विधि और सावधानियां
गौ-मूत्र क्यों फायदेमंद है ?
शोध अनुसार गौ-मूत्र में सिलिकाॅन, सिकलिनिक, एपिथिल्यम, क्लोरायड, साइटिक, एरोकिनेज, हिप्पुरिक अम्ल, उरोकिनेज, एपिथिल्यम, कार्बोलिक अम्ल, एरीथ्रोपोटिन, क्लोरीन, अमोनिया, एंजाइम, गोनाडोट्रोपिन, आयरन, काल्लीकरीन, ट्रिप्सिन, टाइट्रीक, लेक्टोस, अलान्टोइन, नाइट्रोजन, सल्फर, काॅपर, सोडियम, पोटाशियम, गैग्नीज, कैल्शियम, क्रीएटीनिन, फास्फेट, लेक्टोज, गोल्ड तत्व और रेडियो एक्टिव एलिमेंटस जैसे खास खनिज तत्च अम्ल एंव गुण एक साथ मौजूद हैं। इसी लिए गौ-मूत्र को संजीवनी रूप माना जाता है। शहरी गाय के मुकाबले पर्वतीय क्षेत्रों में हरी घास, वनस्पति, पत्तियां, शुद्ध पानी और स्वस्थ पर्यावरण से पलने वाली गाय का गौ-मूत्र अत्यधिक प्रभावशाली होता है।
गौ-मत्र का इस्तेमाल कैंसर, पीलिया, मिर्गी, बवासीर, डायबिटीज, कब्ज, अपचन, स्त्रीरोग, अनिद्रा, त्वचा विकार, ब्लडप्रेशर, कुष्ठ रोग, खुजली, घाव इंफेक्शन, लीवर सिरोसिस, मस्तिष्क विकार - ट्यूमर, भूख कम लगना, हर्निया, अजीर्ण, रक्त विकार, कोलेस्ट्रोल जैसे विभिन्न रोगों में रामबाण औषधि रूप है। प्राचीन काल में बुर्जुग नित्य गौ-मूत्र पीते थे और लम्बी स्वस्थ आयु जीते थे। बदलते समय में भी गाय पालन को बढ़ावा देना चाहिए। गाय धर्म के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। गाय बुहत लाभकारी पशु है।
गौ-मूत्र से फायदे / Cow Urine, Gomutra Benefits in Hindi, Cow Urine Therapy / Gomutra ke Labh / Cow Urine Benefits, Gomutra ke Fayde

कैंसर में गौ-मूत्र
कैंसर बीमारी में गौ-मूत्र नेचुरल तरीके से रेडियो एक्टिव एलिमेंटस की तरह कार्य कर कैंसर ग्रसित कोशिकाओं को नष्ट करता है। गौ-मूत्र में करक्यूमित की तरह विभिन्न खनिज तत्व मौजूद हैं।
दिल रखे स्वस्थ
गौ-मूत्र में लेक्टोज रेशो अधिक मात्रा में मौजूद है। जोकि हृदय धमनियों को क्लोटिंग से बचाने में सहायक है।
मस्तिष्क रखे स्वस्थ
गौ-मूत्र में कार्बोलिक एसिड, लेक्टोज तत्व मस्तिष्क तंतुओं को सुचारू रखने में सहायक है। और ब्रेन ट्यूमर और माइग्रेन सरदर्द से बचाता है।
जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र
जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र को सौंठ पाउडर के साथ घोलकर सेवन करना फायदेमंद है। जोड़ों के दर्द में गौ-मूत्र, सौंठ, नमक, नींबू पानी से दर्द सूजन ग्रसित अंगों पर खूब मालिश और सिकाई करें।
त्वचा रोग - चर्म रोग में गौ-मूत्र
खाज, खुजली, चर्म रोग में गौ-मूत्र में जीरा पाउडर मिलाकर कर संक्रमण ग्रसित जगह पर लगाना फायदेमंद है। और गौ-मूत्र में गाय का घी मिलाकर लगायें। या फिर गौ-मूत्र को नींबू पत्तों के रस साथ खाज, खुजली, चर्म ग्रसित त्वचा पर लगायें। यह एक प्रभावशाली औषधि रूप है।
कब्ज अपचन गैस में गौ-मूत्र
