एंडोस्कोपी क्या है Endoscopy in Hindi Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi एंडोस्कोपी क्या है Endoscopy in Hindi - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

एंडोस्कोपी क्या है Endoscopy in Hindi

एंडोस्कोपी का अर्थ शरीर के अन्दर Endoscope Camera युक्त पतली नली पहुंचा कर रोगों और समस्याओं के चित्र देखना है। जिसे आम भाषा में Endoscopy कहते हैं। स्कोप फाइबर युक्त प्रणाली से शरीर के अन्दर प्रकाश बनता है। अन्दर का चित्रण फाइबरस्कोपी के जरिया मोनिटर - स्क्रीन पर प्रसारित होता है। एंडोस्कोपी का अर्थ शरीर के अन्दर देखना भी कह सकते हैं। एंडोस्कोपी तकनीक की सहायता से चिकित्सक रोगों की समीक्षा कर इलाज करते हैं। स्कोप से शरीर में पनपने वाली बीमारियों को सूक्ष्म तरीके से Endoscopy Images रूप में देखा जा सकता है।
एंडोस्कोपी का आविष्कार फिलिप बोज़िनी ने सन् 1806 में किया था। शुरूआती दौर में एंडोस्कोपी का इस्तेमाल मात्रा शरीर नलियों की जांच के लिए किया जाता है। परन्तु बाद में कुछ-कुछ समय बाद विलियम ब्यूमोन्ट, चाल्र्स डेविड, हेंस क्रिश्चियन जैकोबियस, हेंज काॅक, कार्ल स्टोर्ज, तत्सुरो यूजी, शोजी फुकामी ने एंडोस्कोपी को पूर्ण रूप दिया। और सफल स्कोप बनाया। जोकि आधुनिक समय में परफेक्ट Flexible Endoscopy है।

