अल्ट्रासाउंड क्या है Ultrasound in Hindi Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi अल्ट्रासाउंड क्या है Ultrasound in Hindi - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

अल्ट्रासाउंड क्या है Ultrasound in Hindi

अल्ट्रासाउंड एक तरह से ध्वनि तरंग High Frequency Sound Waves है, जिसके इस्तेमाल से पेट वक्ष शरीर के विभिन्न अंगों की जांच जांच कर रोगों की समीक्षा की जाती है। अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर में उच्च आवृत्ति ध्वनि तंरगें ऊतकों अंगों में गतिविधियां करती हैं, ध्वनि गूंज कम्प्यूटर में तस्वीरें भेज कर अंदुरूनी स्थिति दर्शाता है। अल्ट्रासाउंड मशीन उच्च ध्वनि तंरगों के उपयोग से पेट वक्ष के अन्दर की हलचल, गड़बड़ी, बीमारियों की परदर्शिता तस्वीरें पाने का अच्छा माध्यम है।

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अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर के प्रकार

अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर दो तरह के होते हैं।
  • रेखिक ट्रांसड्यूसर प्रोबस (Linear Probes)
  • वक्रीय ट्रांसड्यूसर प्रोबस (Curvilinear Probes)
अल्ट्रासाउंड सुरक्षित तरीका है, अल्ट्रासाउंड से शरीर में किसी तरह से दर्द नहीं होता है। अल्ट्रासाउंड से किड़नी स्टोन, अन्दुरूनी गांठ, इंफेक्शन, पश बनने, वाहिकाओं, ऊतकों, बीमारियों के लक्षणों की समीक्षा करने और गर्भावस्था में भ्रूण विकास की जांच की जाती है। हालांकि अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे भूण की लिंग जांच करवाना आपराधिक दण्ड है। अल्ट्रासाउंड से पेरेंटस शिशु की पहली झलक भूर्ण रूप में देख सकते हैं। और पेरेंटस भूण विकास के बारे में अवगत हो जाते हैं। अल्ट्रासाउंड को सोनीग्राफी भी कहा जाता है। अल्ट्रासाउंड के माख्यम से खीची गई तस्वीरों को सोनोग्राम से भी जाता जाता है।

