कच्ची हल्दी में विशेष रूप से एन्टीआक्सीडेंट, एन्टीवायरल, एन्टीबायोटिक, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीसेफिटिक गुण एक साथ मौजूद हैं। कच्ची हल्दी स्वास्थ्य के हिलाज से हित लाभकारी हर्बल है। हल्दी धार्मिक कार्यों, सौन्दर्य देखभाल से लेकर व्यजंन तैयार करने में इस्तेमाल की जाती है। हल्दी को मसालों की रानी से भी पुकारा जाता है। हल्दी पाउडर और कच्ची हल्दी दोनों ही फायदेमंद है। आर्युवेद में कच्ची हल्दी को विशेष स्थान दिया गया है। सांइस भी कच्ची हल्दी को विशेष औषधि का दर्जा दे चुकी है। परन्तु शोधअनुसार सूखी हल्दी पाउडर से ज्यादा कच्ची हल्दी फायदेमंद होती है।
कच्ची हल्दी के अचूक फायदे , कच्ची हल्दी के उपयोग, Kachi Haldi ke Fayde / Kachi Haldi Benefits, Kachi Haldi ke Upyog
कच्ची हल्दी उपयोग कैसे करें?
- कच्ची हल्दी रस दूध में मिलाकर सेवन करना।
- कच्ची हल्दी जूस में मिलाकर सेवन करना।
- कच्ची हल्दी लेप ग्रसित संक्रमित घाव आदि पर लगाना।
- कच्ची हल्दी हल्का आंच में पका कर मालिस कर इस्तेमाल करना।
- कच्ची हल्दी सूप तैयार करने में इस्तेमाल की जाती है।
- चोट लगने पर कच्ची हल्दी दूध पीना।
- हल्दी से फेस क्रीम, सेप्टिक क्रीम, लोशन, सौन्दर्य प्रसाधन और दवाईयों के रूप में कप्सूल, टैबलेट, सिरप आदि तरह तैयार किये जाते हैं।
- व्यंजन तैयार करने में इस्तेमाल।
- कच्ची हल्दी पेस्ट सौन्र्दय पदार्थों में मिलाना।
- कच्ची हल्दी का स्वादिष्ट अचार तैयार करना।
- कच्ची हल्दी स्वादिष्ट चटनी बनाने में इस्तेमाल।
- कच्ची हल्दी से हल्वा तैयार करना।
सर्दियों में कच्ची हल्दी रस दूध के साथ पीने से इम्यून सिस्टम दुरूस्त रहता है। कच्ची हल्दी सर्दी, जुकाम, खांसी, बलगम जमने से बचने का उत्तम माध्यम है। और कच्ची हल्दी बाहरी वायरल, संक्रमण और कीटाणुओं को से शरीर को बचाये रखती है। दूध उबालकर 2 चम्मच कच्ची हल्दी रस दूध में मिलाकर पीना फायदेमंद है। कच्ची हल्दी में लिपोपाॅलिसेच्चाराइड तत्व भी मौजूद है। जोकि इम्यून सिस्टम के उत्तम माना जाता है।
कैंसर दूर करे कच्ची हल्दी
कच्ची हल्दी पुरूर्षों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर सेल्स रोकथाम करने और ग्रसित सेल्स को नष्ट करने में सक्षम है। साथ ही कच्ची हल्दी शरीर में गांठ बनने से लेकर विभिन्न तरह के कैंसर के कैंसर को निष्क्रीय करने में सक्षम है। हल्दी में करक्यूमिन तत्व मौजूद है। कच्ची हल्दी एक तरह से रिच एंटीआक्सिीडेंट स्रोत है।
पाईल्स में कच्ची हल्दी लेप
पाईल्स रोग में कच्ची हल्दी का लेप गुदा पर लगाना फायदेमंद है। सक्रमित गुदा को गर्म पानी से धोकर कच्ची हल्दी लेप करने से पाईल्स समस्या धीरे -धीरे जड़ से मिटाने सक्षम है। कच्ची हल्दी पाईल्स जख्म को संक्रमित और मस्से गम्भीर होने से बचाती है।
फटी एड़िया दर्द, त्वचा ठीक करे कच्ची हल्दी
रोज सुबह उठकर पांव को गर्म पानी से रगड़कर धोयें फिर पैर सुखाकर कच्ची हल्दी को सरसों तेल में पका कर फटी एड़ियों पर लगाना लगायें। सरसों तेल में कच्ची हल्दी को हल्की आंच में पकाकर लेप फटी एड़ियों त्वचा पर लगायें।
गठिया सूजन दर्द में कच्ची हल्दी
गठिया सूजन दर्द में कच्ची हल्दी, लहसुन तेल में पकाकर कर मालिश करें। गठिया दर्द सूजन में कच्ची हल्दी तेल मालिश अति फायदेमंद है।
डायबिटीज में कच्ची हल्दी