पेट पाचन सम्बन्धित समस्याओं को मिटाने के लिए नित्य सुबह खाली पेट गौ-मूत्र पीना फायदेमंद है। गौ-मूत्र धीरे-धीरे पेट सम्बन्धित समस्याओं को जड़ से मिटाने में सहायक है। गौ-मूत्र को नींबू रस के साथ भी पी सकते हैं।
लिवर रखे स्वस्थ
लिवर कार्य दक्षता सुचारू बनाने रखने में गौ-मूत्र सेवन करना फायदेमंद है। लिवर सिरोसिस में गौ-मूत्र औषधि रूप है।
डायबिटीज में गौ-मूत्र
शुगर लेवल नियंत्रण में और शुगर से होने वाले विभिन्न दुष्प्रभाव से बचाने में गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है।
दमा, टीबी में गौ-मूत्र
अस्थमा, टीबी रोग में गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है। गौ-मूत्र कफ- बलगम, पित्त, गले के इंफेक्शन जैसी समस्याओं को एक साथ दूर करने में सहायक है।
मिर्गी रोग में गौ-मूत्र
मिर्गी बीमारी में नित्य सुबह शाम गौ-मूत्र सेवन फायदेमंद है।
एनीमिया में गौ-मूत्र
रक्त की कमी, एनीमिया दूर करने में गौ-मूत्र में त्रिफला मिलाकर सेवन करना फायदेमंद है। गौ-मूत्र एनीमिया दूर करने में सहायक है।
खून साफ करे गौ-मूत्र
शरीर में रक्त खराबी, त्वचा सक्रमण होने पर गौ-मूत्र सेवन करना फायदेमंद है। गौ-मूत्र रक्त दोष दूर कर रक्त साफ करने में सहायक है।
कीटाणु, संक्रमण, वायरल नाशक गौ-मूत्र
गौ-मूत्र सेवन से शरीर में विभिन्न तरह के कीटाणु वायरस संक्रमण आसानी से मिटाने में सहायक है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। जोकि विभिन्न तरह के रोगों को शरीर से दूर रखती है।
मोटापा वजन तेजी से घटाये
फास्ट कैलौरी बर्न कर मोटापा वजन घटाने के लिए गौ-मूत्र नींबू रस गुनगुना पानी के साथ पीना फायदेमंद है।
घमोरिया मिटाये गौ-मूत्र
गर्मी मौसम में त्वचा पर घमोरिया दाने निकलने पर गौ-मूत्र नींम पत्तों के रस गर्म पानी में मिलाकर कर नहानें से घमोरिया दाने मिट जाते हैं।
गौ-मूत्र सेवन विधि और सावधानियां
- सुबह - शाम रोज 15 से 20 मिली गौ-मूत्र पी सकते हैं।
- गर्भवती और बीमार गाय का गौ-मूत्र सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती गाय गौ-मूत्र में हार्मोंनस अम्ल अधिक होते हैं।
- 9 महीने से 2 साल तक की बछिया का गौ-मूत्र सेवन अधिक प्रभावशाली है।
- गौ-मूत्र सेवन के 10 दिन पहले से ही मांसाहार, नशा, शराब छोड़ दें।
- गौ-मूत्र सुबह के वक्त ही इक्टठा करें।
- गौ-मूत्र सेवन के 45-50 मिनट बाद ही कुछ खायें पीयें।
- गौ-मूत्र को अधिक गर्म या ठंड़ी जगह पर नहीं रखें।
- गौ-मूत्र को साफ कांच शीशी या चिनी मिट्टी बर्तन में छानकर रखें।
- 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए गौ-मूत्र सेवन मना है।
- गर्भवती महिलाएं गौ-मूत्र सेवन से बचें।
- अनिंद्रा रोगी गौ-मूत्र सेवन से परहेज करें।
- इंफलिटी समस्या में गौ-मूत्र सेवन मना है।
- गौ-मूत्र को दूध, दही, छांछ, मट्ठा, पानी के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
- गर्मियों में गौ-मूत्र सीमित मात्रा में सेवन करें।