श्री सोमनाथ मंदिर इतिहास SOMNATH TEMPLE IN HINDI Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi श्री सोमनाथ मंदिर इतिहास SOMNATH TEMPLE IN HINDI - Health Tips in Hindi, Protected Health Information, Ayurveda Health Articles, Health News in Hindi

श्री सोमनाथ मंदिर इतिहास SOMNATH TEMPLE IN HINDI

सोमनाथ मन्दिर परिचय: प्रसिद्ध सोमनाथ मन्दिर गुजरात राज्य के काठियावाड में समुद्र किनारे स्थापित है। इस पवित्र मन्दिर को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से यह पहला ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में नित्य श्रद्धालु देश विदेश से दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शनए पूजनए आराधना से श्रद्वालुओं के जन्म.जन्मांतर के पाप, कष्ट और दुष्कृत्यु मिट जाते हैं। और मोक्ष का मार्ग सहज ही सुलभ बन जाता है। सोमनाथ मन्दिर भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

सोमनाथ मंदिर इतिहास / Somnath Mandir ka Itihas / Somnath Mandir ka Parichay


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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कथा पुराणों से वणिन किया गया है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थी। राजा दक्ष ने उनका विवाह चन्द्रदेव से किया था। लेकिन चन्द्रदेव केवल दक्ष की रोहिणी कन्या से ही अधिक प्रेम अनुराग करते थे। इस कारण अन्य दक्ष कन्याए मन से अप्रसन्न रहती थी। आखिर में हार कर यह बात अपने पिता राज दक्ष को बताई। इस पर दक्ष प्रजापति ने चन्द्रदेव को बहुत समझाया परन्तु चन्द्रदेव पर कोई असर नही हुआ। और उल्टा चन्द्रदेव दक्ष प्रजापति पर क्रोधित होते थे। अन्त में दक्ष प्रजापति क्रोधित होकर चन्द्रदेव को क्षयग्रस्त होने का श्राप दे दिया।

शापित होने के कारण चन्द्रदेव काले धब्बेदार होकर उसकी शक्तियां क्षीण हो गई। जिससे पृथवी पर शीतलता सुधा विगठित हो गई और पृथवी के कार्य रूक गये। और हर तरह त्राहि-त्राहि होने लगी। चन्द्रदेव की र्दुदशा देखकर और पृथवी को दोबारा से कार्यदक्षता में लाने के लिए चन्द्रदेव, इन्द्रदेव, वसिष्ठ, ऋषिगण और देवतागण ब्रह्माजी से प्रार्थना याचना करने लगे। ब्रह्माजी जी ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए चन्द्रदेव को किसी पवित्र और शांत जगह में जाकर मृत्युंजय मन्त्र से भगवान शिव की अराधना कर प्रसन्न करने की सलाह दी। चन्द्रदेव ने 10 करोड़ बार मृत्युंजय जाप किया।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने चन्द्रदेव को अमरत्व का बरदान दिया। भगवान शिव ने चतुराई से चन्द्रदेव को श्राप से मुक्त कर दिया और साथ ही दक्ष प्रजापति के वचनों की भी रक्षा की।

भगवान शिव ने चन्द्रदेव को बरदान दिया कि कृष्णपक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी कला क्षीण होती रहेगी, परन्तु शुक्ल पक्ष में एक.एक कर क्रम अनुसार तुम्हारी कला बढ़ती जायेगी। और हर पूर्णिमा को तुम्हें पूर्ण चन्द्रत्व सौन्दर्य मिलेगा। इस तरह से चन्द्रदेव श्राप से मुक्त हुएए और दोबारा से दसों दिशाओं में सुधा वर्षण कार्य करने लगे। जिससे सारी क्षीण कार्य क्रम अनुसार होने लगे।

संसार कल्याण के लिए चन्द्रदेव, इन्द्रदेव, वसिष्ठ, ऋषिगण, देवतागण और ब्रह्माजी ने माता पार्वती और मृत्युंजय भगवान सदा शिव से हमेशा के लिए सोमनाथ पवित्र स्थली में रहने के लिए प्रार्थना याचना करने लगे। भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती के साथ ज्योतर्लिंग रूप में सोमनाथ में स्थापित हो गये। तब से यह पवित्र स्थान प्रथम सोमनाथ ज्योतर्लिंग से जाना जाता है।

सोमनाथ ज्योतर्लिंग के बारे में महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कन्दपुराणादि में भी वणित है। जिसे सोम यानि चन्द्रमा से सम्बोधित किया गया है। चन्द्रदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां पर सैकड़ों साल तपस्या की थी। यह खास पावन प्रभास स्थान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ही है।

सोमनाथ मन्दिर तीन भागों में विभाजित है। पहला भाग मंदिर गर्भगृहए दूसरा सभामंडप और तीसरा नृत्यमंडप है। सोमनाथ मन्दिर की 150 फुट ऊंचा शिखर बनी है। शिखर पर स्थित कलश का भार लगभग दस टन है और मन्दिर में लहराने वाले ध्वजा 27 फुट ऊंची होती है। जोकि हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। सोमनाथ मन्दिर में बहुत से रहस्य छुपे हुए हैं। जिससे समुद्र त्रिष्टांभ, ध्रुव और दिशाओं का एक किनारा समाप्त क्षेत्र माना जाता है। सोमनाथ मन्दिर आस्था के साथ-साथ प्राचीन ज्ञान का अद्भुत साक्ष्य भी माना जाता है।

इस मन्दिर का 7 बार पुनः निर्माण करवाय गया है। सोमनाथ मन्दिर भव्य मूर्तियों से बनी हैं। जिसमें स्कंद पुराण और आलोकिक प्रभासखण्ड उल्लेखित हैं। सोमनाथ के 9 नाम हैं। 8वां नाम सोमनाथ और 9वां नाम प्राणनाथ होगा। पुराण ग्रन्थों अनुसार पृथवी पर पापए अपराधए अधर्म बढ़ने पर पृथवी का अन्त होगा। और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम प्राणनाथ कहलायेगा। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का अपना ही महत्व है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम हर नए सृष्टि के साथ बदल जाता है।

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे ?

वायु सेवाएंः
वायु मार्ग से सीधे मुम्बई से केशोड़ के लिए सेवाएं मौजूद हैं। केशोड से सोमनाथ मात्र 55 किमी है। केशोड से सोमनाथ के लिए नित्य बसें और टैक्सी मौजूद रहती हैं।

रेल सेवाए:
सोमनाथ मन्दिर से 7 किमी दूरी पर वेरीवल रेलवे स्टेशन है। वेरीवल रेलवे स्टेशन पर गुजरात और अहमदाबाद से अन्य जगहों से खास ट्रेनें आती जाती रहती हैं।

सड़क परिवहन सेवाएः
सोमनाथ दर्शन के लिए वेरावल, अहमदाबाद, गुजरात, भवनगर, जूनागढ़, पोरबंदर और अन्य राज्यों से भी सेवाएं मौजूद हैं।

श्रद्वालुओं के लिए विश्रामशालाः
सोमनाथ से पहले वेरावल और आसपास जगहों पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, होटल, विश्रामशाला व धर्मशाला की आदि ठहरने की व्यवस्था भी है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।