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एंडोस्कोपी करवाने की जरूरत कब होेती है ? 
  • नांक समस्या / साइनस लक्षण
  • गले के छाले - दाने
  • निगलने में परेशानी
  • ग्रास नली की समस्या
  • उल्टी में रक्त आना
  • आंतों में सूजन दर्द
  • कब्ज से ग्रसित रहने पर
  • पित्ताश पथरी
  • पेट के अल्सर
  • गर्भाश्य
  • रसौली
  • अग्नाश्य
  • पेशाब में रक्त आना
  • मल में रक्त आना
  • गर्भावस्था में भूर्ण जांच
  • गम्भीर सर्जरी
  • कान पर्दा रोग
एंडोस्कोपी से पहले तैयारी 
  • एंडोस्कोपी डाॅक्टर / सर्जन अस्पताल में ही करते हैं। एंडोस्कोपी से पहले सम्बन्धित व्यक्ति को निर्देश दिये जाते हैं।
  • खाने पीने से सम्बन्धित परहेज के बारे में व्यक्ति को एंडोस्कोपी किस शरीर भाग का करना है उस पर निर्भर होता है।
  • पेट, आंतों सम्बन्धित एंडोस्कोपी में खाने पीने की चीजों से परहेज रखना पड़ सकता है।
  • अलग-अलग तरह की एंडोस्कोपी में व्यक्ति तरल पदार्थ सेवन कर सकता है।
  • गुदा - कोलान एंडोस्कोपी करने पहले मरीज को पेट साफ रखने के लिए जुलाब गोली / लैक्सेटिव दी जा सकती है।
  • पहले से दवाईयां सेवन करने वाली व्यक्ति को कुछ एंडोस्कोपी करवाने तक दवाईयां परहेज के लिए कहा जा सकता है।
  • गर्भाशय एंडोस्कोपी के लिए चिकित्सक पर्याप्त पानी की राय दे सकते हैं।
  • भिन्न तरह की एंडोस्कोपी में एंटीबायोटिक दवाईयों की सलाह दी जा सकती है।
  • बह्याय अंगों की एंडोस्कोपी में खान पान पर परहेज नहीं हो सकता।
  • खान-पान, दवाईयां परहेज एंडोस्कोपी के प्रकार पर निर्भर करता है।
एंडोस्कोपी के वक्त क्या होता है ?
  • एंडोस्कोपी के दौरान स्कोप को बड़ी ही सावधानीपूर्वक शरीर अंगों में पहुंचाया जाता है।
  • एंडोस्कोपी प्रक्रिया डाॅक्टर / सर्जन अस्पताल या उचित जगह पर ही करते हैं।
  • मुंह मार्ग से की कई एंडोस्कोपी में मुंह पर छेदनुमा रबड़ गार्ड लगा दिया जाता है। जिसे Endoscopy Mouth Guard भी कहते हैं।
  • नाॅमल एंडोस्कोपी करने में लगभग 45-60 मिनट लग सकते हैं।
  • खास एंडोस्कोपी सर्जरी करने पर 1 से 2 घण्टे तक लग सकते हैं।
  • घबराहट के कारण व्यक्ति को एंडोस्कोपी के दौरान उल्टी, चक्कर या बेहोशी आ सकती है।
  • भिन्न तरह की एंडोस्कोपी में व्यक्ति को सचेत / बेहोशी के लिए अनेस्थेटिक दिया जा सकता है।
  • गले आंतों की एंडोस्कोपी के लिए गला सुन्न करने के लिए लाॅजेंज / स्प्रे किया जा सकता है।
  • स्कोप को निर्धारित शरीर अंग जांच जगह पर पहुंचाया जाता है।
  • स्कोप ग्रसित जगह का चित्रण स्क्रिीन पर प्रशारित करता है। एंडोस्कोपी एक तरह से साधारण प्रक्रिया है।
एंडोस्कोपी के बाद क्या होता है ?
  • Endoscopy Test करवाने के बाद डाॅक्टर / सर्जन व्यक्ति को लगभग 1 घण्टा आराम करने को कह सकते हैं।
  • एंडोस्कोपी के बाद मरीज का ध्यान रखना जरूरी होता है। क्योंकि कई बार एंडोस्कोपी के व्यक्ति में बेहोशी, उल्टी, पेट दर्द, चक्कर आदि समस्याएं आ सकती हैं।
  • भिन्न तरह की एंडोस्कोपी में व्यक्ति को अनेस्थेटिक मेडिसिन देने से अलग-अलग समस्याएं हो सकती है। एंडोस्कोपी करवाने के बाद मरीज को अकेला नहीं छोडें।
  • कई बार एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति को बेहोशी दवा का असर कुछ समय तक रह सकता है।
  • अंगों की सर्जरी एंडोस्कोपी में व्यक्ति को दर्द निवारण दवाईयां दी जा सकती है।
  • मूत्राशय की एंडोस्कोपी में व्यक्ति को 1-2 दिन तक आराम करने की सलाह दी जा सकती है।
  • मूत्राशय एंडोस्कोपी के बाद पेशाब में जलन, दर्द, रक्त अंश आने की सम्भावनाएं हो सकती है।
  • साधारण एंडोस्कोपी करवाने के बाद भी व्यक्ति को तुरन्त रूटीन कार्यों में नहीं लगना चाहिए।
  • एंडोस्कोपी के बाद कुछ समय के लिए आराम करना जरूरी होता है। अकसर कई बार सीडेटिव मेडिसिन साईडइफेक्टस कर सकती है।
  • एंडोस्कोपी करवाने के बाद ग्रसित अंग पर संक्रमण हो सकता है। चिकित्सक एंटीबोयोटिक दवाईयां की सलाह दे सकते हैं।
  • एंडोस्कोपी के दौरान ऊतकों की क्षतिग्रत, खराबी को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
  • एंडोस्कोपी प्रक्रिया से शरीर पर एलर्जी रेशेज समस्या आ सकती है।
  • एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति शरीरिक बदलाव महसूस कर सकता है।
  • कई मामलों में एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति खाने पीने की चीजों के लिए कुछ घण्टे के लिए परहेज होता है।
  • एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति को हेल्दी तरल पदार्थ सेवन की सलाह दी जाती है।
  • एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति को हेल्दी और आसानी से पाचन करने वाले खाने पीने की चीजों की सलाद दी जाती है। यह किस तरह की एंडोस्कोपी की गई है, उस पर निर्भर करता है।
एंडोस्कोपी के प्रकार / Types of Endoscopy

