महिलाओं के लिए जरूरी मेडिकल टेस्ट Female Medical Check Up Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi महिलाओं के लिए जरूरी मेडिकल टेस्ट Female Medical Check Up - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

महिलाओं के लिए जरूरी मेडिकल टेस्ट Female Medical Check Up

महिलाओं में आयु बढ़ने के साथ-साथ कई शरीरिक समस्याएं होने लगती हैं। जोकि एक चिंता का विषय बना रहता है। अकसर मात्र 25 आयु से ही महिलाओं में कई स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। 45 वर्ष बाद कई बीमारियां जटिल रूप ले लेती हैं। जिनके प्रति जागरूक होना अति जरूरी है। आंकड़ों अनुसार पुरूर्षों के मुकाबलें महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएं अधिक होती हैं। समस्याओं को शुरूआती दौर पर जानने के लिए वर्ष के अन्तराल में Female Medical Check up जरूरी हो जाता है। जिससे समय पर छोटी-छोटी समस्याओं का निवारण - उपचार हो सके।

महिलाओं के लिए जरूरी मेडिकल टेस्ट / Female Medical Check Up in Hindi / Mahilaon ke liye Medical Checkup


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वार्षिक मेडिकल चेकअप 

20 से 30 वर्ष की आयु वर्ग महिलाओं को साल में 1 बार हेल्थ चेकअप अवश्य करवाना चाहिए। हार्मोंन बदलाव और सैक्सुअल क्रिया से संक्रमण का खतरा बना रहता है। Pap Test और Pelvic Test करवाना फायदेमंद है।

(एच.पी.वी.) सर्वाकल टेस्ट 

हर तीसरे साल में (एच.पी.वी.) पॅपिलोमावाइरस टेस्ट करवाना फायदेमंद है। जिससे सवाईकल कैंसर के लक्षणों को शुरूआती दौर पर निष्क्रीय किया जा सके। पॅपिलोमावाइरस के द्धारा Cervical Cancer से बचने के लिए मासिक, छमाही टीके भी लगवा सकते हैं।

आंखें चेकअप 

अधिकत्तर महिलाओं में मासिक धर्म में गड़बड़ी और पोषण की कमी के कारण आंखों की रोशनी कम होने की शिकायत रहती है। साल में एक बार आंखों की जांच करवायें।

ब्रेस्ट टेस्ट 

उम्र बढ़ने पर महिलाओं में स्तन कैंसर, फाइब्रोसिस्टिक, स्तनों में गांठ, नसों ऊतकों में वृद्धि की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। स्तनों से सम्बन्धित समस्याओं को जानने के लिए ब्रेस्ट टेस्ट करवाना जरूरी है।

क्लैमाइडिया बैक्टीरिया 

30 वर्ष आयुवर्ग से महिलाओं में क्लैमाइडिया बैक्टीरिया फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। क्लैमाइडिया बैक्टीरिया सैक्सुअल (यौन संचारित) रोग है। क्लैमाइडिया बैक्टीरिया संक्रमण होने पर महिलाओं में प्रज्जनन क्षमता कमजोर करता है। जिससे बच्चा पैदा होने में देरी होती है। क्लैमाइडिया बैक्टीरिया इलाज समय पर जरूरी है।

हीमोग्लोबिन जांच 

आंकड़ों अनुसार 78 प्रतिशत महिलाओं में रक्त की कमी होती है। मासिक धर्म में स्राव, संतुलित पौषण की कमी और तनाव की वजह से महिलाओं में रक्त की कमी होती है। 2 साल अन्तराल में हीमोग्लोबिन जांच जरूरी है।

स्किन चेकअप 

महिलाओं में स्किन सम्बन्धित समस्याएं अधिक होती हैं। त्वचा पर क्रीम पाउडर, लोशन, जैल, फाउडेशन के साइड इफेक्टस का खतरा बना रहता है। त्वचा संक्रमण, एलर्जी, फोड़े मुंहासे, त्वचा असामान्य को नाकारा नहीं जा सकता। त्वचा पर असामन्य लक्षण रहने पर तुरन्त त्वचा और रक्त जांच करवायें।

रक्तचाप- कोलेस्ट्राॅल जांच 

वर्कलोड, तनाव, लाइफस्टाइल, घर-परिवार व्यस्थ जीवन शैली के कारण महिलाओं में रक्तचाप- कोलेस्ट्राॅल की समस्या एक मुख्य कारण है। साल में एक बार कोलेस्ट्राॅल - रक्तचाप स्थिति जानने टेस्ट जरूरी है। रक्तचाप- कोलेस्ट्राॅल महिलाओं में काॅमन समस्या बनती जा रहा है। जिससे हार्ट अटैक, स्ट्राॅक, तनाव, उच्चरक्तचाप, अनियत्रित कोलेस्ट्राॅल और अन्य अकासमिक होने वाले रोगों का समय रहते रोकथाम उपचार सम्भव हो पाता है।

डेंटल चेकअप 

अधिकत्तर महिलाओं में समय की कमी और व्यस्थ दिनचर्या की वजह से दांतों पर विशेष ध्यान नहीं दे पाती हैं। जिससे दांतों मसूड़ों की समस्याएं अधिक होने लगती हैं। साल में एक बार दांतों की स्वास्थ्य जांच जरूरी है।

मैमोग्राम्स और पैप स्मीयर जांच 

आयु बढ़ने पर महिलाओं को मैमोग्राम्स और पैप स्मीयर करवाना जरूरी होता है। नाॅमल और नकारात्मक रिपार्ट आने पर भी 2 साल अन्तराल में अवश्य करवायें।

आस्टियोपोरोसिस जांच 

हड्डियों में कमजोरी, हड्डियां टूटने, तीब्र दर्द की समस्याओं आदि हड्डियों की समस्याओं से बचने के लिए हर दूसरे साल आस्टियोपोरोसिस जांच जरूरी है। अकसर अधिकत्तर महिलाओं में कैल्सियम, आयरन, फाॅलिक एसिक, विटामिनस की कमी होती है। 40 वर्ष बाद हड्डियों की समस्याएं अधिक हो सकती हैं।

अवसाद जांच 

पुरूर्षों के मुकाबले महिलाओं का दिनचर्या अधिक व्यस्थ रहता है। तनाव, थकान, चिड़चिड़ापन और शरीरिक कमजोरी होने की सम्भावनाएं अधिक रहती है। अवसाद लक्षण होने पर तुरन्त मनोचिकित्सक से सम्पर्क करें।

एड्स टैस्ट - संक्रमण 

2 साल अन्तराल में एड्स और संक्रमण टेस्ट करवा सकते हैं। इससे पनपने वाले गुप्त रोगों का शुरूआती दौर पर निवारण किया जा सकता है।

फुल बाॅडी जांच 

बदलते लाइफस्टाइल दिनचर्या में शरीरिक समस्याओं एंव रोगों का भय बना रहता है। साल में 1 बार शरीर का पूर्ण रूप से मेडिकल टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। इससे व्यक्ति स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं से जागरूक हो जाता है, और समय पर रोकथाम उपचार सम्भव बन पाता है। रोग की गम्भीर स्थिति से अच्छा है कि साल में 1 बार पूर्ण मेडिकल चेकअप करवायें।

अगर किसी तरह से रोग लक्षण नहीं हैं, फिर भी साल में एक बार Health Check Up करवा लेना चाहिए। हेल्थ चेकअप से होने वाले रोगों के लक्षणों का आसानी से पता चल जाता है। जिससे समय पर रोकथाम उपचार हो सके।