अल्ट्रासाउंड जांच किन अंगों और बीमारियों में होती है ?
  • पेशाब में जलन दर्द
  • गुर्दें
  • अंडकोष
  • लिवर
  • अंडाशय
  • रक्त वहिकाओं
  • ऊतकों
  • अग्नाशय
  • गर्भावस्था
  • कैंसर संक्रमण
  • डाउन सिड्रोंम
  • एम्नोयोटिक
  • थाॅयराइड
अल्ट्रासाउंड की जांच कैसे होती है ?
  • अल्ट्रासाउंड खाली पेट किया जाता है।
  • अल्ट्रासाउंड करवाने से पहले खूब सारा पानी पिलाया जाता है, जिससे व्यक्ति को पेशाब प्रेशर बन जाये। ब्लैटर भरा हो।
  • अल्ट्रासाउंड के दौरान व्यक्ति को टेवल चेयर पर लिटा कर पेट पर ट्रांसड्यूसर जैल लगाया जाता है।
  • त्वचा पर ट्रांसड्यूसर जैल मलने पर ट्रांसड्यूसर प्रोबस से ध्वनि तंरगों द्धारा पेट की तस्वीरें कम्प्यूटर में ले ली जाती है।
  • अल्ट्रासाउंड करने में 10-20 मिनट का समय लगता है। कई बार गम्भीर समस्याओं में अधिक समय लग सकता है।
  • किड़नी लिवर पित्ताशय आदि अंदुरूनी फंक्शन की जांच तस्वीर से साफ पता चल जाती है।
  • अल्ट्रासाउंड भ्रूण स्वास्थ्य जांच, जुड़वा, पेरेंटस शिशु पहली झलक देखने आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • इंट्रावेनस की जरूरत होने पर, शरीर नसों, ऊतकों, गर्दन, छाती, कमर के निचले हिस्सें की नसों की समीक्षा पहचान के लिए भी अल्ट्रासाउंड गाइडेन्स किया जाता है।
  • ईकोकार्डियोग्राफी के माध्यम से हार्ट वाॅल्वों, पल्स गति, ब्लड पम्प, ब्लड प्रेशर, स्ट्राॅक, गांठ का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड थेराप्यटिक कई बार शरीरिक चोट, नाजुक ऊतकों की विकारों की जांच के लिए भी किया जा सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड होने के बाद रेडियोलोजिस्ट रिजल्ट रिपोर्ट तैयार करता है।
  • चिकित्सक रेडियोलोजिस्ट रिपोर्ट के अनुसार रोगों की समीक्षा कर दवाईयां उपचार करता है।
अल्ट्रासाउंड करवाने में सावधानियां 
  • लगातार अल्ट्रासाउंड नहीं करवाना चाहिए। बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने के विभिन्न साईड इफेक्टस होते हैं।
  • बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने से डी.एन.ए. सेल्स को नुकासन होता है।
  • बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने से भ्रूण, हृदय, ब्रेन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
  • जरूरत से ज्यादा बार अल्ट्रासाउंड करवाने से गांठ, ट्यूमर बनने की सम्भावनाएं रहती है।
  • अल्ट्रासाउंड जांच चिकित्सक की राय और रोगों की समीक्षा के बाद ही करवाना चाहिए।
  • अल्ट्रासाउंड 2 से 3 महीने के अन्तराल में जरूरत पड़ने पर ही करवायें।
  • अल्ट्रासाउंड बार-बार करवाने से कोमल ऊतक ब्लड सेल्स क्षतिग्रत हो सकते हैं।
अल्ट्रासाउंड प्रकार
अल्ट्रासाउंड तीन तरह से होते हैं। 
  1. बाहरी अल्ट्रासाउंड स्कैन (प्रोब का त्वचा के ऊपरी भाग में घूमकर तस्वीर लेना)
  2. आंतरिक अल्ट्रासाउंड स्कैन (प्रोब शरीर के अन्दर घूमकर तस्वीर लेना)
  3. एन्डोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड स्कैन (प्रोब की लचीली ट्यूब सिरे जोड़ कर शरीर के अन्दर भेज कर तस्वीर लेना)
महिलाओं में गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड प्रकार 

गर्भावस्था के दौरान भ्रूण जांच स्वास्थ, लिंग निर्धारण के आदि जांच के लिए 4 तरह से अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

ट्रांसवैजिनियल अल्ट्रासाउंड 
ट्रांसवैजिनियल अल्ट्रासाउंड गर्भ ठहरने के शुरूआती दिनों में किया जाता है। प्रोबस द्धारा भ्रूण विकास स्थिति की पिक्स कैप्चर की जाती है। जिसे First Ultrasound या फिर 3 Weeks Pregnant Ultrasound भी कहा जाता है।

3डी अल्ट्रासाउंड
यह अल्ट्रासाउंड 2 से 3 महीने के अन्तराल में भ्रूण के अंगों के विकास, स्वास्थ्य जांच, लम्बाई, चैडाई और भ्रूण की संदिग्ध समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है। इसे 3D Baby Scan भी कहा जाता है।

4डी अल्ट्रासाउंड
4डी अल्ट्रासाउंड 5 से 6 महीने के अन्तराल में भ्रूण की हलचल, आकार, चेहरे की झलक पाने के लिए प्रोबस से छवि कैप्चर की जाती हैं। यह मौका पेरेंटस के लिए शिशु की भ्रूण रूप में देखने का सुखद मौका होता है। जिसे 4D Baby Scan से भी जाना जाता है।

भ्रूण इकोकाडियोग्राफी अल्ट्रासाउंड 
इकोकाडियोग्राफी अल्ट्रासाउंड जांच से भ्रूण विकृति, हृदय दोषों, असमान्य स्थिति, संरचना की सटीक जांच की जाती है। जिससे चिकित्सक भ्रूण में होने वाली समस्याओं का निदान और सुझाव करता है।
भ्रूण की बार-बार जांच करवाना भी हानिकारक होता है। भ्रूण जांच चिकित्सक द्धारा बनाये गये समय सारणी के अनुसार की करवायें। Gender Ultrasound दण्डनीय अपराध है। भ्रूण लिंग Ultrasound Scan जांच से बचें।