लार्यन्गोस्कोपी 
इस विधि में मुंह ग्रास नली से कैमरा युक्त पतली नली अन्दर डालकर रोगों की समीक्षा की जाती है।

आर्थोस्कोपी 
इस विधि द्धारा सर्जन शरीर जोड़ों हड्डियों पर हल्का सा चीरा/छेद बनाकर अन्दर की स्थिति की समीक्षा करते हैं।

थोरैकोस्कोपी 
थोरैकोस्कोपी भी कहा जा सकता है। इस विधि में सर्जन चेस्ट / ग्रसित अंग पर मामूली सा चीरा लगाकर स्कोप को अन्दर डाल कर रोग स्थिति की समीक्षा करते हैं।

एंतेरोस्कोपी 
इस विधि द्धारा सर्जन स्कोप को मुंह से अन्दर डालकर पाचनतंत्र या फिर गुदा के रास्ते अन्दर पहुंचाकर आंतों के रोगों की समीक्षा करते हैं।

ब्रोन्कोस्कोपी 
इस विधि द्धारा चिकित्सक / सर्जन फेफड़ों में आक्सीकरण समस्या निरीक्षण और समीक्षा करते हैं।

मीडियासतीनोस्कोपी 
इस विधि में सर्जन चेस्ट बोन्स पर छोटा सा चीर / छेद देकर स्कोप अन्दर डालकर फेफड़ों और धमनियों की समीक्षा करते हैं।

लेप्रोस्कोपी 
इस विधि के माध्यम से सर्जन पेट के आसपास चीरा लगाकर अन्दुरूनी अंगों का निरीक्षण करते हैं। और सर्जरी के दौरान ट्रीटमेंट करने में आसानी रहती है।

कोलोनोस्कोपी 
इस विधि में सर्जन स्कोप को गुदा मार्ग से अन्दर पहुंचाकर रोगों की समीक्षा करते हैं। पाईल्स मस्से, घाव की सर्जरी / उपचार करने में कोलोनोस्कोपी विधि चिकित्सक / सर्जन के लिए सहायक है।

हैस्टेरोस्कोपी 
महिलाओं के गर्भाश्य सम्बन्धित समस्याओं की समीक्षा करने के लिए स्कोप को योनि मार्ग से अन्दर भेजते हैं। महिलाओं की गुप्त बीमारियों का पता लगाने के लिए हैस्टेरोस्कोपी की जाती है।

सिस्टोस्कोपी 
यह विधि में चिकित्सक मूत्राशय से स्कोप को अन्दर पहुंचाकर रोगों की समीक्षा करते हैं। पेशाब में रक्त आने, ट्यूब में सूजन, लगातार पेशाब में रूकावट, पेशाब में बदबू जैसे जटिल समस्याओं में सिस्टोस्कोपी की जाती है।

अपर गस्त्रोइंतेस्तिनल स्कोपी 
इस विधि में चिकित्सक स्कोप को मुंह के द्धारा आंतों, पेट के रोगों की समीक्षा करते हैं। लगातार अपचन, गैस्ट्रिक समस्या, छाती के नीचे दर्द समस्याओं में अपर गस्त्रोइंतेस्तिनल स्कोपी की जाती है।

सिग्मोइडोस्कोपी 
यह विधि बड़ी आंत, गुदा पर संक्रमण, पाईल्स समस्याओं की जाती है। स्कोप गुदा से अन्दर भेजा जाता है। यह टेस्ट कोलनोस्कोपी से थोड़ा भिन्न होता है।

अलग-अलग तरह की एंडोस्कोपी चिकित्सक / सर्जन द्धारा रोगों की स्थिति अनुसार की जाती है। एंडोस्कोपी प्रक्रियाओं से चिकित्सक / सर्जन को रोगों को पहचानने, समीक्षा और उपचार करने में आसानी रहती है।