डायबिटीज कच्ची हल्दी ग्लूकोज नियंत्रण करने में सहायक है। कच्ची हल्दी दूध, या सब्जी, गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद है।
सौन्दर्य निखारे कच्ची हल्दी
चेहरे से दाग धब्बे, मुहांसे मिटाने के लिए कच्ची हल्दी बेसन, कच्ची हल्दी चंदन या फिर कच्ची हल्दी और नींबू लेप लगाना फायदेमंद है। प्राचीनकाल में महिलाएं कच्ची हल्दी से सप्ताह में 1 बार त्वचा पर रगड़-रगड़ कर मालिश करती थी। जोकि सौन्दर्य का राज था। कच्ची हल्दी फेस क्रीम, लोशन, आॅयल आदि विभिन्न तरह के सौन्दर्य प्रसाधन तैयार करने में भी किया जाता है। कच्ची हल्दी एक तरह से एंटी सेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल भी है, जोकि त्वचा को इंफेक्शन एव सोराइसिस जैसे रोगों से बचाता है।
लिवर स्वस्थ रखे कच्ची हल्दी
फैटी लिवर समस्या, शरीर में विषाक्त निकालने में कच्ची हल्दी सेवन फायदेमंद है। कच्ची हल्दी शरीर से दूषित पदार्थ निकालने के साथ-साथ रक्त साफ करने का कार्य भी करती है।
दांतों के रोग में कच्ची हल्दी
मसूड़ों में दर्द, दांत हिलने की समस्या में कच्ची हल्दी, नमक, सरसों से रोज मंजन करना फायदेमंद है। प्राचीनकाल में लोग नमक, हल्दी, लकड़ी कोयला चूर्ण में सरसों तेल मिलाकर नित्य मंजन करते थे। जोकि मजबूत स्वस्थ दांतों का राज था।
कच्ची हल्दी चटनी
कच्ची हल्दी गांठ को आग में भून कर लहसुन, नमक, हरी मिर्च, अदरक, पुदीना मिलाकर चटनी स्वादिष्ट और पोष्टिक चटनी बनाई जाती है। कच्ची हल्दी चटनी विभिन्न तरह के रोगों जैसे गैस, कब्ज, अपचन, डकार, शरीर दर्द, खांसी, बलगम आदि समस्याओं खास फायदेमंद है।
शरीर अंग संक्रमित, सड़न गलन, फंगल में कच्ची हल्दी
उगलियों में फंगल, चोट सूजन, चोट दर्द, घाव संक्रमण आदि में कच्ची हल्दी को शहद के साथ मिलाकर कर लगाना फायदेमंद है। कच्ची हल्दी शहद तेजी से ग्रसित अंगों को पुन जीवित- सक्रीय करने में सक्षम है।
अन्दुरूनी चोट और शारीरिक दर्द में कच्ची हल्दी दूध सेवन
अन्दुरूनी चोट, शारीरिक दर्द में कच्ची हल्दी चोट लगने और शारीरिक दर्द सूजन में रोज सुबह शाम कच्ची कच्ची हल्दी रस गर्म दूध के साथ पीना फायदेमंद है। किसी भी तरह की चोट दर्द, गम्भीर समस्याओं के कच्ची हल्दी दूध किसी रामबाण दवा से कम नहीं है।
अस्थमा में कच्ची हल्दी
अस्थमा रोग में कच्ची हल्दी रामबाण औषधि की तरह है। कच्ची हल्दी अस्थमा अकास्मिक खांसी को रोकने, बलगम जमने से बचाने और सांस फूलने की समस्या से बचाने में फायदेमंद है।
कच्ची हल्दी से परहेज
- पीलिया रोग में हल्दी सेवन नहीं करें।
- गर्भवती महिलाएं कच्ची हल्दी सेवन सीमित मात्रा में करें।
- 3 साल से छोटे बच्चों को कच्ची हल्दी नहीं दें।
- सुबह और शाम दो बक्त ही दो-दो चम्मच कच्ची हल्दी रस सेवन किया जा सकता है। अधिक मात्रा में कच्ची हल्दी रस सेवन नुकसानदायक है।
- नकसीर (नांक से रक्त आने की समस्या) में कच्ची हल्दी दूध पीने से बचें।
- मासिक धर्म में रक्तस्राव के दौरान कच्ची हल्दी दूध सेवन से बचें।
- किड़नी स्टोन समस्या में कच्ची हल्दी दूध दूध सेवन मना है।
- जल्दी फायदे के लिए कच्ची हल्दी सेवन अधिक नहीं करें। 2 चम्मच रस ही सेवन करें।
- कच्ची हल्दी रक्त को पतला करती है।
- अधिक मात्रा में कच्ची हल्दी सेवन करने से घबराहट, बेचैनी, पेट दर्द की समस्या हो सकती है।